Rajmata Jijabai Punyatithi 2022: एक शेरनी ही शेर को जन्म देती है! जानें माँ जीजाबाई और छत्रपति शिवाजी के जीवन के प्रेरक प्रसंग!
एक कहावत मशहूर है कि हर सफल पुरुष के पीछे एक महिला का हाथ होता है. यह महज एक कहावत हो सकती है, लेकिन जब-जब छत्रपति शिवाजी महाराज की वीरता, कार्यकुशलता,रण-चातुर्य, कूटनीति और महिला सम्मान की बात होगी तो मां जीजाबाई की चर्चा बिना पूरी नहीं होगी
Rajmata Jijabai Punyatithi 2022: एक कहावत मशहूर है कि हर सफल पुरुष के पीछे एक महिला का हाथ होता है. यह महज एक कहावत हो सकती है, लेकिन जब-जब छत्रपति शिवाजी महाराज की वीरता, कार्यकुशलता,रण-चातुर्य, कूटनीति और महिला सम्मान की बात होगी तो मां जीजाबाई की चर्चा बिना पूरी नहीं होगी. कहने का आशय इन माँ-पुत्र की कहानी यह साबित करती है कि एक पुरुष की सफलता के पीछे एक महिला का हाथ हो सकता है. आज माँ जीजाबाई की पुण्यतिथि (17 जून) के अवसर पर हम जीजाबाई एवं छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन से संबंधित कुछ प्रेरक प्रसंगों की बात करेंगे. जीजाबाई (जिजाऊ) का जन्म 12 जनवरी 1598 ई. में सिंदखेड़ (अब बुलढाणा, महाराष्ट्र) में हुआ. इनके पिता लखुजी जाधव सिंदखेड के राजा थे. माँ महालसा बाई धार्मिक विचारों वाली महिला थीं. पिता ने उनका नाम जीजाबाई का नाम प्यार से ‘जिजाऊ’रखा था. कहते हैं, जीजाबाई अपने पिता के पास बहुत कम रही और उनकी बहुत ही छोटीउम्र में शादी कर दी गई थी.
उन दिनों बाल विवाह की परंपरा खूब फल-फूल रही थी. शिवनेरी दुर्ग मेंपैदा हुए शिवाजी बड़े होने पर शाह जी, बीजापुर दरबार में राजनयिक बनाए गए. बीजापुर के सुल्तान ने शाहजी की मदद से कईयुद्ध जीता. सुल्तान ने उनके शौर्य और बहादुरी से खुश होकर तोहफे में कई जागीरें दी थी. इन्हीं में एक था, शिवनेरी का दुर्ग.शाहजी जीजाबाई की सुरक्षा का ध्यान रखते हुए अभेद कहे जाने वाले शिवनेरी दुर्ग में जीजाबाई को रखा था. यहीं पर जीजा बाई ने 6 पुत्रियों व दो पुत्रों को जन्म दिया. इनमें एक शिवाजी थे. यह भी पढ़े: Rajmata Jijabai Punyatithi 2021: जानें कैसे संघर्षों, विपत्तियों एवं त्रासदियों से जूझते हुए जीजामाता ने शिवाजी को छत्रपति बनाया?
कहते हैं कि शिवाजी के जन्म के समय शाहजी जीजाबाई के पास नहीं थे. एक युद्ध में उन्हें मुस्तफा खाँ ने बंदी बना लिया था. 12 वर्ष बाद शाहजी और शिवाजी की मुलाकात हुई. भवानी की भक्त थीं जीजाबाई मराठा साम्राज्य बड़े साहस एवंबुद्धिमता से स्वराज स्थापित करने में सफल रहीं. बताया जाता है कि एक बार महिलाओं पर हो रहे अत्याचार से दुःखी होकर जीजाबाई ‘माँ भवानी’ केमंदिर गयीं, और उनसे प्रार्थना कीं कि वे कैसे महिलाओं को अभय दिलायें. तब मां भवानी ने संकेत दिया किशिवाजी इस कार्य को भी पूरा करेंगे. माँ जीजा से मिली शिक्षा और संस्कारों का पालन करते हुए शिवाजी ताउम्र महिलाओं को सुरक्षा और सम्मान देते रहे.
एक बार सैनिकों द्वारा मुगल महिलाओं को उठा लाने पर शिवाजी बहुत नाराज हुए थेऔर चेतावनी देते हुए कहा था, कि वे सभी मुगल महिलाओं को ससम्मान उनके घर पहुंचाए और दोबारा ऐसी गलती नहीं होनी चाहिए. शिवाजी भी मां भवानी के अनंत भक्त थे. शिवाजी केपास ‘भवानी’ नामक एक तलवार भीथी. शिवाजी की सफलता कास्रोत थीं जीजामाता! शिवाजी अपनी मां को अपना मित्र, मार्गदर्शक और प्रेरणा स्त्रोत मानते थे. माँ के मार्ग निर्देशन में उन्होंनेहिन्दू साम्राज्य स्थापित की. जीजाबाई ने शिवाजी को बचपन से ही रामायण, महाभारत एवं गीता के साथ-साथ तमाम शौर्यवीरों की कथाएं सुनाई, जिसके कारण शिवाजी को धर्म-कर्म के साथ-साथ आम जनता के प्रति जिम्मेदारियों का एहसास हुआ. उन्होंने 17 वर्ष की आयु में मराठा सेना बनाकर अपने प्रतिद्वंदियों को परास्त कर किले दर किले जीतने का सिलसिला शुरु किया था.
जीजाबाई की चुनौतियों को अपना शस्त्र बनाकर दुश्मनों के हाथ लग चुके शिवनेरी दुर्ग पर पुनःकब्जा किया, हालांकि इस प्रयास में उन्हें अपने प्रिय पुत्र को खोनापड़ा. इसके बाद तमाम किलों पर अपना परचम लहराते हुए मराठा साम्राज्य स्थापित किया.साल 1731 में रायगढ किले में छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेकस्वयं मां जीजाबाई ने किया. जीजाबाई कानिधन छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक करने के कुछ ही दिनों के बाद 17 जून 1674 को 76 साल की उम्र में राजमाता जीजाबाई का निधन होगया. शिवाजी ने अपनी सफलता का श्रेय हमेशा अपनी माँ ‘जीजाबाई’ को दिया है.