Lohri 2023: इस वर्ष कब मनाई जाएगी लोहड़ी 13 या 14 जनवरी को? जानें लोहड़ी का शुभ मुहूर्त, पूजा-अनुष्ठान एवं पारंपरिक कथा!
लोहड़ी मुख्य रूप से दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर का महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है, लेकिन आज सर्वत्र भारत में लोहड़ी की जबरदस्त धूम देखी जा सकती है. यह पर्व बसंत ऋतु के आगमन और रबी की नई फ़सलों के स्वागत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है.
लोहड़ी मुख्य रूप से दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर का महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है, लेकिन आज सर्वत्र भारत में लोहड़ी की जबरदस्त धूम देखी जा सकती है. यह पर्व बसंत ऋतु के आगमन और रबी की नई फ़सलों के स्वागत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है. इस पर्व की पृष्ठभूमि अपने समय के मशहूर दुल्ला भट्टी की शौर्यगाथा से भी जुड़ा हुआ है. हर वर्ष की तरह इस बार भी 13 जनवरी, शुक्रवार के दिन लोहड़ी का पर्व मनाया जाएगा. आइये जानते हैं, लोहड़ी के पारंपरिक स्वरूप, सेलिब्रेशन. पूजा-विधि एवं शुभ मुहूर्त के बारे में.
लोहड़ी का धार्मिक महत्व!
लोहड़ी का यह पर्व प्रकृति-पूजा से संबद्ध है, लेकिन पंजाब में इस पर्व का धार्मिक महत्व भी है. लोहड़ी की शाम सूर्यास्त के पश्चात प्रज्वलित अग्नि में नई फसलें तिल, गुड़, चावल, मक्का आदि अर्पित कर आहुति दी जाती हैं. इस प्रक्रिया को तिलचौली कहते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जिस घर में नई वधु का आगमन या संतान पैदा होता है, उसी घर में विशेष रूप से लोहड़ी जलाई जाती है. इस अवसर पर लोग मिठाई, तिल-गुड़ के व्यंजन, मूंगफली आदि बांटकर खुशियां मनाते है.
पूजा अनुष्ठान!
लोहड़ी आमतौर पर एक सुरक्षित एवं खुली जगह पर मनायी जाती है. इस पर्व में परिजन, मित्र एवं करीबी लोग एकत्र होते हैं. एकदम बीचो बीच सूखी लकड़ियां एवं गोबर के कंडों को सजाते हैं. इसमें कपूर की मदद से अग्नि प्रज्वलित करते हैं. अब अग्नि में कटी हुई फसलों का पहला भोग लगाते हैं. तत्पश्चात य़हां उपस्थित लोग अग्नि में मक्का, मूंगफली, गजक, तिल एवं रेवड़ियां अर्पित करते हुए सुखी एवं स्वस्थ जीवन की कामना करते हैं. लोग प्रज्वलित अग्नि की परिक्रमा करते हुए लोकगीत गाते हैं और नृत्य करते हैं. मान्यतानुसार जिस घर में नई बहू आती है अथवा बच्चे का जन्म होता है, उस घर में लोहड़ी का पर्व काफी धूमधाम से मनाया जाता है.
लोहड़ी कब मनाई जाएगी 13 या 14 जनवरी 2023 को?
परंपरानुसार लोहड़ी का पर्व मकर संक्रांति से एक दिन पूर्व ही मनाया जाता है, और चूंकि इस वर्ष ग्रहों की गतिविधियों के अनुसार मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी को मनाया जाएगा, इसलिए इस बार लोहड़ी 13 जनवरी के बजाय 15 जनवरी को मनाया जायेगा.
लोहड़ी का शुभ मुहूर्त!
शुभ मुहूर्तः 08.57 PM (14 जनवरी 2023)
दुल्ला भट्टी और लोहड़ी!
बादशाह अकबर के शासनकाल में दुल्ला भट्टी नामक एक युवक पंजाब में रहता था. एक बार कुछ व्यापारी लोगों से जरूरत के कुछ सामान के बदले सुंदर दास नामक किसान की दो बेटियों सुंदरी-मुंदरी का सौदा कर रहे थे, तभी दुल्ला भट्टी वहां पहुंचकर सुंदरी-मुंदरी को उनकी चंगुल से बचाकर उनका विवाह सुंदर दास द्वारा निर्धारित युवकों से करवाया. इस घटना के बाद से दूल्हा को भट्टी के नायक की उपाधि दी गई. हर बार लोहड़ी पर उसी की याद में कहानी और लोकगीत सुनाया जाता है.
‘सुंदर मुंदरिये हो, तेरा कौन विचारा हो’ दुल्ला भट्टी वाला हो, दुल्ले ने विआई..’
मान्यता है कि दुल्ला भट्टी की कहानी और लोकगीत को गाये बिना लोहड़ी का पर्व पूरा नहीं होता.