World Homeopathy Day 2019: होम्योपैथी दवाओं को माना जाता है एलोपैथी से ज्यादा कारगर, जानिए इस चिकित्सा पद्धति में क्यों दी जाती है मीठी गोलियां

होम्योपैथी से तो हर कोई वाकिफ हैं और यह भी जानते हैं कि इस चिकित्सा पद्धति में मीठी गोलियों वाली दवा दी जाती है. होम्योपैथी दवाओं के महत्व को समझाने और इसके बारे में लोगों को जागरूक करने के मकसद से हर साल 11 अप्रैल को विश्व होम्योपैथी दिवस मनाया जाता है.

होम्योपैथी दवाइयां (Photo Credits: Facebook)

World Homeopathy Day 2019: आज के इस दौर में विज्ञान (Science) ने इतनी तरक्की कर ली है, जिसके कारण चिकित्सा जगत में कई गंभीर बीमारियों (Diseases) का इलाज बेहद आसान हो गया है. ज्यादातर लोग एलोपैथी (Allopathy)  चिकित्सा पद्धति से अपना इलाज कराना पसंद करते हैं, लेकिन कई लोग ऐसे भी हैं जो होम्योपैथी दवाइयों की मदद से अपना इलाज कराना पसंद करते हैं. होम्योपैथी (Homeopathy) से तो हर कोई वाकिफ हैं और यह भी जानते हैं कि इस चिकित्सा पद्धति में मीठी गोलियों वाली दवा दी जाती है. होम्योपैथी दवाओं के महत्व को समझाने और इसके बारे में लोगों को जागरूक करने के मकसद से हर साल 11 अप्रैल को विश्व होम्योपैथी दिवस (World Homeopathy Day) मनाया जाता है.

अगर आप भी होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति से अपना इलाज करा रहे हैं तो आपको इसके बारे में सारी जानकारी होनी चाहिए. विश्व होम्योपैथी दिवस के इस खास मौके पर चलिए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं.

क्या है इसका इतिहास?

होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति की शुरुआत सन 1796 में सैमुअल हैनीमैन ने जर्मनी में की थी. आज यह चिकित्सा पद्धधति अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी और भारत में मशहूर है. दरअसल, आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति की तरह ही होम्योपैथी भी एक चिकित्सा पद्धति है. यह भी पढ़ें: प्रेग्नेंसी रोकने के लिए बिना सोचे-समझे न खाएं कोई भी दवा, हो सकती है सेहत से जुड़ी ये बड़ी परेशानियां

क्यों खास है यह चिकित्सा पद्धति?

बता दें कि एलोपैथी में इंसानों पर दवाओं का इस्तेमाल करने से पहले उसका परीक्षण जानवरों पर किया जाता है, लेकिन होम्योपैथी दवाइयों को सीधे इंसानों पर ही टेस्ट किया जाता है. होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति को एलोपैथी से ज्यादा सुरक्षित माना जाता है और इसके साइड इफेक्ट्स भी काफी कम होते हैं.

साइड इफेक्ट्स न के बराबर

एलोपैथी दवाइयों के मुकाबले होम्योपैथी दवाइयों के साइड इफेक्ट्स बहुत ही कम होते हैं. बहुत कम मामलों में ऐसा होता है कि किसी को बुखार की दवाई देने पर मरीज को लूज मोशन, उल्टी या स्किन एलर्जी हो जाए. हालांकि यह परेशानी साइड इफेक्ट्स की वजह से नहीं होती है, बल्कि ये होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति का एक हिस्सा होता है, जिसे लोग साइड इफेक्ट्स समझ लेते हैं. इलाज की इस प्रक्रिया को हीलिंग काइसिस कहते हैं, जिसकी मदद से शरीर के विषाक्त पदार्थों को बाहर निकाला जाता है.

किन बीमारियों में है कारगर?

होम्योपैथी में लगभग सभी बीमारियों के इलाज मौजूद हैं. पुरानी और असाध्य बीमारियों के इलाज के लिए इस चिकित्सा पद्धति को कारगर माना जाता है. एलर्जी, एग्जिमा, अस्थमा, कोलाइटिस और माइग्रेन जैसी बीमारियों को इस चिकित्सा पद्धति के जरिए जड़ से खत्म किया जा सकता है. होम्योपैथी की दवाइयां कैंसर में आराम दे सकती हैं, लेकिन इसे जड़ से खत्म नहीं किया जा सकता. शुगर, बीपी, थायरॉइड जैसी बीमारियों के नए मामलों में इन दवाइयों को ज्यादा कारगर माना जाता है, लेकिन पुराने मर्ज को ठीक करने में समय लग सकता है. यह भी पढ़ें: दिल्ली हाई कोर्ट ने ऑनलाइन दवाई बेचने पर लगाई रोक

मरीज को दी जाती है मीठी गोलियां

होम्योपैथी चिकित्सा पद्धिति में अक्सर मरीजों को आकार में छोटी और मीठी गोलियां दी जाती है. इसमें हमेशा से ही मिनिमम डोज के सिद्धांत पर काम किया जाता है, इसलिए कोशिश की जाती है कि मरीज को दवा कम से कम दी जाए. ऐसे में ज्यादातर डॉक्टर दवा को मीठी गोली में भिगोकर देते हैं. माना जाता है कि सीधे लिक्विड देने से मुंह में इसकी अधिक मात्रा भी जा सकती है. इस चिकित्सा पद्धति में इलाज के दौरान कॉफी पीने की मनाही होती है. दरअसल, कॉफी में मौजूद कैफीन होम्योपैथी दवा के असर को कम कर देती है.

नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को केवल सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसमें दी गई जानकारियों को किसी बीमारी के इलाज या चिकित्सा सलाह के लिए प्रतिस्थापित नहीं किया जाना चाहिए. इस लेख में बताए गए टिप्स  पूरी तरह से कारगर होंगे या नहीं इसका हम कोई दावा नहीं करते है, इसलिए किसी भी टिप्स या सुझाव को आजमाने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें.

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