Padmini Ekadashi 2023: कब है पद्मिनी एकादशी व्रत? जानें इसका महत्व, मुहूर्त, पूजा विधि एवं व्रत कथा!

अन्य एकादशियों की तरह पद्मिनी एकादशी के व्रतियों को दशमी की शाम से अन्न त्याग देना चाहिए. एकादशी के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान-दान करें. इस दिन गंगा-स्नान का विशेष महात्म्य है.

Padmini Ekadashi 2023: कब है पद्मिनी एकादशी व्रत? जानें इसका महत्व, मुहूर्त, पूजा विधि एवं व्रत कथा!
Padmini Ekadashi File Photo

 हिंदू पंचांग के अनुसार श्रावण मास शुक्ल पक्ष के ग्यारहवें दिन पद्मिनी एकादशी का व्रत रखा जाता है. इसे कमला एकादशी के नाम से भी मनाया जाता है. मान्यता है कि पद्मिनी एकादशी का व्रत एवं विधि-विधान से पूजा करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है, इस बार पद्मिनी एकादशी का व्रत मलमास के महीने में मनाया जाएगा. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस बार 29 जुलाई 2023 को मनाया जाएगा. आइए जानें पद्मिनी एकादशी व्रत का महात्म्य, मुहूर्त, मंत्र, एवं पूजा विधि इत्यादि.

पद्मिनी एकादशी व्रत की तिथि

पद्मिनी एकादशी प्रारंभः 02.52 PM (28 जुलाई 2023, शुक्रवार) से

पद्मिनी एकादशी समाप्तः 01.06 AM (29 जुलाई 2023, शनिवार) तक

उदया तिथि के अनुसार 29 जुलाई 2023 को पद्मिनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा.

पारण कालः सूर्योदय से दो घंटे के भीतर पारण कर लेना चाहिए.

पद्मिनी एकादशी व्रत एवं पूजा के नियम

अन्य एकादशियों की तरह पद्मिनी एकादशी के व्रतियों को दशमी की शाम से अन्न त्याग देना चाहिए. एकादशी के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान-दान करें. इस दिन गंगा-स्नान का विशेष महात्म्य है. अगर यह संभव नहीं है तो स्नान के पानी में कुछ बूंदे गंगाजल की मिलाकर स्नान करने से भी गंगा-स्नान का पुण्य प्राप्त होता है. इसके पश्चात भगवान विष्णु एवं देवी लक्ष्मी का ध्यान कर व्रत एवं पूजा का संकल्प लें. पूजा स्थल के सामने एक चौकी बिछाकर इस पर लाल वस्त्र बिछाएं. इस पर भगवान विष्णु के साथ देवी लक्ष्मी की तस्वीर अथवा प्रतिमा स्थापित करें. धूप दीप प्रज्वलित करें, और विष्णु जी के निम्न मंत्र का 108 बार जाप करें.

‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’

विष्णु जी को पीला और माता लक्ष्मी को लाल पुष्प अर्पित करें. इसके साथ अक्षत, पीला चंदन, दूर्वा, दूध निर्मित मिष्ठान अर्पित करें. विष्णु चालीसा का पाठ करें और पद्मिनी एकादशी व्रत कथा पढ़ें और अंत में विष्णु जी एवं लक्ष्मी जी की आरती उतारें. अब प्रसाद को लोगों में वितरित करें. पूरे दिन फलाहार रहते हुए अगले दिन मुहूर्त के अनुसार व्रत खोलें.

पद्मिनी एकादशी का महत्व

 पद्मिनी एकादशी का व्रत एवं पूजा नियमानुसार करने वाले जातक को जीवन में किसी तरह की समस्या नहीं रहती. हिंदू शास्त्रों के अनुसार पद्मिनी एकादशी का व्रत एवं पूजा करने से यज्ञ और गोदान के समान पुण्य की प्राप्ति होती है. जीवन के सारे सुख भोगने के बाद जातक को मोक्ष मिलता है.

पद्मिनी एकादशी की व्रत कथा!

त्रेयायुग में हैहय राज्य में कृतवीर्य नामक राजा था. उसकी एक हजार पत्नियां थीं, लेकिन दुर्भाग्यवश पुत्र-रत्न से वंचित था. पुत्र के लिए राजा ने खूब यज्ञ, तप-जप किया, लेकिन सारे प्रयास असफल रहे.

अंततः राजा ने अपनी पद्मिनी नामक पत्नी के साथ वन में सघन तपस्या करने गये. लेकिन हजारों वर्ष तक तपस्या के बाद भी पुत्र नहीं प्राप्त हुआ. एक दिन अनुसूया पद्मिनी से कहा कि मलमास माह की एकादशी में व्रत एवं विष्णु जी की पूजा करने से पुत्र-रत्न की प्राप्ति अवश्य होगी. पद्मिनी ने अनुसूया के सुझाव अनुसार मलमास की एकादशी में जागरण के साथ पूजा एवं व्रत किया. भगवान विष्णु की कृपा से उसे अत्यंत बलशाली पुत्र कार्तवीर्य पैदा हुआ. बाद में यह तिथि पद्मिनी एकादशी के नाम से विख्यात हुआ.


संबंधित खबरें

Padmini Ekadashi 2023: पद्मिनी एकादशी पर गलती से भी ना करें ये 9 काम! आपको विपत्तियां घेर सकती हैं!

Padmini Ekadashi 2023 Messages: पुरुषोत्तम मास की कमला एकादशी की इन हिंदी Quotes, WhatsApp Wishes, Facebook Greetings के जरिए दें शुभकामनाएं

Adhik Maas 2023: कब शुरू हो रहा है मलमास? जानें इस माह क्यों वर्जित हैं शुभ कार्य? और क्या करें क्या न करें!

Slap Day 2025 Greetings: स्लैप डे पर शेयर करें ये WhatsApp Stickers, Facebook Greetings और GIF Images

\