Karwa Chauth 2020: करवा चौथ कब है? जानें सुहागनों के अखंड सौभाग्य के इस पर्व की तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व
करवा चौथ 2020 (Photo Credits: File Image and Wiki)

Karwa Chauth 2020: शारदीय नवरात्रि (Sharad Navratri) और दुर्गा पूजा (Durga Puja) उत्सव की समाप्ति के बाद एक ओर जहां कोजागरी पूर्णिमा (Kojagiri Purnima) पर लक्ष्मी पूजन (Lakshami Pujan) की तैयारियां की जा रही हैं तो वहीं महिलाएं अखंड सौभाग्य के पर्व करवा चौथ (Karwa Chauth) का बेसब्री से इंतजार भी कर रही हैं. करवा चौथ (Karva Chauth) पति-पत्नी के बीच अटूट विश्वास और प्यार को समर्पित है. महिलाएं इस दिन अपने पति की दीर्घायु और अच्छी सेहत के लिए व्रत रखती हैं. कुछ महिलाएं तो जन्म-जन्म तक अपने पति को फिर से प्राप्त करने की कामना से भी यह व्रत रखती हैं. करवा का अर्थ है मिट्टी का बर्तन और चौथ का अर्थ है देवताओं में प्रथम पूजनीय भगवान गणेश की प्रिय तिथि चतुर्थी. करवा चौथ के दिन महिलाएं दिन भर निर्जल-निराहार रहती हैं और रात में चंद्रमा को अर्घ्य देकर, चलनी की ओट से उनका दीदार करती हैं, फिर अपने पति के हाथों से जल पीकर अपना व्रत पूर्ण करती हैं. चलिए जानते हैं करवा चौथ की शुभ तिथि, शुभ मुहूर्त और इसका महत्व.

कब है करवा चौथ?

हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल करवा चौथ का पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है. इस साल अखंड सौभाग्य का यह पर्व 4 नवंबर 2020 (बुधवार) को मनाया जाएगा.

करवा चौथ शुभ मुहूर्त

चतुर्थी तिथि प्रारंभ- 4 नवंबर 2020 को सुबह 03.24 बजे से,

चतुर्थी तिथि समाप्त- 5 नवंबर 2020 की शाम 05.14 बजे तक.

पूजा का शुभ मुहूर्त- 4 नवंबर 2020 दोपहर 03.45 बजे से शाम 05.06 बजे तक.

व्रत की कुल अवधि- 13 घंटे 37 मिनट

करवा चौथ व्रत- सुबह 06.35 बजे से रात 08.12 बजे तक.

चंद्रोदय का समय- 4 नवबंर रात 08.12 बजे से. यह भी पढ़ें: Lakshmi Puja 2020 Date: लक्ष्मी पूजा कब है? जानें कोजागरी पूर्णिमा के दिन की जाने वाली लक्ष्मी पूजा की तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व

करवा चौथ का महत्व

करवा चौथ से जुड़ी एक पौराणिक कथा के अनुसार, महाभारत काल के दौरान द्रौपदी ने पांडवों पर आने वाले संकट को दूर करने के लिए भगवान श्रीकृष्ण के सुझाव से करवा चौथ का व्रत किया था. माना जाता है कि इस व्रत के प्रभाव से पांडवों के जीवन से संकट दूर हुआ और वे महामारत के युद्ध में विजयी हुए थे. मान्यता है कि करवा चौथ के दिन चंद्र देव की पूजा करने से पति-पत्नी को वियोग का सामना नहीं करना पड़ता है और महिलाओं को अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है.

करवा चौथ के दिन सुबह सूर्योदय से पहले महिलाएं सरगी खाती हैं और फिर दिनभर निर्जल व्रत रखती हैं, फिर शाम को सोलह श्रृंगार करके महिलाएं भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की पूजा करती हैं. इस दौरान करवा चौथ व्रत की कथा सुनी जाती है और पूजन के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद पति के हाथों से जल पीकर व्रत खोला जाता है. इस व्रत को करने से पति की आयु लंबी होती है, स्वास्थ्य अच्छा रहता है और महिलाओं को सुखी वैवाहिक जीवन का वरदान मिलता है.