Shab E Meraj Mubarak 2021 Hindi Messages in Hindi: इस्लाम धर्म में मनाए जाने वाले प्रमुख पर्वों में शुमार शब-ए-मेराज (Shab E Meraj) का खास महत्व बताया जाता है. इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, रजब (Rajab) की सत्ताईसवीं रात यानी शब-ए-मेराज की रात पैगंबर मोहम्मद साहब (Prophet Muhammad) ने सातों आसमानों की यात्रा करके जन्नत में शरीर के साथ अल्लाहतआला से मुलाकात की थी. यह घटना इसलिए भी बेहद महत्वपूर्ण और चमत्कारिक है, क्योंकि इसी रात पैगंबर मोहम्मद साहब ने मक्का से येरुशलम की चालीस दिन की यात्रा महज कुछ ही घंटों में तय कर ली थी, फिर सातों आसमानों की यात्रा करके सशरीर अल्लाहतआला के दर्शन प्राप्त किए थे. इस्लाम धर्म की मान्यताओं के अनुसार, इस्लामिक चंद्र कैलेंडर के रजब महीने की 27वीं रात को अल्लाह के रसूल हजरत मुहम्मद सल्लल्लाह अलैह व सल्लम की अल्लाह से मुलाकात हुई थी, इसलिए इस रात को मुहम्मद सल्लल्लाह अलैह व सल्लम की अल्लाह से मुलाकात की पाक रात भी कहा जाता है.
दुनिया भर के मुसलमान शब-ए-मेराज यानी शबे-मेराज को बहुत धूमधाम से मनाते हैं. इस दिन लोग पूरे दिन अल्लाह की इबादत करते हैं, इसके साथ ही अपने करीबियों, रिश्तेदारों और दोस्तों को इस दिन की बधाई भी देते हैं. आप भी इन हिंदी मैसेजेस, वॉट्सऐप स्टिकर्स, फेसबुक ग्रीटिंग्स, जीआईएफ इमेजेस और कोस्ट के जरिए अपनों तो शब-ए-मेराज मुबारक कह कर इस पर्व की खुशियां उनके साथ बांट सकते हैं.
1- आज एक हंसी और बांट लो,
आज एक दुआ और मांग लो,
आज एक आंसू और पी लो,
आज एक जिंदगी और जी लो,
आज एक और सपना देख लो,
क्योंकि क्या पता कल हो ना हो.
शब-ए-मेराज मुबारक
2- या अल्लाह इससे पहले कि ये दुनिया मुझे रुसवा कर दे,
तू मेरे जिस्म, मेरी रूह को अच्छा कर दे,
ये जो हालत है मेरी, मैंने बनाई है मगर,
जैसा तू चाहता है अब मुझे वैसा कर दे,
मेरे हर फैसले में तेरी रजा शामिल हो,
जो तेरा हुक्म हो, वो मेरा इरादा कर दे.
शब-ए-मेराज मुबारक
3- किसकी है आमद आज,
आसमान के सर पर,
बहुत देर से चांद भी,
मुस्कुराए जा रहा है.
शब-ए-मेराज मुबारक
4- किस्मत बदल जाएगी, जरा दिल से दुआ करो,
दुनिया भी हिल जाएगी, अगर दिल से दुआ करो,
दिन रात में एक लम्हा कबूलियत की घड़ी है,
मंजिल भी मिल जाएगी, अगर दिल से दुआ करो.
शब-ए-मेराज मुबारक
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5- रहमतों की है ये रात,
नमाजों का रखना साथ,
मनवा लेना रब से हर बात,
और दुआओं में रखना याद.
शब-ए-मेराज मुबारक
शब-ए-मेराज को रात के समय मस्जिदों में विशेष प्रार्थनाओं का आयोजन किया जाता है और मोहम्मद साहब की अल्लाहतआला से मुलाकात का जश्न मनाने के लिए मस्जिदों को खास तौर पर सजाया जाता है. इस दिन कई जगहों पर जुलूस और मेले का आयोजन किया जाता है. गौरतलब है कि मोहम्मद साहब की इस यात्रा के दो भाग हैं. इस यात्रा के पहले हिस्से को इसरा और दूसरे हिस्से को मेराज कहा जाता है.