Inspirational Quotes of Lal Bahadur Shastri in Hindi: आजाद भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shastri) का जीवन लोगों के लिए एक आदर्श भी है और उनके संघर्षों से लोगों को प्रेरणा भी मिलती है. सादा जीवन जीने में विश्वास रखने वाले लाल बहादुर शास्त्री ने अपना संपूर्ण जीवन लोगों की सेवा में समर्पित कर दिया. उन्होंने देश की आजादी की लड़ाई में भी अहम भूमिका निभाई थी. महज 16 साल की उम्र में शास्त्री जी ने आजादी की लड़ाई में शामिल होने का फैसला किया और इसके लिए उन्होंने अपनी पढ़ाई तक छोड़ दी, फिर महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) के असहयोग आंदोलन में शामिल हो गए, जिसके चलते उन्हें 17 साल की उम्र में पहली बार जेल भेजा गया, लेकिन नाबालिग होने की वजह से उन्हें आजाद कर दिया गया. उनका जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ था, इसलिए हर साल 2 अक्टूबर को उनकी जयंती (Lal Bahadur Shastri Jayanti) मनाई जाती है.
आपको जानकर हैरानी होगी कि देश के दूसरे प्रधानमंत्री होते हुए उनके पास न तो खुद का घर था और न ही कोई संपत्ति थी. जब उनका निधन हुआ तो उनके पास जायदाद नहीं, बल्कि एक ऋण था जो उन्होंने प्रधानमंत्री बनने पर फिएट गाड़ी खरीदने के लिए सरकार से लिया था. उस लोन को चुकाने के लिए परिवार वालों ने शास्त्री जी के पेंशन को खर्च किया था. सादगी से जीवन जीने वाले शास्त्री जी के विचार काफी महान थे, जिनसे आज भी लोग प्रेरणा लेते हैं. ऐसे में लाल बहादुर शास्त्री जयंती के इस खास अवसर पर आप उनके इन 10 महान विचारों को अपनों संग शेयर करके उन्हें याद कर सकते हैं.
1- समाज को सच्चा लोकतंत्र कभी भी हिंसा और असत्य से हासिल नहीं हो सकता है.
2- अपने देश की आजादी की रक्षा करना सिर्फ सैनिकों का काम नहीं, बल्कि यह पूरे देश का कर्तव्य है.
3- यदि कोई भी व्यक्ति ऐसा रह गया जिसे किसी रूप में अछूत कहा जाए तो भारत को अपना सिर शर्म से झुकाना पड़ेगा.
4- हम खुद की नहीं, बल्कि पूरे विश्व की शांति, विकास और कल्याण में विश्वास रखते हैं.
5- देश की ताकत और स्थिरता के लिए सबसे जरूरी काम है लोगों में एकता और एकजुटता स्थापित करना.
6- जो शासन करते हैं उन्हें लोगों की प्रतिक्रिया जाननी चाहिए, क्योंकि लोकतंत्र में जनता ही मुखिया होती है.
7- कानून का सम्मान होना चाहिए, ताकि लोकतंत्र की मजबूत संरचना को बरकरार रखा जा सके.
8- मैं किसी दूसरे को सलाह दूं और मैं खुद उस पर अमल ना करूं तो मैं असहज महसूस करता हूं.
9- मैं जितना साधारण दिखता हूं, उतना साधारण नहीं हूं.
10- आर्थिक मुद्दे पर यह बेहद महत्वपूर्ण है कि हम अपने सबसे बड़े दुश्मन गरीबी और बेरोजगारी से लड़े.
आपको बता दें कि शास्त्री जी का निधन 11 जनवरी 1966 को उज्बेकिस्तान के ताशकंद में हुआ था. उनका निधन आज तक रहस्य बना हुआ है. दरअसल, शास्त्री जी भारत-पाक युद्ध के बाद हालातों को लेकर समझौता करने के लिए ताशकंद में पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान से मिलने गए थे, लेकिन उस मुलाकात के कुछ ही घंटों बाद अचानक से उनका निधन हो गया. बताया जाता है कि उनकी सेहत एकदम सही थी. हालांकि उनकी मौत की वजह हृदयाघात को बताया गया था, लेकिन जब उनके पार्थिव शरीर को भारत लाया गया तो प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक उनके शरीर पर घाव के निशान थे. उनकी संदिग्ध मौत की जांच के लिए राज नारायण जांच समिति का गठन किया गया था, फिर भी इस रहस्य से पर्दा नहीं उठ सका.