Sharad Navratri 2022: आज करें माता महागौरी के साथ, कन्या-पूजन! ऐसे करें पूजा-अनुष्ठान! मिलेगा अक्षुण्य पुण्य-फल!

आश्विन मास प्रतिपदा से शारदीय नवरात्र शुरु होकर नवमी तक माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा होती हैं. बहुत से भक्त पूरे नौ दिनोँ तक उपवास रखते हैं. अष्टमी (3 अक्तूबर) का दिन नवरात्रि के अति शुभ दिनों में माना जाता है.

माता महागौरी (Photo Credits: File Image)

Sharad Navratri 2022: आश्विन मास प्रतिपदा से शारदीय नवरात्र शुरु होकर नवमी तक माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा होती हैं. बहुत से भक्त पूरे नौ दिनोँ तक उपवास रखते हैं. अष्टमी (3 अक्तूबर) का दिन नवरात्रि के अति शुभ दिनों में माना जाता है. इस दिन महागौरी की पूजा-अर्चना के साथ-साथ कन्या-पूजन का भी विधान है. मान्यता है कि ऐसा करने से जातक को अक्षुण्य पुण्य फलों की प्राप्ति होती है. उसके जीवन के सारे कष्ट और समस्याओं का समाधान होता है. आइये जानें क्या है, इस महा अष्टमी का महत्व, मुहूर्त, पूजा अनुष्ठान, मंत्र एवं कन्या पूजन. यह भी पढ़े: Shardiya Navratri 8th Day 2021: आज होगी माँ महागौरी की पूजा! धन-प्राप्ति के साथ होती हैं सभी मनोकामनाएं पूरी!

माता महागौरी का दिव्य स्वरूप!

वृषभ पर सवार माता महागौरी का स्वरूप अत्यंत सौम्य एवं सुशील है. इनकी चार भुजाएं हैं. मान्यता है कि इस दिन माता महागौरी की पूजा करने वाले श्रद्धालुओं पर मां की विशेष कृपा बरसती है. माता महागौरी बेहद प्रिय है, इसलिए इस दिन उन्हें नारियल और नारियल से बनी मिष्ठानों का भोग लगाया जाता है. ऐसा करने से महागौरी बहुत प्रसन्न होती हैं.

महागौरी की पूजा के नियम!

शरद नवरात्रि के आठवें दिन माता महागौरी की पूजा का विधान है. प्रातःकाल सूर्योदय से पूर्व स्नानादि से निवृत होकर देवी महागौरी की संपूर्ण विधि से पूजा करें. सर्वप्रथम देवी की प्रतिमा पर गंगाजल का छिड़काव करें. माता महागौरी के सामने धूप दीप प्रज्वलित करें. अब पंचामृत (कच्चा दूध, दही, शहद, शक्कर और पंचमेवा से निर्मित) वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण,पान, सुपारी, पुष्प-हार (संभव हो तो रात की रानी का फूल लें.) सुगंधित द्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, फल, धूप, कपूर, लौंग आदि अर्पित करें, और निम्न मंत्र का जाप करें.

या देवी सर्वभूतेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता.

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:

अष्टमी तिथि एवं पूजा का शुभ मुहूर्त

अष्टमी प्रारम्भ: 06.47 P.M. (02 अक्टूबर 2022) से

अष्टमी समाप्त: 04.37 P.M. (03 अक्टूबर 2022)

तक

संधि पूजा का मुहूर्त: 04.14 P.M. से 05.02 P.M. तक (3 अक्टूबर 2022)

राहुकाल: 07.33 A.M. से 11.57 A.M. तक

अभिजीत मुहूर्त: 11.34 A.M. से 12. 21 P.M. तक (3 अक्तूबर, 2022)

कन्या पूजन का महत्व!

नवरात्र की अष्टमी के दिन कन्या-पूजन का विशेष महत्व है. कुछ लोग नवमी के दिन कन्या-पूजन करते हैं. मान्यता है कि 9 दिन व्रत रहने वालों के लिए कन्या पूजन जरूरी होता है, तभी व्रत का संपूर्ण फल प्राप्त होता है. देवी पुराण के अनुसार 2 से 10 साल की कन्याओं में दुर्गाजी वास करती हैं, इसलिए अष्टमी या नवमी के दिन 9 कन्याओं और एक लड़के को पूरे मान-सम्मान के साथ भोजन करवा कर, उन्हें यथोचित उपहार देकर, उनके चरण स्पर्श उनका आशीर्वाद ग्रहण करना चाहिए. हिंदू मान्यताओं के अनुसार कन्या पूजन का अक्षुण्य पुण्य की प्राप्ति होती है.

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