Jharkhand Foundation Day 2025: झारखंड दिवस से बिरसा मुंडा का क्या संबंध है? जाने इस प्रदेश के सौ साल से भी पुराने संघर्ष की गाथा!

हमेशा की तरह इस वर्ष भी 15 नवंबर को झारखंड स्थापना दिवस मनाया जाएगा. गौरतलब है कि साल 2000 से पहले झारखंड बिहार का हिस्सा हुआ करता था, लेकिन इस क्षेत्र के तमाम आदिवासी समुदायों ने अपने क्षेत्र और स्थानीय लोगों की अनदेखी और उचित प्रतिनिधित्व की कमी को देखते हुए और अपनी अनूठी संस्कृति और परंपराओं को मान्यता दिलाने एवं आत्म-शासन के अधिकार के लिए लंबे समय तक संघर्ष किया.

  हमेशा की तरह इस वर्ष भी 15 नवंबर को झारखंड स्थापना दिवस मनाया जाएगा. गौरतलब है कि साल 2000 से पहले झारखंड बिहार का हिस्सा हुआ करता था, लेकिन इस क्षेत्र के तमाम आदिवासी समुदायों ने अपने क्षेत्र और स्थानीय लोगों की अनदेखी और उचित प्रतिनिधित्व की कमी को देखते हुए और अपनी अनूठी संस्कृति और परंपराओं को मान्यता दिलाने एवं आत्म-शासन के अधिकार के लिए लंबे समय तक संघर्ष किया.    अंततः साल 2000 में भारतीय संसद ने बिहार पुनर्गठन अधिनियम ((Bihar Reorganization Act)) पारित करते हुए झारखंड को एक अलग राज्य के रूप में मान्यता दी. झारखंड स्थापना की सिल्वर जुबली के अवसर पर आइये जानते हैं, झारखंड के बारे में कुछ रोचक जानकारियां..

झारखंड स्थापना दिवस का इतिहास

   झारखंड को स्वतंत्र राज्य की मांग सर्वप्रथम जॉनसन टूसू जस्टिन केसरी टोप्पो और अन्य आदिवासी नेताओं ने उठाई थी. 1899 से 1900 तक बिरसा मुंडा आंदोलन चला. इस विद्रोह की शुरुआत 24 दिसंबर, 1899 को बिरसा मुंडा आंदोलन से हुई. जनवरी, 1900 को डोम्बारी बुरू पहाड़ी पर ब्रिटिश सेना द्वारा आदिवासियों पर की गई गोलीबारी के बाद काफी हद तक समाप्त हो गया था. 1930 के दशक में यह आंदोलन और मजबूत हुआ. 1936 में आदिवासी महासभा की स्थापना हुई, जिसका नेतृत्व कैप्टन जयपाल सिंह ने किया. स्वतंत्रता के बाद यह संगठन झारखंड पार्टी में बदला और संसद में भी स्वतंत्र राज्य की मांग की. यद्यपि तत्काल इसे मंजूरी नहीं मिली, लेकिन इसने मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित किया.1970 और 1980 के दशक में झारखंड आंदोलन फिर से उभर कर सामने आया. झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने शिबू सोरेन के नेतृत्व में आंदोलन को राज्यव्यापी रूप दिया. अंततः अलग राज्य के लिए राजनीतिक सहमति से झारखंड को स्वतंत्र राज्य का दर्जा मिला. यह भी पढ़ें : Utpanna Ekadashi 2025 Wishes: उत्पन्ना एकादशी की इन हिंदी WhatsApp Messages, Quotes, Facebook Greetings के जरिए दें शुभकामनाएं

कौन हैं बिरसा मुंडा

   मूलतः बिहार निवासी बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 को हुआ था. वह एक गरीब आदिवासी परिवार में पले बढे. 19वीं शताब्दी में बिरसा स्वतंत्रता आंदोलन के अग्रणी नेताओं में एक थे. अंग्रेजी शासनकाल में जब आदिवासियों को जंगलों से खदेड़ा जा रहा था, तो उन्होंने जलजंगल और जमीन बचाने के लिए विद्रोह किया था. आदिवासियों की संख्या काफी कम होने के बावजूद उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत का डटकर मुकाबला किया था. उनका कहना था कि जलजंगल और जमीन आदिवासियों की है, उन्हें इससे बेदखल नहीं किया जा सकता. यह उनकी अस्मिता और संस्कृति की लड़ाई है. स्वतंत्रता आंदोलन में बिरसा मुंडा की अगुवाई में हजारों आदिवासियों ने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी. यही वजह थी कि झारखंड स्थापना दिवस के लिए 15 नवंबर का दिन चुना गया. 9 जून 1900 को रांची के जेल में बिरसा मुंडा की मृत्यु हो गई.

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