Krishna Janmashtami 2023: कब है श्रीकृष्ण जन्मोत्सव? जानें देश के विभिन्न अंचलों में कृष्णोत्सव की विभिन्न परंपराएं?
जन्माष्टमी (Photo: Unplash)

हिंदी पंचांगों के अनुसार प्रत्येक वर्ष भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में भगवान श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाता है. भारत एवं दुनिया के विभिन्न भूभागों में इस दिन को कृष्णाष्टमी, जन्माष्टमी, सातम् आठम, अष्टम रोहिणी, गोकुलाष्टमी, श्रीजयंती एवं नंदोत्सव आदि के नाम से मनाया जाता है. कृष्ण जन्मोत्सव की तिथि की सटीक तिथि चंद्र चक्र के आधार पर निर्धारित की जाती है. भगवान कृष्ण विष्णु के आठवें अवतार थे, जिन्होंने मथुरा में मामा कंस के कारागार में वासुदेव एवं देवकी के आठवें पुत्र के रूप में जन्म लिया था. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस वर्ष 6 सितंबर 2023 को कृष्ण जन्मोत्सव मनाया जायेगा. यह भी पढ़ें: Hariyali Teej 2023: कब है हरियाली तीज? जानें हरियाली तीज का महत्व, पूजा एवं बायना की प्रथा और हरियाली एवं हरितालिका

कृष्ण जन्मोत्सव तिथि एवं शुभ मुहूर्त

अष्टमी प्रारंभः 03.37 PM (06 सितंबर 2023) से

अष्टमी प्रारंभः 04.14 PM (07 सितंबर 2023) तक

रोहिणी नक्षत्र प्रारंभः 09.20 AM (06 सितंबर 2023) से

रोहिणी नक्षत्र समाप्तः 10.25 AM (07 सितंबर 2023) तक

कृष्ण जन्मोत्सव व्रत के नियम

भाद्रपद अष्टमी के दिन स्नान-ध्यान के पश्चात संकल्प के साथ पूरे दिन का उपवास रखा जाता है. व्रती को केवल एक ही समय भोजन करना चाहिए. दिन में फलाहार लेने के बाद रोहिणी नक्षत्र या अष्टमी तिथि में भगवान श्रीकृष्ण के जन्म लेने और उनकी पूजा-पाठ के बाद भगवान का प्रसाद लेने के पश्चात व्रत का पारण किया जाता है.

देश भर में भिन्न-भिन्न परंपराओं के साथ मनाई जाती है जन्माष्टमी

भारत विभिन्न भाषा, धर्म, संस्कृति एवं परंपराओं वाला देश है. यह विभिन्नता कृष्ण जन्मोत्सव पर भी नजर आती है. अपने-अपने प्रदेशों में लोग पुरानी परंपराओं एवं रीति-रिवाजों के साथ कृष्ण जन्मोत्सव मनाते हैं.

* उत्तर भारत विशेषकर उत्तर प्रदेश में इस दिन देश भर में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाने वाले भक्त सूर्यास्त होते ही कृष्ण झांकियां सजाते हैं. एक पालने पर श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप प्रतिमा को रखा जाता है. उन्हें पंचामृत से स्नान कराकर नये वस्त्र पहनाए जाते हैं. कृष्ण के भजन एवं सोहर गाये जाते हैं. रात्रि के 12 बजते ही कृष्ण का जन्म होता है, लोग शंख, घंटा, घड़ियाल की ध्वनि के बीच पालना झुलाते हुए भगवान कृष्ण के जयकारे लगाते हैं. आरती उतारी जाती है और प्रसाद वितरित किया जाता है. जन्माष्टमी देखने के लिए कृष्ण की जन्मभूमि मथुरा एवं वृदावन में विशेष उत्सव होते हैं.

* महाराष्ट्र में दही-हांडी का आयोजन स्थानीय एवं क्षेत्रीय स्तर पर किया जाता है. छाछ और मक्खन भरे हांडी को ऊंचाई पर लटकाया जाता है और इसे मानव पिरामिड बनाकर हांडी तोड़ने की प्रतिस्पर्धा होती है, इसके लिए लाखों रुपये के पुरस्कार रखे जाते हैं.

* गुजरात में इस दिन द्वारिका शहर स्थिति द्वारिकाधीश मंदिर को सजाया जाता है, मान्यतानुसार जहां किसी समय भगवान श्रीकृष्ण का राज्य था. कृष्ण जन्मोत्सव के समय गुजराती पुरुष महिलाएं दांडिया रास करते हैं.

* जम्मू में इस दिन हिंदू समाज के लोग भगवान श्रीकृष्ण का बड़ी धूमधाम के साथ जन्मोत्सव मनाते हैं. बहुत से लोग इस दिन उपवास भी रखते हैं. इस अवसर पर जम्मू में पतंगबाजी का भव्य आयोजन किया जाता है, विजेता को भारी धनराशि दी जाती है.

* मणिपुर में इस दिन को कृष्ण जन्म से संबोधित किया जाता है. राज्य की राजधानी इंफाल में इस्कॉन मंदिर में बड़े भव्य एवं धूमधाम के साथ मनाया जाता है.

*  पूर्वी भारत में इस जन्माष्टमी के बाद अगले दिन नंद उत्सव मनाया जाता है. अष्टमी को पूरे दिन उपवास रखने के पश्चात आधी रात को भगवान कृष्ण के जन्म लेने के पश्चात भगवान को दही, मक्खन और मिठाई चढ़ाई जाती है. भजन कीर्तन कर बाल कृष्ण की आरती उतारी जाती है.

* दक्षिण भारत में महिलाएं अपने घरों में आटे से बने छोटे-छोटे पैरों के निशान जिसे पैरों की रंगोली कहते हैं, सजाती हैं. यह पद चिह्न वास्तव में बाल कृष्ण के मक्खन चुराते दृश्य का प्रतिनिधित्व करते हैं.