Meerabai Jayanti 2021 Wishes in Hindi: हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) के दिन भगवान श्रीकृष्ण (Lord Shir Krishna) की परम भक्त मीरा बाई की जयंती (Meerabai Jayanti) मनाई जाती है. श्रीकृष्ण की भक्ति में अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाली मीरा बाई (Meerabai) की इस साल 20 अक्टूबर 2021 को जयंती मनाई जा रही है. हालांकि मीरा बाई की वास्तविक जन्मतिथि का कोई ऐतिहासिक रिकॉर्ड नहीं है, लेकिन विभिन्न ग्रंथों और स्रोतों के मुताबिक, 16वीं शताब्दी में 1498-1546 के बीच उनका जन्म हुआ था. इस साल मीरा बाई की 523वीं जयंती मनाई जा रही है. कहा जाता है कि मीरा बाई बचपन से ही कान्हा की भक्ति में रम गई थीं और यौवन से लेकर मृत्यु तक उन्होंने श्रीकृष्ण को ही अपना सर्वस्व माना.
मीरा बाई ने न सिर्फ जीवन भर कान्हा की भक्ति की, बल्कि उनका निधन भी कान्हा की भक्ति करते हुए ही हुआ था. कहा जाता है कि साल 1547 में द्वारका में वो श्रीकृष्ण की भक्ति करते-करते उनकी मूर्ति में समा गई थीं. इस खास अवसर पर आप इन हिंदी विशेज, कोट्स, वॉट्सऐप स्टिकर्स, फेसबुक मैसेजेस, जीआईएफ ग्रीटिंग्स को भेजकर अपनों को मीरा बाई जयंती की शुभकामनाएं दे सकते हैं.
1- मीरा परम प्रेम ज्ञान,
राधा से तुलना हो जिनकी,
दोनों हैं एक समान,
श्याम रहते हैं हृदय में जिनके.
मीरा बाई जयंती की शुभकामनाएं
2- त्याग कर सारा राज-पाठ,
वैराग्य जीवन को अपनाया,
खोकर अपनी सुध-बुध सारी,
कृष्ण भक्ति को रोम-रोम में बसाया.
मीरा बाई जयंती की शुभकामनाएं
3- मैं मीरा हूं मोहन की,
मैं जोगन हूं कान्हा की
मीरा बाई जयंती की शुभकामनाएं
4- मैं नहीं राधा जिसे कृष्ण के नाम से जुड़ने का मान मिला,
मैं नहीं रुक्मिणी जिसे अर्द्धांगिनी का स्थान मिला,
मैं वही मीरा हूं जिसका प्रेम पागलपन कहलाया,
भगवान से तुम्हें प्रेम कैसा यह सवाल पूरी दुनिया ने किया.
मीरा बाई जयंती की शुभकामनाएं
5- प्रभु की भक्ति में डूबकर,
मीरा खुद को भुल गईं,
प्रेम सीढ़ी लगाकर,
वे प्रभु संग झुम गईं...
मीरा बाई जयंती की शुभकामनाएं
कहा जाता है कि बचपन से ही श्रीकृष्ण को अपना सब कुछ मानने वाली मीरा बाई किसी और से विवाह नहीं करना चाहती थीं, लेकिन उनके घरवालों ने उनकी मर्जी के खिलाफ मेवाड़ के राजकुमार भोजराज के साथ उनका विवाह करा दिया. बताया जाता है कि विवाह के कुछ समय बाद उनके पति का निधन हो गया. पति के निधन के बाद मीरा बाई की भक्ति कृष्ण के प्रति दिन-ब-दिन बढ़ती गई. कृष्ण के लिए मीरा की भक्ति से नाराज होकर उनके परिजनों ने कई बार उन्हें विष देकर मारने की कोशिश की, लेकिन श्रीकृष्ण की कृपा से विष का प्याला पीने के बाद भी मीरा बाई को कुछ नहीं हुआ.