कोरोना महामारी से बचने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए आयुर्वेद की कुछ खास टिप्स
आयुर्वेदिक काढ़ा (Photo Credit- Pixabay)

Ministry of Ayush: आयुष मंत्रालय ने कोरोना से बचने के लिए जो एडवाइजरी जारी की है, लाखों लोग उसका पालन कर रहे हैं. आयुर्वेदिक काढ़ा व दवाएं महामारी के इस दौर में कितना कारगर है, इस पर आयुर्वेद विशेषज्ञ कौशिक दास महापात्रा ने कुछ खास बातें बतायीं. आयुष मंत्रालय द्वारा कुछ विधियां बताई गई हैं, जिसमें काढ़े (Kadha) का प्रयोग करना है. काढ़ा बनाने का सही तरीका क्या होना चाहिए?  इस पर प्रसार भारती से बातचीत में कौशिक महापात्रा ने कहा कि कोविड-19 से बचने के लिए के लिए सोंठ (सूखी अदरक), दालचीनी, मुनक्का, काली मिर्च और तुलसी से काढ़ा बनाया गया है.

उन्होंने कहा, "हम इन चीजों को सही मात्रा में इस्तेमाल कर काढ़ा तैयार कर सकते हैं. जो मरीज ज्यादा पावरफुल मेडिसिन सहन नहीं कर सकते, उनके लिए हम इस काढ़े को उबालने के बाद उसे आधा रखने के लिए कहते हैं और जो लोग पावरफुल मेडिसिन सहन कर सकते हैं उसके लिए काढ़े को और concentrated (गाढ़ा घोल) बनाने के लिए 1/4 रखने के लिए कहते हैं. इस काढ़े से हमें जो फायदा मिल सकता है वो ये है कि यह पूरी बॉडी को प्रोटेक्ट करता जाता है."

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यदि कोई व्यक्ति काढ़े का सेवन करता है तो इसमें मात्रा का ध्यान रखना कितना आवश्यक है, इस पर महापात्रा ने बताया कि जिस काढ़े के सेवन के लिए बताया गया है इसे हमेशा खाना खाने से पहले लेना पड़ेगा. इसका सेवन 20ML यानी चार चम्मच के बराबर प्रात: काल और शाम को 6 बजे के बाद किया जा सकता है. यह काढ़ा पीने के लिए सबसे उपयुक्त समय है.

यदि बच्चे यह काढ़ा पी नहीं पाते तो उनके लिए इसमें मुलेठी और अश्वगंधा का इस्तेमाल किया जा सकता है. ये दोनों ही मीठी दवाई हैं, जिसे वे आसानी से ले सकते हैं. यदि बुजुर्गों में देखें तो इस काढ़े में इस्तेमाल होने वाली सभी चीजें उनके लिए बहुत फायदेमंद हैं, इसलिए वे भी इसे ले सकते हैं. इसके अलावा हल्दी वाला दूध पिए, ये गले के लिए और शरीर के लिए काफी फायदेमंद है. काढा का भी सेवन कर सकते हैं. च्यवनप्राश का सेवन भी कर सकते हैं.