Gopashtami 2018: गौ माता की सेवा के पर्व गोपाष्टमी के दिन श्री कृष्ण बने थे ग्वाला, जानें शुभ मुहूर्त व पूजन की आसान विधि 

ऐसी मान्‍यता है कि गोपाष्‍टमी के दिन ही भगवान श्री कृष्‍ण ग्‍वाला बने थे और इसी दिन बाल कृष्ण व बलराम ने गाय चराना शुरू किया था. एक अन्य प्रचलित कथा के अनुसार, श्री कृष्ण ने इसी दिन माता यशोदा से गाय चराने की जिद की थी.

गोपाष्टमी 2018 (Photo Credits: Facebook)

Gopashtami 2018:  हर साल कार्त‍िक मास के शुक्‍ल पक्ष की अष्‍टमी तिथि को गौ माता की सेवा के पर्व को गोपाष्टमी के तौर पर मनाया जाता है. इस बार गोपाष्‍टमी का यह पर्व 16 नवंबर को मनाया जा रहा है. ऐसी मान्‍यता है कि गोपाष्‍टमी के दिन ही भगवान श्री कृष्‍ण ग्‍वाला बने थे और इसी दिन बाल कृष्ण व बलराम ने गाय चराना शुरू किया था. एक अन्य प्रचलित कथा के अनुसार, श्री कृष्ण ने इसी दिन माता यशोदा से गाय चराने की जिद की थी और यशोदा मैया ने कृष्ण के पिता नंद से इसकी अनुमति मांगी थी. कहा जाता है कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को ही श्री कृष्ण ग्वाला बन गए और तभी से लोग उन्हें गोविंदा के नाम से पुकारने लगे.

हर साल गोपाष्टमी के दिन गौ माता की पूजा की जाती है. ऐसी मान्यता है कि गौ माता जहां भी विचरती हैं, वहां सांप-बिच्छू जैसे विषैले जीव नहीं आते हैं. गौ माता में 33 कोटी देवी-देवताओं का वास होता है, ऐसे में गाय की सेवा करने से व्यक्ति को समस्त देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है और उन पर आने वाली सभी विपदाएं दूर होती हैं. चलिए जानते हैं गोपाष्टमी पर किस विधि से गौ माता का पूजन करना चाहिए और क्या है पूजन के लिए शुभ मुहूर्त.

गोपाष्टमी पर गौ सेवा का है अत्यधिक महत्व

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्री कृष्ण की कई बाल लीलाएं प्रचलित हैं, जिनमें गौ माता की सेवा का भी जिक्र मिलता है. गाय को संपूर्ण विश्व की माता कहा जाता है, इसलिए गोपाष्टमी के पर्व को गौ माता की सेवा का मुख्य त्योहार माना जाता है. कहा जाता है कि गोपाष्टमी के दिन गौ सेवा करने से व्यक्ति के जीवन में कोई परेशानी नहीं आती है और उसकी हर इच्छा पूरी होती है.

गोपाष्टमी पूजन का शुभ मुहूर्त 

दिन- 16 नवंबर 2018, शुक्रवार.

तिथि प्रारंभ- 15 नवंबर 2018, 07 बजकर 04 मिनट से,

तिथि समाप्त- 16 नवंबर 2018, 09 बजकर 40 मिनट तक. यह भी पढ़ें: Dev Uthani Ekadashi 2018: देव उठनी एकदशी के दिन जाग जाएंगे भगवान विष्णु, लेकिन मांगलिक कार्यों की शुरुआत नए साल से 

पूजन की आसान विधि- 

 

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