Krishna Janmashtami Special 2019: भौतिक सुखों की प्राप्ति के लिए जपें, श्रीकृष्ण के 108 नाम
हमारे आध्यात्मिक पुस्तकों में दुनिया को भगवद् गीता का ज्ञान देनेवाले भगवान श्रीकृष्ण को युग पुरुष बताया गया है. हिन्दू धर्म के अनुसार हर युग में भगवान कृष्ण द्वारा दिया गया ज्ञान हमारे लिए ज्ञान का स्त्रोत हैं. भगवान कृष्ण ने महाभारत युद्ध में अहम भूमिका निभाते हुए विश्व को ‘श्रीमद्भागवत गीता’ का उपदेश दिया.
Krishna Janmashtami Special 2019: हमारे आध्यात्मिक पुस्तकों में दुनिया को भगवद् गीता का ज्ञान देनेवाले भगवान श्रीकृष्ण को युग पुरुष बताया गया है. हिन्दू धर्म के अनुसार हर युग में भगवान कृष्ण द्वारा दिया गया ज्ञान हमारे लिए ज्ञान का स्त्रोत हैं. भगवान कृष्ण ने महाभारत युद्ध में अहम भूमिका निभाते हुए विश्व को ‘श्रीमद्भागवत गीता’ का उपदेश दिया. मान्यता है कि श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के अवसर पर व्रत रखने वाला भक्त अगर श्रीकृष्ण की पूजा के दौरान इन 108 नामों का जाप करता है, तो उसे सभी भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है. जाप करने वाले श्रीकृष्ण जी के 108 नाम निम्नवत हैं.
1. अचला: भगवान.
2. अच्युत: अचूक प्रभु या जिसने कभी भूल न की हो.
3. अद्भुतह: अद्भुत प्रभु.
4. आदिदेव: देवताओं के स्वामी.
5. अदित्या: देवी अदिति के पुत्र.
6. अजन्मा: जिनकी शक्ति असीम और अनंत हो.
7. अजया: जीवन और मृत्यु के विजेता.
8. अक्षरा: अविनाशी प्रभु.
9. अमृत: अमृत जैसा स्वरूप वाले.
10. अनादिह: सर्वप्रथम हैं जो.
11. आनंद सागर: कृपा करने वाले.
12. अनंता: अंतहीन देव.
13. अनंतजीत: हमेशा विजयी होनेवाले.
14. अनया: जिनका कोई स्वामी न हो.
15. अनिरुद्धा: जिनका अवरोध न किया जा सके.
16. अपराजित: जिन्हें हराया न जा सके.
17. अव्युक्ता: माणभ की तरह स्पष्ट.
18. बाल गोपाल: भगवान कृष्ण का बाल रूप.
19. बलि: सर्वशक्तिमान.
20. चतुर्भुज: चार भुजाओं वाले प्रभु.
21. दानवेंद्रो: वरदान देनेवाले.
22. दयालु: करुणा के भंडार.
23. दयानिधि: सब पर दया करनेवाले.
24. देवाधिदेव: देवों के देव.
25. देवकीनंदन: देवकी के पुत्र.
26. देवेश: देवों के भी ईश्वर.
27. धर्माध्यक्ष: धर्म के स्वामी.
28. द्वारकाधीश: द्वारिका के अधिपति
29. गोपाल: ग्वालों के साथ खेलने वाले.
30. गोपालप्रिया: ग्वालों के प्रिय.
31. गोविंदा: गाय, प्रकृति, भूमि को चाहनेवाले.
32. ज्ञानेश्वर: ज्ञान के भगवान.
33. हरि: प्रकृति के देवता.
34. हिरण्यगर्भा: सबसे शक्तिशाली प्रजापति.
35. ऋषिकेश: सभी इन्द्रियों के दाता.
36. जगद्गुरु: ब्रह्मांड के गुरु.
37. जगदीशा: सभी के रक्षक.
38. जगन्नाथ: ब्रह्माण्ड के ईश्वर.
39. जनार्धना: सभी को वरदान देनेवाले.
40. जयंतह: सभी दुश्मनों पर विजय पानेवाले.
41. ज्योतिरादित्य: जिनमें सूर्य की चमक है.
42. कमलनाथ: देवी लक्ष्मी के प्रभु.
43. कमलनयन: जिनके नेत्र कमल के समान हों.
44. कामसांतक: कंस का वध करनेवाले.
45. कंजलोचन: जिनके कमल के समान नेत्र हैं.
46. केशव: काले सुंदर बालोंवाले
47. कृष्ण: सांवले रंगवाले.
48. लक्ष्मीकांत: देवी लक्ष्मी के देवता.
49. लोकाध्यक्ष: तीनों लोक के स्वामी.
50. मदन: प्रेम के प्रतीक.
51. माधव: ज्ञान के भंडार.
52. मधुसूदन: मधु-दानवों का वध करनेवाले.
53. महेन्द्र: इन्द्र के स्वामी.
54. मनमोहन: सबका मन मोहनेवाले.
55. मनोहर: बहुत ही सुंदर रूप-रंग वाले प्रभु.
56. मयूर: मुकुट पर मोरपंख धारण करनेवाले भगवान.
57. मोहन: सभी को आकर्षित करनेवाले.
58. मुरली: बांसुरी बजानेवाले प्रभु.
59. मुरलीधर: मुरली धारण करनेवाले.
60. मुरली मनोहर: मुरली बजाकर मोहनेवाले
61. नंदगोपाल: नंद बाबा के पुत्र.
62. नारायण: सबको शरण में लेनेवाले.
63. निरंजन: सर्वोत्तम.
64. निर्गुण: जिनमें कोई अवगुण नहीं.
65. पद्महस्ता: जिनके कमल की तरह हाथ हैं.
66. पद्मनाभ: जिनके नाभि कमल के समान हो.
67. परब्रह्मन: परम सत्य.
68. परमात्मा: सभी प्राणियों के प्रभु.
69. परम पुरुष: श्रेष्ठ व्यक्तित्ववाले.
70. पार्थसारथी: अर्जुन के सारथी.
71. प्रजापति: सभी प्राणियों के नाथ.
72. पुण्य: निर्मल व्यक्तित्व.
73. पुरुषोत्तम: उत्तम पुरुष.
74. रविलोचन: सूर्य जिनका नेत्र है.
75. सहस्राकाश: हजार आंख वाले प्रभु.
76. सहस्रजीत: हजारों को जीतनेवाले.
77. सहस्रपात: जिनके हजारों पैर हों.
78. साक्षी: समस्त देवों के गवाह.
79. सनातन: जिनका कभी अंत न हो.
80. सर्वजन: सब कुछ जाननेवाले.
81. सर्वपालक: सभी का पालन करनेवाले.
82. सर्वेश्वर: समस्त देवों से ऊंचे.
83. सत्य वचन: सत्य कहनेवाले.
84. सत्यव्त: श्रेष्ठ व्यक्तित्व वाले देव.
85. शंतह: शांत भाव वाले.
86. श्रेष्ठ: महान.
87. श्रीकांत: अद्भुत सौंदर्य के स्वामी.
88. श्याम: जिनका रंग सांवला हो.
89. श्यामसुंदर: सांवले रंग में भी सुंदर दिखने वाले.
90. सुदर्शन: रूपवान.
91. सुमेध: सर्वज्ञानी.
92. सुरेशम: सभी जीव-जंतुओं के देव.
93. स्वर्गपति: स्वर्ग के राजा.
94. त्रिविक्रमा: तीनों लोकों के विजेता.
95. उपेन्द्र: इन्द्र के भाई.
96. वैकुंठनाथ: स्वर्ग के रहनेवाले.
97. वर्धमानह: जिनका कोई आकार न हो.
98. वासुदेव: सभी जगह विद्यमान रहनेवाले.
99. विष्णु: भगवान विष्णु के स्वरूप.
100. विश्वदक्शिनह: निपुण और कुशल.
101. विश्वकर्मा: ब्रह्मांड के निर्माता.
102. विश्वमूर्ति: पूरे ब्रह्मांड का रूप.
103. विश्वरूपा: ब्रह्मांड हित के लिए रूप धारण करनेवाले.
104. विश्वात्मा: ब्रह्मांड की आत्मा.
105. वृषपर्व: धर्म के भगवान.
106. यदुवेंद्रा: यादव वंश के मुखिया.
107. योगि: प्रमुख गुरु.
108. योगिनाम्पति: योगियों के स्वामी.
नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को प्रचलित मान्यताओं के आधार पर सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है और यह लेखक की निजी राय है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.