Jyotiba Phule Death Anniversary 2024 Quotes: महात्मा ज्योतिबा फुले की पुण्यतिथि पर उनके इन 10 महान विचारों को शेयर कर दें उन्हें श्रद्धांजलि
ज्योतिबा फुले महिलाओं और विधवाओं के कल्याण व शिक्षा के लिए सराहनीय कार्य किए हैं, जिसके चलते आज भी उन्हें याद किया जाता है. उनकी पुण्यतिथि पर लोग उनके कार्यों को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं. इस अवसर पर आप महात्मा ज्योतिबा फुले के इन 10 प्रेरणादायी महान विचारों को शेयर करके उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर सकते हैं.
Jyotiba Phule Death Anniversary 2024 Quotes: 19वीं सदी के महान भारतीय विचारक, समाजसेवी, लेखक, दार्शनिक और क्रांतिकारी कार्यकर्ता महात्मा ज्योतिबा फुले (Mahatma Jyotiba Phule) की हर साल 28 नवंबर को पुण्यतिथि (Jyotiba Phule Death Anniversary) मनाई जाती है. महात्मा ज्योतिबा फुले का निधन 63 साल की उम्र में 28 नवंबर 1890 को हुआ था. उनका जन्म 11 अप्रैल 1827 को महाराष्ट्र (Maharashtra) के पुणे (Pune) में हुआ था. उनका परिवार कई पीढ़ी पहले सातारा से पुणे आकर फूलों के गजरे आदि बनाने का काम करने लगा था, इसलिए माली के काम में लगे ये लोग फुले के नाम से जाने जाते हैं. उन्होंने महिलाओं और विधवाओं के कल्याण के लिए कई सराहनीय कार्य किए. स्त्रियों की दशा सुधारने और उनकी शिक्षा के लिए ज्योतिबा फुले ने 1848 में एक स्कूल खोला, जो इस काम के लिए देश का पहला विद्यालय था. लड़कियों को पढ़ाने के लिए जब कोई योग्य अध्यापिका नहीं मिली तो इस काम के लिए उन्होंने अपनी पत्नी सावित्री बाई फुले को इस योग्य बनाया.
ज्योतिबा फुले महिलाओं और विधवाओं के कल्याण व शिक्षा के लिए सराहनीय कार्य किए हैं, जिसके चलते आज भी उन्हें याद किया जाता है. उनकी पुण्यतिथि पर लोग उनके कार्यों को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं. इस अवसर पर आप महात्मा ज्योतिबा फुले के इन 10 प्रेरणादायी महान विचारों को शेयर करके उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर सकते हैं.
बता दें कि दलित और निर्बल वर्ग को न्याय दिलाने के लिए ज्योतिबा फुले ने सन 1873 में 'सत्यशोधक समाज' की स्थापना की थी. उनकी समाजसेवा को देखते हुए सन 1888 में मुंबई की एक विशाल सभा में उन्हें 'महात्मा' की उपाधि दी गई. उन्होंने ब्राह्मण-पुरोहित के बिना ही विवाह संस्कार आरंभ कराया और इसे मुंबई हाईकोर्ट से मान्यता भी मिली. वे बाल विवाह विरोधी और विधवा विवाह के समर्थक थे.