VIJAYA EKADASHI 2020: भगवान शिव ने भी मानी इस व्रत की महिमा! जानें पूजा विधान एवं किन बातों का रखें ध्यान!
मान्यता है कि प्रभु श्रीराम ने भी लंका पर चढ़ाई कर रावण का संसार करने के लिए भी विजया एकादशी के व्रत का पालन किया था. ज्योतिषियों का कहना है कि इस दिन विजया एकादशी का व्रत एवं श्रीहरि की पूजा अर्चना करने से शत्रुओं का नाश होता है, नौकरी की समस्या से मुक्ति मिलती है, व्यवसाय में आने वाला गतिरोध दूर होता है और स्वास्थ लाभ होता है.
VIJAYA EKADASHI 2020: विभिन्न वेद और पुराणों में हर एकादशी का महत्व बताया गया है. प्रत्येक माह शुक्लपक्ष और कृष्णपक्ष में दो एकादशी व्रत होते हैं. फाल्गुन मास की एकादशी को विजया एकादशी कहते हैं. यह एकादशी चूंकि महाशिवरात्रि से 2 दिन पहले पड़ती है, इसलिए इसका महत्व ज्यादा हो जाता है. इस वर्ष विजया एकादशी 19 फरवरी अर्थात आज है. पद्म पुराण में वर्णित है कि स्वयं महादेव यानी भगवान शिव ने महर्षि नारद मुनि को उपदेश देते हुए बताया था कि एकादशी का व्रत बहुत पुण्यदायी होता है, जो व्यक्ति एकादशी का व्रत रखता है, वष्णु जी की पूजा अर्चना करता है, उसे तो अपार पुण्य की प्राप्ति तो होती ही है, साथ ही उसके पितृ और अन्य पूर्वज जो कुयोनि भुगत रहे होते हैं, उन्हें भी विष्णु लोक की प्राप्ति हो जाती है.
मान्यता है कि प्रभु श्रीराम ने भी लंका पर चढ़ाई कर रावण का संसार करने के लिए भी विजया एकादशी के व्रत का पालन किया था. ज्योतिषियों का कहना है कि इस दिन विजया एकादशी का व्रत एवं श्रीहरि की पूजा अर्चना करने से शत्रुओं का नाश होता है, नौकरी की समस्या से मुक्ति मिलती है, व्यवसाय में आने वाला गतिरोध दूर होता है और स्वास्थ लाभ होता है.
विजया एकादशी व्रत और पूजन विधि
विजया एकादशी के दिन प्रातःकाल स्नानादि से निवृत्त होकर साफ वस्त्र धारण करें. एकादशी व्रत का संकल्प लें. घर के मंदिर के सामने एक वेदी बनाएं. उस पर 7 प्रकार के अन्न (गेहूं, चना, जौ, चावल, उड़द, मूंग और बाजरा) रखें. इस पर भगवान विष्णु की प्रतिमा अथवा तस्वीर रखें. अब एक मिट्टी अथवा तांबे के कलश को अलंकृत करके, इस पर एक ओर स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं और वेदी के ऊपर रख दें. इस कलश में जल के साथ, रोली, अक्षत, सुपारी, सिक्का डालें, उसके चारों ओर आम अथवा अशोक के पांच पत्ते रखकर ऊपर से एक बड़ा दीया रखें. इसमें सतह तक चावल बिछाएं और इसके बीचो-बीच एक छोटा मिट्टी का दीया रखकर इसमें गाय का शुद्ध घी का दीपक जलाएं.
अब भगवान विष्णु के सामने मौसमी फल, पीले रंग के पुष्प, तुलसी के पत्ते अर्पित करते हुए ‘ओम नमो भगवते वासुदेवाय’ और ‘ओम ब्रह्म बृहस्पताय नमः’ का जाप करें. धूप जलाकर विधिवत पूजा अर्चना करें. इसके बाद विष्णु जी की आरती उतारें. विष्णुजी की एक पूजा सायंकाल के समय भी करना चाहिए. इसके बाद फलाहार ग्रहण करें. एकादशी की रात जागरण का विशेष विधान होता है. रात्रि भर जागकर विष्णुजी का कीर्तन भजन करना चाहिए. अगले दिन सुबह उठकर स्नान आदि से फारिग होने के बाद ब्राह्मण को भोजन कराएं और दान दक्षिणा देकर खुशी-खुशी विदा करने के बाद स्वयं भोजन ग्रहण करें.
विजया एकादशी पर बरतें ये सावधानियां
* खड़े होकर या जमीन पर बैठकर नहीं बल्कि आसन पर बैठ कर ही पूजा करें, वरना यथेष्ठ फल की प्राप्ति नहीं होगी.
* पूजा करते समय तुलसी दल अवश्य चढ़ाएं
* सामर्थ्यनुसार ब्राह्मणों को भोजन करायें
* विजया एकादशी के दिन पूजा करते समय हल्के रंग के कपड़े पहनें.
* सुबह और शाम जब पूजा करें तो स्वच्छ वस्त्र ही पहनें.
* घर में सात्त्विक भोजन बनाएं, लहसुन और प्याज का इस्तेमाल नहीं करें.
* पूरी पूजा शांति और एकाग्रता के साथ करें.
विजया एकादशी की तिथि और शुभ मुहूर्त
विजया एकादशी की तिथि: 19 फरवरी 2020
एकादशी तिथि: 19 फरवरी 2020 को दोपहर 03 बजकर 02 मिनट तक
पारण का समय: 20 फरवरी 2020 को सुबह 06.56 बजे से 09.11 बजे तक
नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को प्रचलित मान्यताओं के आधार पर सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है और यह लेखक की निजी राय है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.