Navratri 2018: मां दुर्गा के छठे स्वरूप देवी कात्यायनी की आराधना से दूर होती है विवाह में आने वाली बाधा

सी मान्यता है कि कात्यायनी माता के व्रत और पूजन से कुंवारी कन्याओं के विवाह में आने वाली बाधा दूर होती है और उनके शीघ्र विवाह का योग बनता है. मान्यताओं के मुताबिक, कात्यायन ऋषि के तप से प्रसन्न होकर मां आदिशक्ति उनकी पुत्री के रूप में अवतरित हुईं. कात्यायन ऋषि की पुत्री होने के कारण वे कात्यायनी कहलाईं.

मां कात्यायनी (File Photo)

आदिशक्ति मां दुर्गा का छठा स्वरूप हैं मां कात्यायनी और नवरात्रि के छठे दिन इनकी उपासना की जाती है. शास्त्रों के अनुसार, जो भक्त दुर्गा मां की छठी विभूति देवी कात्यायनी की आराधना करते हैं उन पर मां की कृपा सदैव बनी रहती है. ऐसी मान्यता है कि कात्यायनी माता के व्रत और पूजन से कुंवारी कन्याओं के विवाह में आने वाली बाधा दूर होती है और उनके शीघ्र विवाह का योग बनता है. मान्यताओं के मुताबिक, कात्यायन ऋषि के तप से प्रसन्न होकर मां आदिशक्ति उनकी पुत्री के रूप में अवतरित हुईं. कात्यायन ऋषि की पुत्री होने के कारण वे कात्यायनी कहलाईं.

कहा जाता है कि उसी दौरान महिषासुर नाम के असुर का पूरे जगत में अत्याचार बढ़ गया था और देवी कात्ययनी ने ही उसका वध किया था. अगर आपके विवाह में किसी तरह की बाधा आ रही है तो नवरात्रि के छठे दिन देवी के इस स्वरूप की आराधना अवश्य करें.

ऐसा है देवी कात्यायनी का स्वरूप 

देवी कात्यायनी की चार भुजाएं हैं, जिनमें अस्त्र-शस्त्र और कमल का पुष्प विराजमान है. उनका वाहन सिंह है और ये ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं. कहा जाता है कि कृष्ण की प्राप्ति के लिए गोपियों ने इनकी पूजा की थी.  इनकी आराधना करने से योग्य और मनचाहे जीवनसाथी की प्राप्ति होती है. यह भी पढ़ें: Navratri 2018: नवरात्रि के चौथे दिन करें मां स्कंदमाता की उपासना, पूरी होगी हर मनोकामना

ऐसे करें इनकी आराधना 

मां कात्‍यायनी की पूजा सूर्यास्‍त के समय करना शुभकारी माना जाता है. मान्यता है कि इस समय में धूप, दीप, गुग्गल से मां की पूजा करने से सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती है. जो भक्त माता को पांच तरह की मिठाईयों का भोग लगाकर कुंवारी कन्याओं में प्रसाद बांटते हैं माता उनकी आय में आने वाली बाधा को दूर करती हैं. पूजन के समय मां को पीले फूल और पीले रंग की मिठाई चढ़ाई जाती है. मां के सामने घी का दीप जलाएं और पीले रंग के वस्‍त्र चढ़ाएं. आप लाल रंग का वस्‍त्र भी चढ़ा सकते हैं. इसके बाद मां के इन मंत्रों का जप कर सकते हैं.

चंद्र हासोज्ज वलकरा शार्दू लवर वाहना।

कात्यायनी शुभं दद्या देवी दानव घातिनि।।

|| ॐ ह्रीं क्लीं कात्यायने नमः ||

अर्पित करें ये भोग 

देवी कात्यायनी को शहद अतिप्रिय है,  इसलिए पूजन के दौरान उन्हें शहद का भोग लगाना चाहिए. उन्हें शहद का भोग लगाने के लिए चांदी और मिट्टी का पात्र सबसे अच्छा माना जाता है. यह भी पढ़ें: Navratri 2018: नवरात्रि के व्रत में जरूर करें मखाने का सेवन, स्वास्थ्य के लिए है काफी फायदेमंद

बनता है विवाह का योग

ऐसी मान्यता है कि नवरात्रि के छठे दिन कुंवारी लड़कियां यदि मां कात्यायनी की पूजा करती हैं तो उन्हें मनचाहा वर प्राप्त होता है और उनके विवाह का योग बनता है. जिन लोगों की नई शादी हुई है ऐसे लोग अगर इनकी आराधना करते हैं तो उनके वैवाहिक जीवन की शुरुआत अच्छी होती है.

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