Kojagiri Purnima Muhurat 2024: कोजागरी पूर्णिमा कब मनाया जाएगा? जानें इसका मुहूर्त, महत्व और इस रात चंद्रमा की पूजा क्यों करते हैं इत्यादि!

शारदीय नवरात्रि और विजयादशमी के बाद, आम हिंदू श्रद्धालुओं को कोजागरी पूर्णिमा की विशेष प्रतीक्षा रहती है. कोजागरी पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. हिंदू धर्म शास्त्रों में कोजागरी पूर्णिमा को सर्वश्रेष्ठ पूर्णिमा ही नहीं, बल्कि सर्वश्रेष्ठ शुभ तिथियों में एक बताया गया है. इस दिन राधा-कृष्ण एवं श्री हरि तथा देवी लक्ष्मी की संयुक्त पूजा की जाती है.

शारदीय नवरात्रि और विजयादशमी के बाद, आम हिंदू श्रद्धालुओं को कोजागरी पूर्णिमा की विशेष प्रतीक्षा रहती है. कोजागरी पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. हिंदू धर्म शास्त्रों में कोजागरी पूर्णिमा को सर्वश्रेष्ठ पूर्णिमा ही नहीं, बल्कि सर्वश्रेष्ठ शुभ तिथियों में एक बताया गया है. इस दिन राधा-कृष्ण एवं श्री हरि तथा देवी लक्ष्मी की संयुक्त पूजा की जाती है. बहुत से घरों में भगवान सत्यनारायण की कथा अथवा अखंड रामायण (रामचरितमानस) का पाठ भी किया जाता है. इस वर्ष कोजागरी पूर्णिमा 16 अक्टूबर 2024, दिन बुधवार को मनाई जाएगी. आइये जानते हैं, कोजागरी पूर्णिमा का महत्व, मुहूर्त एवं चंद्रमा-पूजन आदि के बारे में... यह भी पढ़ें : Chanakya Niti: इन 7 लोगों को पैर से स्पर्श कर जीवन को नर्क न बनाएं! जानें चाणक्य की इस नीति का आशय!

कोजागरी पूर्णिमा तिथि एवं मुहूर्त

आश्विन मास पूर्णिमा प्रारंभः 08.40 PM (16 अक्टूबर 2024, बुधवार)

आश्विन मास पूर्णिमा समाप्तः 04.55 PM (17 अक्टूबर 2024, गुरुवार)

इस दिन चंद्रमा की पूजा का विधान होने के कारण कोजागिरी पूर्णिमा 16 अक्टूबर 2024 को मनायी जायेगी.

कोजागरी पूर्णिमा के दिन चंद्रोदयः 04.33 PM (16 अक्टूबर 2024)

कोजागरी पूर्णिमा क्यों मनाते हैं?

हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात भगवान कृष्ण ने पवित्र यमुना नदी तट पर देवी राधा और अन्य गोपियों के साथ रास रचाया था, इसलिए इस दिन को रास पूर्णिमा के रूप में भी मनाया जाता है. ऐसी भी मान्यता है इस शुभ दिन पर, भारी संख्या में कृष्ण भक्त इस यमुना तट पर आते हैं, पवित्र यमुना में डुबकियां लगाते हैं. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और राधा की पूजा करने वाले जातक की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं, जो लोग प्रेम संबंधों में हैं, उन्हें इस दिन श्रीकृष्ण के साथ राधा रानी की पूजा कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए.

महत्व

सनातन धर्म में कोजागरी पूर्णिमा का बेहद आध्यात्मिक महत्व है. इस दिन विभिन्न आध्यात्मिक गतिविधियों के लिए सबसे शुभ और पवित्र दिन माना जाता है. इस दिन श्रद्धालु भगवान विष्णु एवं चंद्रमा की पूजा करते हैं. आश्विन माह में पड़ने के कारण इस पूर्णिमा का धार्मिक महत्व है, जिसे शरद पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. महाराष्ट्र में शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा के नाम से मनाया जाता है, यह दिन शरद ऋतु के आगमन का भी प्रतीक होता है.

कोजागरी पूर्णिमा पर चंद्रमा की पूजा क्यों करते हैं?

कोजागरी पूर्णिमा को चंद्रमा की पूजा का विशेष महत्व है. इस दिन महिलाएं चंद्रमा का दर्शन कर उन्हें अर्घ्य देती हैं, आरती उतारती हैं, और अपने घर-परिवार के कल्याण हेतु प्रार्थना करती हैं. पूर्णिमा की रात चंद्रमा की रोशनी को सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत माना जाता है. कोजागरी पूर्णिमा की रात चंद्रमा की रोशनी में ध्यान और साधना का महत्व बढ़ जाता है. इसलिए बहुत से घरों में इस रात दूध चावल की खीर बनाकर खुले आसमान के नीचे चंद्रमा की रोशनी में रखते हैं. अगले दिन सुबह उसका सेवन करते हैं. मान्यता है कि यह सेहत के लिए बहुत लाभकारी होता है.

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