Goa Liberation Day 2024: गोवा मुक्ति दिवस से आजाद गोमांतक दल का क्या संबंध है? जानें इसका इतिहास एवं महत्व इत्यादि!

पुर्तगाली औपनिवेशिक शासन से गोवा की आजादी की स्मृति में हर साल 19 दिसंबर को गोवा मुक्ति दिवस मनाया जाता है. यह दिवस पुर्तगाली शासन के 451 वर्षों के अंत और गोवा के भारत में एकीकरण की याद दिलाता है. गोवा के लिए यह दिवस स्वतंत्रता संग्राम के उत्सव सरीखा है, जो गोवा-मुक्ति के लिए लड़ने वाले अनगिनत क्रांतिकारियों के बलिदान का सम्मान करता है.

Goa Liberation Day 2024 (IMG: File photo)

पुर्तगाली औपनिवेशिक शासन से गोवा की आजादी की स्मृति में हर साल 19 दिसंबर को गोवा मुक्ति दिवस मनाया जाता है. यह दिवस पुर्तगाली शासन के 451 वर्षों के अंत और गोवा के भारत में एकीकरण की याद दिलाता है. गोवा के लिए यह दिवस स्वतंत्रता संग्राम के उत्सव सरीखा है, जो गोवा-मुक्ति के लिए लड़ने वाले अनगिनत क्रांतिकारियों के बलिदान का सम्मान करता है. यह दिवस पुर्तगाली शासन के 451 वर्षों के अंत और गोवा के भारत में एकीकरण की याद दिलाता है. इस वर्ष गोवा अपनी मुक्ति की 63वीं वर्षगांठ मनाने जा रहा है. आइये जानें इस अवसर पर गोवा मुक्ति दिवस के इतिहास, महत्व आदि के बारे में..

गोवा मुक्ति दिवस का इतिहास

साल 1510 से अगले 450 सालों तक गोवा पुर्तगालियों के नियंत्रण में था. 1947 में भारत को ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता मिली, लेकिन गोवा पर पुर्तगालियों का कब्जा बरकरार था. पुर्तगाली प्रशासकों के हठ के खिलाफ गोवा के स्वतंत्रता सेनानियों ने भारत सरकार के समर्थन से गोवा मुक्ति अभियान चलाया. लिहाजा तनाव और संघर्ष बढ़ता गया. उधर भारत सरकार के कूटनीतिक प्रयासों के बावजूद जब सारी कोशिशें नाकाम हो गई, तब भारत सरकार ने 18 दिसंबर 1961 को ऑपरेशन विजय शुरू किया. भारतीय सेना ने 36 घंटों के भीतर पुर्तगालियों को घुटने पर ला दिया. 19 दिसंबर 1961 को पुर्तगाली सेना ने आत्मसमर्पण कर दिया. इस जीत के बाद गोवा, दमन और दीव को भारतीय संघ में शामिल कर लिया. इसके बाद से ही 19 दिसंबर 1961 को गोवा मुक्ति दिवस मनाया जा रहा है. यह भी पढ़ें : Guru Ghasidas Jayanti 2024 Wishes: गुरु घासीदास जयंती पर ये हिंदी WhatsApp Messages, Quotes और GIF Greetings भेजकर दें बधाई

गोवा मुक्ति दिवस का महत्व

गोवा मुक्ति दिवस गोवा के मूल निवासियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण दिन है, क्योंकि यह दिवस पुर्तगाली औपनिवेशिक शासन के सदियों बाद 1961 में गोवा की आधिकारिक मुक्ति और भारतीय संघ में एकीकरण का प्रतीक है. गोवा मुक्ति दिवस आज़ादी हासिल करने वाले क्रांतिकारियों का प्रतिनिधित्व करता है. इस प्रदेश के इतिहास में यह महत्वपूर्ण दिवस है. सांस्कृतिक उत्साह एवं राष्ट्रीय गौरव के साथ मनाया जाने वाला गोवा मुक्ति दिवस क्षेत्र के समृद्धि अतीत और अनूठी संस्कृति और स्थाई भावना का एक इमोशनल अनुस्मारक (Reminder) है.

गोवा मुक्ति दिवस और ‘आजाद गोमांतक दल’

पुर्तगाली दमन से परेशान गोवा के लोगों ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से प्रेरित होकर स्वयं को संगठित करना शुरू किया. पुर्तगालियों को भगाने के लिए 'आजाद गोमांतक दल' के प्रमुख नेताओं में विश्वनाथ लवांडे, नारायण हरि नाईक, दत्तात्रेय देशपांडे और प्रभाकर सिनारी शामिल थे. इन लोगों ने पुर्तगाली पुलिस और बैंकों पर हमले किए. इन सभी को पुर्तगाली पुलिस ने गिरफ्तार कर अंगोला जेल में बंद कर दिया. विश्वनाथ लवांडे और प्रभाकर सिनारी जेल से भागने में कामयाब रहे और क्रांतिकारी आंदोलन चलाते रहे. भारत सरकार ने गोवा को आज़ादी दिलाने हेतु 17 दिसंबर, 1961 को ऑपरेशन विजय शुरु किया. 19 दिसंबर की शाम तत्कालीन पुर्तगाली गवर्नर मेन्यू वासलो डे सिल्ना ने भारत के सामने समर्पण कर दिया.

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