Nirjala Ekadashi 2023 Messages in Hindi: निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) को ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी, भीमसैनी एकादशी (Bhimseni Ekadashi), भीम एकादशी (Bhim Ekadashi) और पांडव एकादशी (Pandav ekadashi) के नाम से भी जाना जाता है, जिसका हिंदू धर्म में विशेष महत्व बताया जाता है. आज (31 मई 2023) देशभर में निर्जला एकादशी मनाई जा रही है. इससे जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार, पांडवपुत्र भीम भोजन के काफी शौकीन थे और वो अपनी भूख पर नियंत्रण नहीं रख पा रहे थे. जब भगवान श्रीकृष्ण ने पांडवों और द्रौपदी को एकादशी व्रत रखने के लिए कहा तो भीम अपनी भूख के कारण व्रत नहीं रख पा रहे थे. ऐसे में भीम महर्षि व्यास के पास अपनी समस्या लेकर गए, जिसके बाद महर्षि व्यास ने कहा कि अगर तुम साल में सिर्फ एक बार निर्जला एकादशी का व्रत कर लो तो तुम्हे सभी 24 एकादशी व्रतों जितना फल मिल जाए, तब भीम ने इस व्रत को किया था, इसलिए इसे भीमसैनी एकादशी कहा जाता है.
हर साल ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी का व्रत किया जाता है. इस व्रत में पूरे दिन पानी की एक बूंद भी नहीं पी जाती है. इस दिन निर्जल और निराहार रहकर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है, साथ ही शुभकामना संदेश भेजे जाते हैं. ऐसे में आप भी इन भक्तिमय हिंदी मैसेजेस, वॉट्सऐप विशेज, फेसबुक ग्रीटिंग्स और कोट्स के जरिए निर्जला एकादशी की शुभकामनाएं दे सकते हैं.
1- विष्णु जिनका नाम है,
वैकुंठ जिनका धाम है,
निर्जला एकादशी के शुभ अवसर पर,
श्रीहरि को शत-शत प्रणाम,
निर्जला एकादशी की शुभकामनाएं
2- ताल बजे, मृदंग बजे,
बजे श्रीहरि की वीणा,
जय राम, जय राम,
जय-जय श्रीकृष्ण हरि.
निर्जला एकादशी की शुभकामनाएं
3- दो नयनों में क्यों रहे, निरंतर चर्तुर्मास,
एकादशी है निर्जला, रख लो तुम उपवास.
निर्जला एकादशी की शुभकामनाएं
4- भगवान विष्णु आपको,
सुख, शांति, समृद्धि,
यश और कीर्ति प्रदान करें.
निर्जला एकादशी की शुभकामनाएं
5- विष्णु की माया बन जाऊं,
एक अनकही कहानी बन जाऊं,
मेरे भगवान की कृपा हो तो,
मैं निश्चल श्वेत मन की काया बन जाऊं.
निर्जला एकादशी की शुभकामनाएं
प्रचलित मान्यता के अनुसार, निर्जला एकादशी का व्रत करने से दैहिक, दैविक और भौतिक तीनों तरह की समस्याओं से मुक्ति मिलती है. एकादशी तिथि भगवान विष्णु को अतिप्रिय है और कहा जाता है कि निर्जला एकादशी का व्रत करने से साल की सभी एकादशियों का पुण्य प्राप्त होता है. इस व्रत के प्रभाव से समस्त पापों से मुक्ति मिलती है और श्रीहरि की कृपा से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.