Sharad Purnima 2024: कब है शरद पूर्णिमा? इस रात की खीर अमृत तुल्य क्यों मानी जाती है? जानें शरद पूर्णिमा का महत्व एवं इससे जुड़ी रोचक बातें!

शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima), जिसे ‘कोजागरी पूर्णिमा’ (Kojagari Purnima) भी कहा जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है. इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है. मान्यता है कि इस रात्रि धन की देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं. इस रात्रि जागरण करते हुए देवी लक्ष्मी की पूजा करने वाले जातक पर माता लक्ष्मी की विशेष कृपा बरसती है...

शरद पूर्णिमा (Photo: File Image)

Sharad Purnima 2024: शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima), जिसे ‘कोजागरी पूर्णिमा’ (Kojagari Purnima) भी कहा जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है. इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है. मान्यता है कि इस रात्रि धन की देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं. इस रात्रि जागरण करते हुए देवी लक्ष्मी की पूजा करने वाले जातक पर माता लक्ष्मी की विशेष कृपा बरसती है. मां लक्ष्मी के साथ इस दिन चंद्रमा की भी पूजा की परंपरा है. मान्यता यह भी है कि इस रात चंद्रमा की रोशनी में रखी खीर खाने से शरीर निरोग रहता है. आइये जानते हैं शरद पूर्णिमा के संदर्भ में कुछ रोचक बातें. यह भी पढ़ें: Diwali 2024 Date & Time: कब है दीपावली? ज्योतिषाचार्य से जानें धनतेरस से लेकर भाई दूज पर्व की मूल तिथियां एवं सेलिब्रेशन!

शरद पूर्णिमा की मूल तिथि एवं चंद्रोदय का समय

इस साल शरद पूर्णिमा 16 अक्टूबर 2024 को मनाया जा सकेगा.

आश्विन शुक्ल पक्ष पूर्णिमा प्रारंभ 08.40 PM (16 अक्टूबर 2024, बुधवार)

आश्विन शुक्ल पक्ष पूर्णिमा समाप्तः 04.55 PM (17 अक्टूबर 2024, गुरुवार)

चंद्रोदय 05.07 PM

शरद पूर्णिमा का महत्व

साल के सभी बारह पूर्णिमा में शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व है. इसे शरद पूनम, रास पूर्णिमा और कोजागिरी पूर्णिमा भी कहते हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार शरद पूर्णिमा की रात भगवान श्रीकृष्ण ने राधा और गोपियों के संग रास रचाया था, इसलिए इसे रास पूर्णिमा भी कहा जाता है. एक अन्य मान्यता के अनुसार शरद पूर्णिमा की रात देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं, और अपने भक्तों को आशीर्वाद देती हैं.

शरद पूर्णिमा की रात की खीर

वैज्ञानिक मतों के अनुसार शरद पूर्णिमा की रात को चांदनी रोशनी में कुछ ऐसे तत्व होते हैं, जो हमारे तन और मन को शुद्धता प्रदान कर पॉजिटिव ऊर्जा प्रदान करते हैं. मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के चन्द्रमा की किरणें अमृतमयी होती हैं, इसलिए शरद पूर्णिमा की रात केसर की खीर बनाकर चांदनी रोशनी में रखने से चंद्रमा की किरणों के माध्यम से अमृत जैसे औषधीय गुण आ जाते हैं. इसलिए इस रात खीर को जालीदार कपड़े से ढक कर रखने के बाद अगली सुबह ब्रह्म मुहूर्त में माता लक्ष्मी को खीर का भोग लगाकर परिवार में बांट दिया जाता है.

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