Breast Cancer Awareness Month 2020: स्तन कैंसर जागरूकता माह जानें तिथि और महत्व, क्यों मनाया जाता है अक्टूबर में ब्रेस्ट कैंसर मंथ
अक्टूबर को स्तन कैंसर जागरूकता माह के रूप में मनाया जाता है, इस महीने बीमारी के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए वार्षिक अभियान चलाया जाता है. हर अक्टूबर दुनिया भर में लोग स्तन कैंसर से प्रभावित लोगों को अपना समर्थन दिखाते हैं.
अक्टूबर को स्तन कैंसर जागरूकता माह के रूप में मनाया जाता है, इस महीने बीमारी के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए वार्षिक अभियान चलाया जाता है. हर अक्टूबर दुनिया भर में लोग स्तन कैंसर से प्रभावित लोगों को अपना समर्थन दिखाते हैं. 1 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक स्तन कैंसर जागरूकता माह के रूप में मनाया जाता है. शुरुआती चरण में स्तन कैंसर का पता लगाने का सबसे अच्छा तरीका मैमोग्राम (mammograms) से होता है. इससे इलाज करना आसान होता है. इस दिन लोग अपनी शर्ट पर गुलाबी रिबन लगाकर उसके पालन के बारे में जागरूकता फैलाने की कोशिश करते हैं. यह भी पढ़ें: महिलाओं के ब्रेस्ट कैंसर का इलाज अब एक गोली से, नहीं लेनी होगी कीमोथेरेपी
स्तन कैंसर के बहुत सारे लक्षण होते हैं और कुछ लोगों में कोई लक्षण नहीं दिखाई देते हैं. आइये हम आपको बताते हैं ब्रेस्ट कैंसर के कुछ लक्षण: यह भी पढ़ें: जाने स्तन कैंसर जैसी बीमारी के लक्षण और बचने के उपाय
स्तन के साइज और शेप में परिवर्तन आना
स्तन के किसी भी क्षेत्र में दर्द.
स्तन से दूध के साथ ब्लड निकलना.
स्तन या अंडरआर्म में गांठ आना
यदि आपको ऊपर दिए गए लक्षणों में से कोई भी लक्षण दिखाई देते हैं, तो आपको तुरंत डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए. स्तन कैंसर जागरूकता माह अक्टूबर में दुनिया भर में जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है. ताकि लोगों को इस बारे में जानकारी मिले और उपचार में मदद मिल सके. हर साल स्तन कैंसर के लगभग 1.38 मिलियन नए मामले और 4,58,000 मौतें होती हैं. विकसित और विकासशील देशों में स्तन कैंसर दुनिया भर में महिलाओं में सबसे आम कैंसर है.
मुख्य समस्या यह है कि वर्तमान में स्तन कैंसर के कारणों के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं है. रोग का जल्द पता लगाना स्तन कैंसर नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. यदि स्तन कैंसर का जल्दी पता चल जाता है और पर्याप्त निदान और उपचार उपलब्ध है, तो जल्दी ठीक हुआ जा सकता है. ब्रेस्ट कैंसर से अधिकांश मौतें निम्न और मध्यम आय वाले देशों में होती हैं, जहां महिलाओं को इसके बारे में शुरूआती पहचान और अन्य मुद्दों पर जागरूकता की कमी के कारण महिलाओं का इलाज देरी से होता है.