International Yoga Day 2022: योग क्या है? जाने योग का शारीरिक एवं मानसिक महत्व तथा क्या है इसका प्राचीनतम इतिहास?
ऐसा माना जाता है कि जब से पृथ्वी पर मानव सभ्यता शुरु हुई है, तभी से किसी ना किसी रूप में योग का प्रचलन जारी है. जानकारों के अनुसार योग विज्ञान की उत्पत्ति किसी भी धर्म एवं आस्थाओं के अस्तित्व में आने से पहले हो चुकी थी. अलबत्ता योग विद्या में भगवान शिव को प्रथम योगी अथवा आदि योगी के रूप में जाना जाता है.
योग (Yoga) भारत की लगभग पांच हजार वर्ष पुरानी परंपरा एवं एक अनमोल उपहार है. यह शारीरिक समस्याओं के साथ ही मानसिक समस्याओं का भी समाधान करता है. योग कोई धर्म नहीं है, यह जीने की एक ऐसी कला हैं, जिसका लक्ष्य स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन. कहने का आशय है तन और मन को एक दूसरे के साथ साधना ही योग है. यह स्वस्थ जीवन शैली की कला एवं विज्ञान है. आधुनिक वैज्ञानिकों ने भी माना है कि ब्रह्मांड स्थित हर चीज उसी परिमाण में आकाश की अभिव्यक्ति मात्र है. जिस किसी को भी अस्तित्व की एकता महसूस होती है, वह योगी के नाम से स्थापित हो जाता है. योग का लक्ष्य मूलतः आत्म-अनुभूति एवं सभी प्रकार के कष्टों से निजात पाना है, जिससे जीवन के अंतिम सफर से मोक्ष की प्राप्त होती है. विश्व योग दिवस (International Yoga Day) (21 जून) के अवसर पर हम बात करेंगे योग के प्राचीनतम इतिहास की और साथ ही इसके शारीरिक एवं मानसिक महत्व की.
योग का शारीरिक महत्व!
योग के विभिन्न आसनों को करके शरीर को विभिन्न रोगों से मुक्त करते हुए इसका समुचित विकास किया जा सकता है. शरीर को स्वस्थ, चुस्त एवं फिट तथा उसके अंग-प्रत्यंगों की कार्य क्षमता को बढ़ाने के साथ संपूर्ण व्यक्तित्व को निखारने में योग का विशेष महत्व है. योग शरीर में समग्र द्रव्यों का निर्माण करनेवाली ग्रंथियों को सही तरीके से नियंत्रित कर आपको सक्रिय बनाने में अहम भूमिका निभा सकता है. योग का सार निम्न श्लोक से समझा जा सकता है.
न तस्य रोगो न जरा न मृत्यु प्राप्तस्य योगाग्निमयं शरीरं
यानी योग में निपुण होने के पश्चात शरीर में ना रोग उत्पन्न होते हैं, और ना ही उसकी मृत्यु होती है. योग साधना द्वारा शरीर की रोगनाशक और रोगाणुओं से लड़ने की क्षमता (इम्युनिटी) आती है. योग का उद्देश्य ही व्यक्ति को रोग से मुक्त करना एवं उनसे सुरक्षित रहना है.
नियमित योग करने वालों का शरीर लचीला होता है. यह अतिरिक्त चर्बी को नष्ट करता है, जिससे व्यक्तित्व में निखार आता है. योग से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, जिस कारण आप जल्दी बीमार नहीं पड़ते. इसके साथ-साथ इससे ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर, ह्रदय की समस्याएं, बैक पेन, गर्दन दर्द, घुटने में दर्द, पेट का गैस, अपचन, साइनस, सर्दी जैसी हजारों बीमारियों से आपको सुरक्षित रखता है, साथ ही आप सक्रिय और तरोताजा रहते हैं.
योग का मानसिक महत्व!
योग मानसिक तनाव को कम करने में सहायक होता हैं. आज पूरी दुनिया स्वीकार रही है कि योग की मदद से याददाश्त और एकाग्रता में सुधार किया जा सकता हैं. विदेशों में योग पर हुए तमाम शोधों से स्पष्ट हुआ है कि योग व्यक्ति की मानसिक शक्ति को बढ़ाता है. खासकर प्राणायाम से मस्तिक की कार्यक्षमता एवं ऑक्सीजन लेबल बढ़ता है. नियमित प्राणायाम करने से मन के भीतर का क्रोध, ईर्ष्या, खिन्नता एवं उदासी दूर होती है, मन प्रसन्नचित्त रहता है. आप जीवन में बुरी से बुरी स्थिति में भी हताश, निराश या परेशान नहीं हो सकते. लगातार ध्यान करने वाला व्यक्ति मानसिक रूप से बहुत मजबूत होता है. अगर कोई मानसिक रूप से अस्वस्थ है, जैसे चिंता, घबराहट, बेचैनी, अवसाद, शोक, शंका, निगेटिविटी अथवा भ्रम आदि, तो ध्यान करने से इन सारी समस्याओं का समाधान हो जाता है.
योग का प्राचीनतम इतिहास!
ऐसा माना जाता है कि जब से पृथ्वी पर मानव सभ्यता शुरु हुई है, तभी से किसी ना किसी रूप में योग का प्रचलन जारी है. जानकारों के अनुसार योग विज्ञान की उत्पत्ति किसी भी धर्म एवं आस्थाओं के अस्तित्व में आने से पहले हो चुकी थी. अलबत्ता योग विद्या में भगवान शिव को प्रथम योगी अथवा आदि योगी के रूप में जाना जाता है. हजारों साल पूर्व हिमालय में कांति सरोवर झील के तटों पर आदि योगी ने अपने प्रबुद्ध ज्ञान को सप्तऋषियों को प्रदान किया. सप्तऋषियों ने इस योग को एशिया, मध्य पूर्व, उत्तरी अफ्रीका एवं दक्षिण अमेरिका सहित विश्व के तमाम भागों में पहुंचाया. रोचक बात यह है आधुनिक वैज्ञानिकों ने पूरी दुनिया में इस प्राचीन संस्कृति की उपयोगिता को स्वीकारा और सराहा. हालांकि आज योग का काफी इतिहास नष्ट हो चुका है. किंतु जिस तरह से राम, कृष्ण, बुद्ध एवं महावीर के चिह्न भारतीय उपमहादीप में बिखरे पड़े हैं, उसी तरह योगी एवं तपस्वियों के निशान जंगल, पहाडों एवं गुफाओं में गाहे-बगाहे नजर आते हैं.