International Day of Disabilities 2024: कब और क्यों मनाया जाता है विश्व विकलांग दिवस? जानें इसका इतिहास, एवं भारत में विकलांगता की स्थिति!
प्रत्येक वर्ष 3 दिसंबर को विश्व विकलांगता दिवस मनाया जाता है. इसका मुख्य उद्देश्य विकलांगता से संबंधित मुद्दों के प्रति जागरूकता बढ़ाना और समाज में विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों और उनके समान अवसरों और उनके कल्याण के लिए आवश्यक और ठोस कदम उठाना है, उनके जीवन में छाई नैराश्यता को समाप्त करना है.
प्रत्येक वर्ष 3 दिसंबर को विश्व विकलांगता दिवस मनाया जाता है. इसका मुख्य उद्देश्य विकलांगता से संबंधित मुद्दों के प्रति जागरूकता बढ़ाना और समाज में विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों और उनके समान अवसरों और उनके कल्याण के लिए आवश्यक और ठोस कदम उठाना है, उनके जीवन में छाई नैराश्यता को समाप्त करना है. विश्व विकलांगता दिवस के अवसर पर आइये जानते हैं विकलांगता क्या है, और इसे मनाना हर नागरिक का प्रमुख कर्तव्य क्यों है? भारत में विकलांगता दर क्या है? इत्यादि के बारे में...
विकलांगता क्या है?
विकलांगता (Disability) ऐसी स्थिति है, जिसमें व्यक्ति की शारीरिक, मानसिक, या संज्ञानात्मक कार्यक्षमता प्रभावित होती है. यह जीवन के विभिन्न पहलुओं, शारीरिक गतिविधियों, सोचने-समझने की क्षमता, संचार, या सामाजिक संबंधों में दिक्कत पैदा करती है. विकलांगता जन्मजात, दुर्घटना, बीमारी, या अन्य किसी भी कारणों से विकसित हो सकती है. इसे बिंदुवार समझा जा सकता है
शारीरिक विकलांगताः व्यक्ति का कोई अंग जन्मजात या दुर्घटनावश आंशिक या पूर्णतः निष्क्रिय हो जाता है.
मानसिक विकलांगताः व्यक्ति की सोचने, समझने, या निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित होती है.
संज्ञानात्मक विकलांगताः इसके तहत व्यक्ति की याददाश्त एवं निर्णय लेने की क्षमता होती है
दृष्टिहीनता या श्रवणहीनताः इसमें आंखों या कानों के कार्य करने की आंशिक या पूर्णतः क्षमता में कमी होती है.
विकलांगता दिवस का इतिहास
विश्व विकलांगता दिवस की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 1992 में की गई थी. जब संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 47/3 संकल्प पारित कर इसमें विकलांग व्यक्ति के अधिकारों के बारे में जागरुकता बढ़ाने के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय दिवस आयोजित करने की पहल की गई, जिसका मुख्य उद्देश्य विकलांगों के अधिकार, उन्हें समान अधिकार दिलाने, उनकी शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य, और सामाजिक समावेशन हेतु प्रतिबद्धता को बढ़ावा देना है. इसे प्रभावी बनाने के लिए प्रत्येक वर्ष एक थीम सुनिश्चित करना भी तय हुआ. इस वर्ष 2024 की थीम है, विकलांग व्यक्तियों के लिए सामाजिक समावेशन (Inclusive Development) सुनिश्चित किया गया है.
क्यों मनाया जाता है?
विकलांगता दिवस एक महत्वपूर्ण अवसर है, जब हम समाज में विकलांगता के बारे में सोचने और उस पर सकारात्मक बदलाव लाने के लिए सामूहिक रूप से कार्य कर सकते हैं, उदाहरण के लिए..
जागरूकता फैलाना: विकलांगता के प्रति समाज में जागरूकता फैलाना और समझाना कि वे आज भी समाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं.
समाज में समावेशन: विकलांग व्यक्तियों को समान अवसर प्रदान करना, ताकि वे समाज के अन्य लोगों के साथ समान रूप से जीवन जी सकें.
कानूनी अधिकार: विकलांग व्यक्तियों के लिए उनके अधिकारों का सम्मान करना और सरकारों से उनकी भलाई के लिए प्रभावी कदम उठाने की मांग करना है.
भारत में विकलांगता दर
भारत में विकलांगता का प्रतिशत विभिन्न अनुमानों के मुताबिक, 4 से 8 प्रतिशत है. (40 से 90 मिलियन) हैं. साल 2011 की जनगणना के मुताबिक, भारत में 2.21 प्रतिशत लोग विकलांग हैं. इनमें लगभग 1.5 करोड़ पुरुष और 1.18 करोड़ महिलाएं हैं.
भारत में विकलांगता संदर्भित विशेष बातें:
विकलांगता के प्रकार के आधार पर, भारत में विकलांगों की संख्या इस प्रकार है:
RPWD अधिनियम 2016 से पहले, केवल सात तरह की विकलांगताओं को मान्यता दी जाती थी.
RPWD अधिनियम 2016 के तहत, अब 21 तरह की विकलांगताओं को मान्यता दी गई है.
एसिड हमलों से जुड़ी शारीरिक विकृति और चोटों को भी विकलांगता माना जाता है.
भारत में विकलांगों 69 प्रतिशत हिस्सा ग्रामीण इलाकों में रहता है.
विकलांगों में 35.29 प्रतिशत लोग ही स्कूलों तक पहुंच पाते हैं.
विकलांगों के लिए भारत सरकार ने दीनदयाल विकलांग पुनर्वास योजना शुरू की है.