Pandemic Fatigue: क्या है महामारी थकान? जानें कोरोना वायरस के भावनात्मक प्रभावों पर नियंत्रण पाने का आसान तरीका
दुनिया भर में कोविड-19 संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच लोग इस महामारी से खुद को और दूसरों को बचाने की कोशिश कर रहे हैं. आंकड़े बताते हैं कि कुछ मामलों में 60 फीसदी से अधिक लोग महामारी थकान से जूझ रहे हैं. डब्ल्यूएचओ का कहना है कि लोग कोरोना वायरस के भावनात्मक प्रभाव से जूझ रहे हैं और इससे निपटने के लिए कुछ सुरक्षा उपायो का पालन करना आवश्यक है.
Pandemic Fatigue: कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus Pandemic) की चपेट में आकर लोग लगातार असमय काल के गाल में समा रहे हैं. दुनिया भर में कोरोना संक्रमितों की तादात बढ़कर 36,044,751 हो गई है, जिनमें 1,054,604 मरीज अपनी जान गंवा चुके हैं, जबकि 27,149,095 लोग इस महामारी को हराने में भी कामयाब रहे हैं. भले ही अधिकांश लोग इस महामारी (Pandemic) पर जीत हासिल कर रहे हैं, लेकिन लोगों पर कोरोना वायरस का भावनात्मक प्रभाव (Emotional Impacts of Coronavirus) हावी होने लगा है, जिसे महामारी थकान के रुप में भी जाना जाता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, यूरोप बर्नआउट (Burnout) के बढ़ते स्तर से जूझ रहा है. दरअसल, दुनिया भर में कोविड-19 (COVID-19) संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच लोग इस महामारी से खुद को और दूसरों को बचाने की कोशिश कर रहे हैं. आंकड़े बताते हैं कि कुछ मामलों में 60 फीसदी से अधिक लोग महामारी थकान (Pandemic Fatigue) से जूझ रहे हैं. डब्ल्यूएचओ (WHO) का कहना है कि लोग कोरोना वायरस के भावनात्मक प्रभाव से जूझ रहे हैं और इससे निपटने के लिए कुछ सुरक्षा उपायो (Protective Measures) का पालन करना आवश्यक है.
क्या है महामारी थकान?
डब्ल्यूएचओ ने हाल ही में खुलासा किया है कि यूरोपीय क्षेत्र में सदस्य राज्य आबादी में महामारी थकान का संकेत दे रहे हैं. महामारी संबंधी थकान को डीमोटिवेशन के रूप में परिभाषित किया गया है, जो समय के साथ धीरे-धीरे उभर रहा है और यह कई भावनाओं, अनुभवों व धारणाओं से प्रभावित है. यह महामारी दुनिया भर के लोगों को शारीरिक और मनोवैज्ञानिक तौर पर प्रभावित कर रही है, जिससे लोग भावनात्मक संकट से गुजर रहे हैं. चलिए जानते हैं कोरोना वायरस के भावनात्मक प्रभावों पर कैसे नियंत्रण पाया जा सकता है. यह भी पढ़ें: COVID-19 Sore Throat: गले में खराश की समस्या आम है या कोरोना वायरस संक्रमण का लक्षण? जानें ऐसी स्थिति में क्या करें
हममें से अधिकांश लोग बर्नआउट और थकान की भावना को महसूस कर सकते है, जो मास्क पहनने, निरंतर स्वच्छता और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के कारण हो सकती है. हालांकि जब हम अपने चारों ओर देखते हैं तो हम महामारी की थकान का अलग-अलग लोगों पर विभिन्न तरह के प्रभाव को देख सकते हैं. हालांकि कुछ लोगों में चिड़चिड़ापन और बेचैनी नजर आ रही है, जबकि कुछ लोगों में शांति और प्रेरणा की कमी की समस्या घर करने लगी है जिससे एकाग्रता और सामाजीकरण में कठिनाई हो रही है.
क्या करें?
महामारी थकान से निपटने का तरीका हर व्यक्ति में अलग-अलग हो सकता है. हालांकि यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि आपको इन नकारात्मक भावनाओं से हर हाल में बाहर आना है. आपको कोविड-19 से जुड़े सभी दिशानिर्देशों का सकारात्मकता से पालन करना चाहिए, ताकि आप खुद को और दूसरों को इस संक्रमण से बचा सकें.
- सकारात्मक पहलुओ पर गौर करें. उदाहरण के लिए यह सोचें कि आप सुरक्षात्मक उपायों का पालन करके सिर्फ अपनी नहीं, बल्कि दुनिया की सेवा कर रहे हैं.
- यह सोचें कि आप सुरक्षात्मक उपायों का पालन उन लोगों के लिए कर रहे हैं जो संकट से गुजर रहे हैं.
- यह वक्त भी गुजर जाएगा, भले ही इस महामारी से लड़ाई में अधिक समय लग सकता है, लेकिन यह समय भी गुजर जाएगा.
- यह समय पूरी तरह से अपनी जीवनशैली को बदलने का है, महामारी में स्वस्थ आदतें हेल्दी रहने में आपकी मदद कर सकती हैं.
- परिवर्तन अच्छा है और इससे कोई महत्वपूर्ण सबक सीखा जा सकता है. भले ही रास्ता कितना ही कठिन क्यों न हो. यह भी पढ़ें: COVID-19 Airborne Transmission: हवा के माध्यम से भी फैल सकता है कोरोना वायरस, CDC ने कहा- 6 फीट की दूरी पर मौजूद लोग भी हो सकते हैं संक्रमित
गौरतलब है कि महामारी के इस दौर में आप स्वयं या अपने प्रियजनों को सामाजिकता से पीछे हटते हुए देख सकते हैं, जबकि कुछ लोगों में मेंटल ब्रेकडाउन हो सकता है. कुछ लोग खुद को एकदम हारा हुआ सा महसूस कर सकते हैं, जबकि उनमें खाने और सोने के पैटर्न में बदलाव जैसे लक्षण भी नजर आ सकते हैं. महामारी थकान की संभावना उन युवा वयस्कों में अधिक देखी जा सकती है जो मित्रता और प्रेमपूर्ण संबंध बनाने के लिए सामाजिकरण करते हैं. बहरहाल, ऐसी स्थिति में यह बेहद महत्वपूर्ण है कि आप डब्ल्यूएचओ द्वारा निर्धारित सुरक्षात्मक उपायों का कठोरता से पालन करें, जब तक कि इसका कोई प्रभावी उपचार या कारगर टीका उपलब्ध न हो जाए. इसके साथ ही हाथ धोना, मास्क का इस्तेमाल करना और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना अनिवार्य है.