Teej Vrat 2024: हरियाली, कजरी और हरतालिका तीज में कौन-सी तीज है सबसे महत्वपूर्ण? जानें इन तीनों तीज के बारे में विस्तार से!

सावन और भाद्रपद माह के बीच तीन विभिन्न तिथियों में विभिन्न नामों से तीज पर्व मनाए जाते हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष श्रावण शुक्ल पक्ष तृतीया को हरियाली तीज (07 अगस्त 2024), भाद्रपद कृष्ण पक्ष तृतीया को कजरी तीज (22 अगस्त 2024) और भाद्रपद शुक्ल पक्ष तृतीया को हरितालिका तीज (06 सितंबर 2024) को मनाया जायेगा.

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सावन और भाद्रपद माह के बीच तीन विभिन्न तिथियों में विभिन्न नामों से तीज पर्व मनाए जाते हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष श्रावण शुक्ल पक्ष तृतीया को हरियाली तीज (07 अगस्त 2024), भाद्रपद कृष्ण पक्ष तृतीया को कजरी तीज (22 अगस्त 2024) और भाद्रपद शुक्ल पक्ष तृतीया को हरितालिका तीज (06 सितंबर 2024) को मनाया जायेगा. पंद्रह दिनों के अंतराल पर पड़ने वाले इन तीनों तीज की तिथियां, एवं नाम भले अलग-अलग हों, लेकिन व्रत-पूजा की विचारधारा, मान्यताएं और विधियां एक हैं. तीनों ही दिन तीज माता जिसे माँ पार्वती का एक स्वरूप माना जाता है के साथ भगवान शिव पूजा की जाती है, तीनों ही व्रत सुहागन महिलाएं अपने पति की अच्छी सेहत और दीर्घायु के बेहद कठिन व्रत रखती हैं.

कौन हैं तीज माता?

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार श्रावण मास की तृतीया तिथि को माता पार्वती ही तीज माता के रूप में अवतरित हुईं थीं. हरियाली तीज, कजरी तीज अथवा हरितालिका तीज पर्व पर देवी पार्वती स्वरूपा तीज माता की पूजा-अनुष्ठान की जाती है. जानकारों के अनुसार हरियाली तीज को छोटी तीज, कजरी तीज को बड़ी तीज और हरतालिका को मझली तीज कहा जाता है. लेकिन तीनों ही तीजों का पुण्य-फल एवं महत्व समान है.

तीज पर्व का महत्व

तीज महिलाओं का महत्वपूर्ण पर्व है. इस दिन महिलाएं माता पार्वती और भगवान शिव की संयुक्त पूजा-व्रत रखती हैं. तीज व्रत विवाहित एवं अविवाहित महिलाएं क्रमशः अपने पति की दीर्घायु और अच्छे जीवन-साथी की कामना पूर्ति के लिए रखती हैं. हरियाली और फूलों के स्वागत के लिए सावन और भाद्रपद माह में तीनों तीज मनाई जाती है. हरियाली और फूलों का स्वागत हेतु सावन और भाद्रपद माह में तीज का पर्व मनाया जाता है. पौराणिक ग्रंथों के अनुसार इसी दिन भगवान शिव ने हिमालय राज की पुत्री पार्वती को उनकी कठिन तपस्या के बाद पत्नी के रूप में स्वीकारा था.

मान्यता है कि माता पार्वती शैलपुत्री के रूप में अवतरित हुई थीं और पार्वती की सखी अलीका ने देवी पार्वती का अपहरण किया था, ताकि देवी पार्वती भगवान शिव से विवाह के अपने संकल्प को पूरा कर सकें. इस कारण इसे हरित शब्द (हरियाली और हरितालिका) दिया गया. यहां हरतालिका का संधि-विच्छेद करने पर हरित का अर्थ हर लेना (अपहरण) और आलिका का आशय महिला मित्र है.

एक तीज के विभिन्न रूप

गौरतलब है कि हरियाली तीज मुख्यतया हरियाणा, पंजाब चंडीगढ़ और दिल्ली जैसे उत्तर भारतीय राज्यों में मनाया जाता है, वहीं कजरी तीज उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार और मध्य प्रदेश जैसे मध्य भारत में और हरतालिका तीज उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों, झारखंड एवं महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में मनाया जाता है. इस तरह सुहागिनों का यह पर्व संपूर्ण भारत में विभिन्न तिथियों एवं नामों से मनाया जाता है.

तीज! परंपराओं एवं रीति-रिवाजों का उत्सव!

विभिन्न तीजों की परंपराएं एवं रीति-रिवाज समान हैं. तीनों तीज पर व्रती महिलाएं निर्जल उपवास रखती हैं. हाथों पर मेहंदी रचाती हैं, नवविवाहित दुल्हनों की तरह सोलह श्रृंगार करती हैं. पूरे दिन कठिन उपवास के बावजूद भगवान शिव एवं देवी पार्वती के प्रति गहरी निष्ठा उनमें अलौकिक ऊर्जा का ऐसा संचार करती हैं, कि पूरे उत्साह के साथ नृत्य करती हैं, कजरी (उत्तर-पूर्व लोकगीत की एक शैली) गाती हैं, और ऊंचे-ऊंचे पेंगों के साथ झूला झूलती हैं. उनका उत्साह देखकर ऐसा लगता ही नहीं कि पिछले 18-20 घंटे से उन्होंने गले के नीचे पानी की एक बूंद तक नहीं उतारी है.

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