Ayush Kadha: आयुष मंत्रालय (Ayush Kadha) ने शरीर में इम्युनिटी बढ़ाने के लिये आयुर्वेद के सुझाव दिये हैं, जिसमें काढ़ा भी शामिल है. तमाम लोग ऐसे हैं जो नियमित रूप से काढ़ा पी रहे हैं, कुछ जरूरत से ज्यादा पी रहे हैं और कुछ ऐसे हैं, जिन्हें काढ़ा से परेशानी हो रही है. ऐसे में अगर स्वास्थ्य विशेषज्ञ की मानें तो अगर आप स्वस्थ हैं और बचाव के सभी नियमों का पालन कर रहे हैं, तो काढ़ा नहीं भी पिएंगे तो चलेगा. लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज की डॉ. अपर्णा अग्रवाल ने कहा है कि आयुष मंत्रालय ने काढ़ा पीने की सलाह दी है, ताकि इम्युनिटी बढ़ सके. जो कि शरीर में होने वाली किसी भी बीमारी से लड़ते हैं. यह शरीर के लिये काफी फायदेमंद होता है.
अगर आप पूरी तरह स्वस्थ हैं और सभी नियमों का पालन कर रहे हैं तो काढ़ा नहीं भी पिएंगे तो भी चलेगा. उन्होंने बताया कि अगर किसी को काढ़ा पीने से कोई सनस्या आ रही है तो इसलिये क्योंकि कई लोग दिन दो बार कि जगह कई बार काढ़ा का सेवन करन लगे, तो कुछ लोग काढ़ा में पड़ने वाली चिजों का सही अनुपात नहीं प्रयोग कर रहे हैं. इसलिये काढ़ा बनाने के लिए हमेशा आयुष द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों का पालन करें. इससे शरीर को कोई नुकसान नहीं पहुंचता.
भारत में मुख्य इन तीन वजहों से रिकवरी रेट बढ़ी
वहीं इम्युनिटी बढ़ाने के लिये आयुष मंत्रालय ने कई सलाह दी है, इस बीच अगर वायरस के केस को देखें तो केस भले ही बढ रहें हैं लेकिन रिकवरी रेट भी हमारे देश की काफी अच्छी है तो डेथ रेट बहुत ही कम है. इसकी वजह के बारे में बताते हुये डॉ. अपर्णा कहती हैं कि अभी कोई निश्चित शोध सामने नहीं आया है, लेकिन कई लोग अलग-अलग शोध कर रहे हैं, जिसमें भारतीयों की इम्युनिटी अन्य देशों की तुलना में मजबूत मानी जा रही है. दूसरी बात यह कि भारत में बीसीजी वैक्सीनेसन होती है, जो लोगों से वायरस से लड़ने में मदद कर रही है. तीसरा सही समय पर सही दवाइयों का प्रयोग करने से मरीजों की स्थिति में सुधार देखा जा रहा है.
बड़े शहरों में कम हो रहे केस
प्रसार भारती से बातचीत में उन्होंने बताया कि वायरस के संक्रमण को कंट्रोल करने के लिए अब हम काफी चीजें कर रहे हैं. कई दवाइयां आ गई हैं, इसलिये गंभीर रूप से संक्रमित मरीजों के उपचार में सफलता मिल रही है. लेकिन ध्यान रहे, अभी भारत में कोरोना पूरी तरह कंट्रोल नहीं हुआ है. इसलिए सभी को सतर्क रहना है. अब केस नई-नई जगहों पर बढ़ रहे हैं, मेट्रो शहरों में कर्व फ्लैट हो रहा है और केस पहले से कम आ रहे हैं.