Pitru Paksha 2021: पितृपक्ष के दिन ये गलतियां कर पितरों को ना करें नाराज!
सनातन धर्म में माता-पिता की सेवा परमधर्म माना जाता है. इसलिए शास्त्रों में दिवंगत हो चुके पितरों का उद्धार करना पुत्र का अहम कर्तव्य माना गया हैं. अपने ही जन्मदाता माता-पिता को मृत्योपरांत पुत्र भुला ना दें, इसलिए उनका श्राद्ध करने का विशेष विधान बताया गया है. श्राद्ध पखवारा यानी पितृपक्ष प्रत्येक वर्ष आश्विन मास के शुक्लपक्ष की पूर्णिमा से शुरू होकर आश्विन में अमावस्या के दिन समाप्त होता है.
Pitru Paksha 2021: सनातन धर्म में माता-पिता की सेवा परमधर्म माना जाता है. इसलिए शास्त्रों में दिवंगत हो चुके पितरों का उद्धार करना पुत्र का अहम कर्तव्य माना गया हैं. अपने ही जन्मदाता माता-पिता को मृत्योपरांत पुत्र भुला ना दें, इसलिए उनका श्राद्ध करने का विशेष विधान बताया गया है. श्राद्ध पखवारा यानी पितृपक्ष प्रत्येक वर्ष आश्विन मास के शुक्लपक्ष की पूर्णिमा से शुरू होकर आश्विन में अमावस्या के दिन समाप्त होता है. अगर आप अपने दिवंगत माता-पिता की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध एवं तरपण आदि कर रहे हैं तो ये कार्य करने से बचें. यह भी पढ़े: Pitru Paksha 2021: कब शुरु हो रहा है पितृपक्ष? क्या है इसका महात्म्य? जानें श्राद्ध की महत्वपूर्ण तिथियां
* हिंदू धर्म शास्त्रों में उल्लेखित है कि देवी-देवताओं की पूजा प्रातःकाल के वक़्त करनी चाहिए, जबकि पितरों की पूजा दोपहर के वक़्त करनी चाहिए.
* पितरों की संतुष्टि के लिए ब्राह्मणों को दिन के समय भोजन करवाना श्रेयस्कर होता है. पितरों के नाम से निकाला गया भोजन कहीं भी फेंकना नहीं चाहिए. इस भोजन को पूरी श्रद्धा के साथ गाय, कौआ, कुत्ते को खिलाना चाहिए.
* पितरों के नाम पर बनाये जाने वाला कोई भी व्यंजन लोहे की कड़ाही में नहीं बनाना चाहिए. ज्योतिष शास्त्र में वर्णित है कि पितृपक्ष में लोहे या तांबे के बर्तनों का इस्तेमाल शुभ नहीं होता है. पितृपक्ष में पीतल के बर्तनों को ही इस्तेमाल में लाना चाहिए.
* श्राद्ध के दिनों में शेविंग या हेयर कटिंग नहीं करवानी चाहिए, ना ही तेल मालिश करवानी चाहिए. कोशिश करें कि इन दिनों सुगंध या सौंदर्य प्रसाधनों का इस्तेमाल हरगिज नहीं करना चाहिए.
* पितृपक्ष के पखवारे में ऐसे किसी भी शुभ-मंगल कार्य से बचना चाहिए, जो पितृपक्ष की प्रक्रिया में बाधक बनें.
* पितृपक्ष के दौरान भिखारी या किसी वृद्ध व्यक्ति को बिना भोजन कराएं नहीं जाने देना चाहिए. इसके अलावा पशु-पक्षी मसलन कुत्ते, बिल्ली, कौवा आदि का अपमान नहीं करना चाहिए. मान्यतानुसार इस दौरान दिवंगत परिजन किसी भी रूप में आपके घर उपस्थित हो सकते हैं.