Maharashtra Ramadan Sehri & Iftar Time: रमजान का बरकतों वाला महीना होने वाला है शुरू, यहां देखें पुणे, नासिक, और जलगांव के सहरी और इफ्तार का टाइम
रमजान का महीना शुरू होने के बाद पुणे, नासिक और जलगांव के रोजेदार सही समय पर सहरी के साथ ही शाम को सही समय पर इफ्तार कर सके. पूरे महीने में कितने बजे सहरी और इफ्तार किया जाए. आपको सही बताते हैं. जिस समय को देखकर आप सहरी और इफ्तार सही समय कर सकते हैं.
Mumbai Ramadan Sehri & Iftar Time: मुस्लिम समाज में सबसे पाक और बरकत वाले महीनों में रमजान महीने का बेसब्री से इंतजार होता है. लेकिन लोगों का इंतजार ख़त्म होने वाला है. क्योंकि बुधवार 22 मार्च को रमजान का चांद दिखने पर 23 मार्च गुरुवार से लोग रोजा रखना शुरू कर देंगे. हालांकि यह सब रमजान का चांद दिखने के बाद ही निर्भर होता है कि रोजा कब से रखा जाए. बुधवार को रमजान का चांद दिखा तो लोग गुरुवार से रोजा रखने के साथ ही इबादत में मशगूल हो जाएंगे. दिन हो या रात लोग नमाज और कुरान की तिलावत करने के साथ ही खुदा को राजी करने को लेकर दुआ करते हैं. ताकि खुद उनके गुनाहों को माफ़ कर दे और उनके रोजी रोटी में बरकत दे.
रमजान का महीना शुरू होने के बाद पुणे, नासिक और जलगांव के रोजेदार सही समय पर सहरी के साथ ही शाम को सही समय पर इफ्तार कर सके. पूरे महीने में कितने बजे सहरी और इफ्तार किया जाए. आपको सही बताते हैं. जिस समय को देखकर आप सहरी और इफ्तार सही समय कर सकते हैं. क्योंकि रमजान के एक महीने के रोजे में सहरी और इफ्तार का टाइम अक्सर प्रतिदिन मिनट दो मिनट आगे पीछे होता है. यह भी पढ़े: Ramadan 2023: कब शुरू हो रहा है रमजान का महीना? पहली बार रोजा रखने वालों के लिए आवश्यक जानकारियां!
यहां देखें पुणे का सहरी और इफ्तार का टाइम:
रमजान के इस पाक महीने में रोजा रखने वालों के लिए दो चीजें सबसे अहम होती है. पहला सहरी जो सूरज निकलने से पहले की जाती है. दूसरा जिसके बाद पूरे दिन बिना कुछ खाए-पिए शाम को सूरज डूबने के बाद इफ्तार की जाती है. इफ्तारी करने के बाद लोग मगरीब की नमाज पढने के बाद लोग एक बार फिर से इबादत में लग जाते हैं.
यहां देखें नासिक का सहरी और इफ्तार का सही समय
यहां देखें जलगांव का सहरी और इफ्तार का सही समय:
रमजान के इस पाक महीने में दिन रोजा रखने के साथ फितरा और जकात देते हैं. इसे देने से न सिर्फ आपको आपके घर में बरकत आती है बल्कि आप सेहतमंद भी रहते हैं. इसके अलावा, कहा जाता है कि रमज़ान में लोगों का खर्चा अधिक बढ़ जाता है ऐसे में फितरा और ज़कात किसी गरीब के लिए किसी राहत से कम नहीं है. इसलिए रमज़ान के महीने में ज़कात और फितरा देना सुन्नत है.