Maharana Pratap Jayanti 2024: महाराणा प्रताप अदम्य साहसी और शूरवीर योद्धा ही नहीं, महिला सशक्तिकरण के भी हिमायती थे!
हिंदू पंचांग के अनुसार महाराणा प्रताप का जन्म ज्येष्ठ मास शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है. यह तिथि मई अथवा जून माह में पड़ती है. ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई 1540 को हुआ था.
हिंदू पंचांग के अनुसार महाराणा प्रताप का जन्म ज्येष्ठ मास शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है. यह तिथि मई अथवा जून माह में पड़ती है. ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई 1540 को हुआ था. राजस्थान समेत भारत के अन्य हिस्सों में यह दिन बड़ी श्रद्धा एवं सम्मान के साथ मनाया जाता है. अगर आप महाराणा प्रताप जयंती सही तिथि में मनाना चाहते हैं तो कृपया हिंदू पंचांग को देखें, क्योंकि अंग्रेजी कैलेंडर में अक्सर तिथिया बदलती रहती है. फिलहाल बात दें हिंदी पंचांग के अनुसार इस वर्ष 9 जून 2024 को महाराणा प्रताप जयंती मनाई जाएगी.
महान योद्धा ही नहीं महिला सशक्तिकरण में भी योगदान था
भारतीय इतिहास में महाराणा प्रताप को उनकी वीरता, अदम्य साहसी, निर्भीक एवं बलशाली योद्धा के रूप जाना-पहचाना जाता है. महाराणा प्रताप के नेतृत्व में मेवाड़ ने मुगल बादशाह अकबर के खिलाफ लंबी और कठिन संघर्ष की कथा से हम पूर्व परिचित हैं. यहां बता दें कि महाराणा प्रताप का प्रताप केवल युद्ध के मैदान तक ही नहीं, बल्कि उनके शासन और समाज सुधार जैसी गतिविधियों में भी पढ़ने-सुनने को मिलता है. महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में भी उनका अतुलनीय योगदान रहा है. यहां हम महाराणा प्रताप की उन्हीं गतिविधियों को रेखांकित करने जा रहे हैं. यह भी पढ़ें : PM Modi Swearing-In Ceremony: 8 जून को दिल्ली के लिए रवाना होंगी बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में लेंगी हिस्सा
रानी पद्मिनी समेत अन्य महिलाओं का सम्मान: महाराणा प्रताप के शासनकाल में महिलाओं को विशेष सम्मान दिया जाता था. उनका यह सम्मान उनकी मातृभूमि की वीरांगनाओं रानी पद्मिनी और महारानी कर्णावती जैसी महिलाओं से प्रेरित था, जिन्होंने अपने साहस और बलिदान से महिलाओं की शक्ति को दुनिया के सामने प्रदर्शित किया.
महिलाओं की सुरक्षा: महाराणा प्रताप का ज्यादा समय भले ही युद्ध के मैदान अथवा जंगलों में बीता हो, मगर अपने राज्य में महिलाओं की सुरक्षा पर भी उनकी नजर रहती थी. युद्ध के दौरान अगर दुश्मन सैनिकों की पत्नियों को सैनिक गिरफ्तार करते तो, महाराणा प्रताप अपने सैनिकों से इस दुष्टता के लिए छमा याचना करने से नहीं चूकते थे. यही नहीं उन्होंने अपने किले में भी सैनिकों की महिला सदस्यों की सुरक्षा और संरक्षा की विशेष व्यवस्था करवा रखी थी.
संस्कृति और परंपराओं का संरक्षण: महाराणा प्रताप ने मेवाड़ की सांस्कृतिक और परंपरागत मूल्यों की सुरक्षा और संरक्षा के लिए सुनियोजित व्यवस्था की थी. महिलाओं को अपनी संस्कृति और परंपराओं के माध्यम से खुद को सशक्त महसूस करने का अवसर दिया. गौरतलब है कि महाराणा प्रताप की स्वयं की रानी महारानी अजबदे पंवार स्वयं एक शिक्षित और कुशल महिला थीं, जिन्होंने अपने पति के साथ राजनीति में भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया.
मातृशक्ति का सम्मान: महाराणा प्रताप अपनी मां महारानी जयवंता बाई, का अत्यधिक सम्मान करते थे, उनकी हर सलाह को वे सिर झुकाकर सम्मान देते हुए मानते थे. ऐसे कई अभियान थे, जिसके लिए उन्होंने अपनी मां की प्रेरणा और शिक्षा का पालन किया, जो महिलाओं के प्रति उनके दृष्टिकोण को दर्शाता है.