Holi 2021: जो रस बरस रह्यो बरसाने सो रस तीन लोक में नाय,  मथुरा की गलियों में बरसने लगा होली का रंग
हैप्पी होली 2021 (Photo Credits: File Image)

Holi 2021:  होली के त्योहार (Holi Festival) को महज कुछ ही दिन शेष रह गए हैं, ऐसे में होली (Holi) का जिक्र हो और बात कृष्ण की जन्मभूमि (Lord Krishna's Birth Place) मथुरा (Mathura) की ना हो, फिर तो होली का रंग ही फीका है, क्योंकि होली के असली रंग तो नंदलाल की नगरी मथुरा में ही है. मथुरा में ही तो राधा और कृष्ण कन्हैया ने अपने प्यार के रंगों से सारे देश को सराबोर किया था, तो आइए आज मथुरा की होली के बारे में जानते हैं.

40 दिन पहले होती है होली की शुरुआत

राधा और कृष्ण के प्रेम की नगरी मथुरा ऐसी जगह है, जहां रंगों का त्योहार बेगानों को भी अपना बना देता है और आसमान में खुशियों के रंग बिखेर देता है. मथुरा की होली इतनी प्रसिद्ध है कि लोग दूर विदेशों से भी खींचे चले आते हैं। यहां होली के 40 दिन पहले से ही होली की शुरुआत कर दी जाती है. महिलाएं 40 दिन पहले ही रोज एक-दूसरे को गुलाल लगाती हैं. हर घर में गुजिया बनती है. सड़कें रंगों से रंग जाती हैं. नंदलाल के धाम द्वारकाधीश में हर रोज सुबह 6 बजे आरती के बाद लोग एक दूसरे को गुलाल लगाते हैं. यह भी पढ़ें: Braj Ki Holi 2021 Live Streaming: यूपी के वृंदावन, बरसाना और मथुरा की लट्ठमार, लड्डू होली उत्सव को ऐसे देखें लाइव, घर बैठे रंगों के पर्व का लें आनंद

सदियों से चल रही परंपरा

कहा जाता है कि हजारों साल पहले मथुरा में राधा रानी को कृष्ण और उनके सखा परेशान करने के लिए रंगों से रंगते थे. श्री कृष्ण सांवले थे और वो राधा के गोर रूप को लेकर उनसे चिढ़ते थे, इसलिए कृष्ण अक्सर राधा के ऊपर रंग फेंका करते थे. भगवान श्री कृष्ण अपने दोस्तों के साथ राधा को रंग लगाने जाते थे,जिसके बाद राधा और उनकी सखियां रंग से बचने के लिए बांस की लाठियों से उन्हें दौड़ाती थीं, तभी से लट्ठमार होली बरसाना की परंपरा बन चुकी है.

हुरियारों पर बरसती है प्रेम पगी लाठियां

मथुरा स्थित नंदगांव में आज से लट्ठमार होली की शुरुआत हो रही है. हर साल नंदगांव के हुरियारे (पुरुष) होली खेलने के लिए निकलते हैं तो उधर हुरियारिनें (महिलाएं) सज-धजकर होली खेलने के लिए पूरी तैयारी से निकलती हैं. हुरियारे हुरियारिनों से हास-परिहास करते हैं. हास-परिहास ऐसी कि हुरियारिनें प्रेम से हुरियारों को घेर-घेर कर तड़ातड़ लाठियां बरसाती हैं. हुरियारे ढाल से लठ के वार का बचाव करते हैं. इधर दनादन प्रेम पगी लाठियों के हमले और रंगों की फुहार के बीच के अद्भुत नजारे का साक्षी बनने के लिए हजारों किमी से देखने के लिए लोग पहुंचते हैं.

नंदगांव की होली के अगले दिन ब्रज में रंगभरी एकादशी धूमधाम से मनाई जाती है. इसके बाद वृंदावन में पांच दिन तक यानी फाल्गुन एकादशी से पूर्णिमा तक बांके बिहारी मंदिर में सुबह-शाम गुलाल, टेसू के रंग और इत्र व गुलाब जल आदि से जबरदस्त होली खेली जाती है. यह भी पढ़ें: Holi 2021 Date: होली कब है? जानें होलिका दहन का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और रंगों के इस पावन पर्व का महत्व

मथुरा में अलग-अलग जगह होली का कार्यक्रम

24 मार्च- नंदगांव में लट्ठमार होली

25 मार्च- रंगभरी एकादशी पर वृंदावन की होली

28 मार्च- फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा को होलिका-दहन

29 मार्च- ब्रज में रंग और गुलाल की होली

30 मार्च- बलदेव में दाऊजी का हुरंगा

राधा रानी और कृष्ण ने जिस तरह से सदियों पहले नटखट तरह से होली के त्योहार को अपने प्यार के रंगों से रंगा था, हजारों साल बाद आज भी मथुरा में लोग इसी खुशी और उमंग के साथ इस त्योहार को मनाते हैं. हालांकि कोरोना काल की वजह से इस साल होली को लेकर सरकार और जिला प्रशासन की ओर से कई दिशा निर्देश भी जारी किए गए हैं.