Sankashti Chaturthi 2019: पति और पुत्र की लंबी उम्र के लिए महिलाएं रखती हैं संकष्टी चतुर्थी का व्रत, इस विधि से करें भगवान गणेश की पूजा

फाल्गुन मास की संकष्टी चतुर्थी 22 फरवरी शुक्रवार को है. फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन दुण्डिराज श्री गणेश जी के पूजन का विधान है. मान्यता है कि पूरे वर्ष चतुर्थी का व्रत एवं दान-पुण्य करने से गणेश जी समस्त कामनाओं की पूर्ति करते हैं.

गणेश भगवान (Photo Credits wikimedia)

Sankashti Chaturthi 2019: श्री गणेश जी को सभी तिथियों में चतुर्थी की तिथि सर्वाधिक प्रिय है. गणेश संकष्ट व्रत हर माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन पड़ता है. चतुर्थी की तिथि माह में दो बार आती है, एक शुक्ल पक्ष में दूसरा कृष्ण पक्ष में. शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायकी चतुर्थी कहते हैं और कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी के नाम से जाना जाता है. फाल्गुन मास की संकष्टी चतुर्थी 22 फरवरी शुक्रवार को है. फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन दुण्डिराज श्री गणेश जी के पूजन का विधान है. मान्यता है कि पूरे वर्ष चतुर्थी का व्रत एवं दान-पुण्य करने से गणेश जी समस्त कामनाओं की पूर्ति करते हैं.

संकष्टी चतुर्थी का आशय है संकट को हरने वाली चतुर्थी. गणेश जी की प्रथम आऱाध्य देवता के रूप में पूजा की जाती है. किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत करने से पहले भगवान गणपति जी का आराधना की जाती है. मान्यता है कि किसी भी देवता या देवी का पूजन जब तक निर्रथक है जब तक गणेश जी की पूजा न कर ली जाए. इस बात की व्याख्या शिवपुराण, स्कंद पुराण, अग्नि पुराण एवं ब्रह्मवैवर्त पुराण आदि में स्पष्ट रूप से मिलती है. यह भी पढ़ें: Sankashti Chaturthi 2019: आज है गणेश संकष्टी चौथ, विघ्नहर्ता भगवान गणेश को समर्पित है यह दिन

'विद्यारम्भे विवाहे च प्रवेशे निर्गमे तथा।

संग्रामे संकटे चैव विघ्नस्तस्य न जायते।।

कैसे करें पूजन?

इस दिन महिलाएं विशेषकर माएं पूरे दिन निर्जल व्रत रखती हैं. सुबह स्‍नान के पश्‍चात साफ कपड़े पहन कर गणेशजी की प्रतिमा को एक चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाकर उस पर पूरे विधि-विधान के साथ भगवान श्रीगणेश जी की प्रतिमा को ईशान कोण में स्‍थापित किया जाता है. गणेशजी की पूजा के लिए जल, अक्षत, दूर्वा, लड्डू, पान, सुपारी और धूप आदि का विशेष तौर पर उपयोग होता है.

पूजा की शुरुआत 'ओम गणेशाय नम:' मंत्र का जप करते हुए करनी चाहिए. मान्यता है कि संकष्टी व्रत करने वाले भक्तों पर विध्न-विनाशक गणेश जी की विशेष अनुकंपा रहती है और उनके सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है. श्री गणेश संकष्टी चतुर्थी का उपवास जो पूर्ण श्रद्धा व विश्वास के साथ करता है, उसे बुद्धि और ऋद्धि-सिद्धि तीनों की प्राप्ति होती है और जीवन में आनेवाली तमाम विध्न बाधाओं का भी नाश होता है. व्रत एवं गणेश जी के पूजन के पश्चात ब्राह्मण को भोजन करवाने से अर्थ-धर्म-काम-मोक्ष सभी अभिलाषित पदार्थ प्राप्त किए जा सकते हैं. यह बात गणेश पुराण में भी उल्लेखित है. यह भी पढ़ें: Sankashti Chaturthi Vrat in Year 2019: संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने वालों के जीवन से सारे कष्ट दूर करते हैं भगवान गणेश, देखें साल 2019 में पड़नेवाली तिथियों की लिस्ट

प्रचलित कथा

नारद पुराण में संकष्टी व्रत की कथा और पूजन विधि विस्तार से वर्णित है. बताया जाता है कि पांडव जब वनवास झेल रहे थे, तब उन्होंने महर्षि वेद व्यास जी से अपने संकटों के निवारण का आध्यात्मिक समाधान पूछा, तब महर्षि ने पांडवों को इस व्रत का विधान बतलाया. ऐसी मान्यता है कि द्रौपदी ने यह व्रत रखा था और इसी के प्रताप से पांडवों को समस्त बाधाओं से मुक्ति मिली.

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