Guru Tegh Bahadur Ji Parkash Purab 2020: गुरु तेग बहादुर जी का 400वां प्रकाश उत्सव, जानें सिखों के नौवें गुरु के जीवन से जुड़ी रोचक बातें
आज देश भर में सिखों के नौवें गुरु, गुरु तेग बहादुर सिंह जी की जयंती मनाई जा रही है. इस साल गुरु तेग बहादुर का यह 400वां प्रकाश पुरब है. हिंदु पंचाग के अनुसार, गुरु तेग बहादुर साहब का जन्म वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को अमृतसर में हुआ था, जबकि ग्रेगोरियन कैलेंडर के मुताबिक, श्री गुरु तेग बहादुर का जन्म 1 अप्रैल 1521 को हुआ था.
Guru Tegh Bahadur Ji Jayanti 2020: आज देश भर में सिखों के नौवें गुरु, गुरु तेग बहादुर सिंह जी की जयंती (Sri Guru Tegh Bahadur Jayanti) मनाई जा रही है. इस साल गुरु तेग बहादुर का यह 400वां प्रकाश पुरब (400th Parkash Purab) है. हिंदु पंचाग के अनुसार, गुरु तेग बहादुर साहब (Guru Tegh Bahadur Sahab) का जन्म वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को अमृतसर में हुआ था, जबकि ग्रेगोरियन कैलेंडर के मुताबिक, श्री गुरु तेग बहादुर का जन्म 1 अप्रैल 1521 को हुआ था. हालांकि सिख समुदाय के नानकशाही कैलेंडर (Nanakshahi calendar) के मुताबिक, नौवें गुरु का प्रकाश उत्सव 18 अप्रैल को मनाया जाएगा. उनका जन्म सिखों के छठे गुरु हरगोबिंद सिंह जी (Guru Hargobind Singh Ji) और माता नानकी (Mata Nanaki Ji) के घर हुआ था. सिखों के नौवें गुरु, गुरु तेग बहादुर जी के चार भाई और एक बहन थी, जिनके नाम बाबा गुरुदित्त जी, बाबा सूरज मल जी, बाबा अनी राय जी, बाबा अटल राय जी और बहन का नाम बीबी वीरो जी था.
गुरु तेग बहादुर को बचपन में त्याग मल के नाम से जाना जाता था. बचपन से ही वो संत स्वरूप गहन विचारवान, उदार चित्त और बहादुर स्वभाव के थे. उन्होंने सिख धर्म के प्रथम गुरु, गुरु नानक द्वारा बताए गए मार्ग का अनुसरण किया. उनके द्वारा रचित 115 पद्म गुरु ग्रंथ साहिब में सम्मिलित है. करतारपुर की लड़ाई में पेंदा खान के खिलाफ तलवार के साथ बहादुरी का प्रदर्शन करने के बाद उन्हें तेग बहादुर नाम दिया गया. गुरु तेग बहादुर जी सिखों के दसवें गुरु श्री गोबिंद सिंह जी के पिता थे.
गुरु तेग बहादुर जी से जुड़े रोचक तथ्य
- गुरु तेग बहादुर ने हिंदू धर्म के लिए अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया था, उनके इस बलिदान के लिए उन्हें हिंद दी चादर के रूप में भी जाना जाता है.
- सिखों के नौवें गुरु का विवाह 14 सितंबर 1632 को माता गुजरी जी के साथ हुआ था.
- गुरु हरगोबिंद सिंह साहिब की मृत्यु के बाद माता नानकी जी उन्हें और उनकी पत्नी गुजरी जी को ब्यास नदी के पास अपने बाबा के गांव बकाला ले गईं.
- गुरु तेग बहादुर ने गोइंदवाल, कीरतपुर साहिब, हरिद्वार, प्रयाग, मथुरा, काशी और गया जैसे कई पवित्र व ऐतिहासिक स्थलों का दौरा किया.
- सिखों के आठवें गुरु श्री गुरु हरकिशन जी ने स्वर्ग जाने से पहले 'बाबा बकाला' शब्द का उच्चारण किया था, जिसका अर्थ है कि उनके उत्तराधिकारी (बाबा) बकाला में मिलेंगे.
- कुछ महीनों के असमंजस के बाद अगस्त 1664 में दिल्ली से कुछ प्रमुख सिखों के नेतृत्व में सिख संगत बकाला गांव पहुंचे और श्री गुरु तेग बहादुर जी को नौवें गुरु के रूप में स्वीकार किया.
- जब गुरु तेग बहादुर जी के पुत्र, गुरु गोबिंद सिंह (दसवें सिख गुरु) का जन्म 1666 में पटना में हुआ, तब वे उनसे दूर असम के धुबरी में थे.
- श्री गुरु तेग बहादुर जी ने बिलासपुर की रानी चंपा से थोड़ी जमीन खरीदी और बाद में आनंदपुर साहिब शहर की स्थापना की.
- गुरु तेग बहादुर सिंह जी ने कश्मीरी पंडितों तथा अन्य हिंदुओं को बलपूर्वक मुसलमान बनाए जाने का कड़ा विरोध जताया था.
- सन 1675 में मुगल शासक औरंगजेब ने उन्हें इस्लाम कबूल करने के लिए कहा, लेकिन उन्होंने इस्लाम धर्म कबूल करने से इंकार करते हुए कहा कि वो शीश कटा सकते हैं लेकिन केश नहीं.
- इस्लाम धर्म न कबूल करने पर गुरु तेग बहादुर को मुगल सम्राट औरंगजेब के आदेश के तहत 11 नवंबर को दिल्ली में फांसी दी गई थी. यह भी पढ़ें: Guru Tegh Bahadur Sahib Ji Birth Anniversary 2019: सिख धर्म के नौवें गुरु थे गुरु तेग बहादुर साहब, जिन्होंने दुनिया को दिया प्रेम, एकता और भाईचारे का संदेश
गौरतलब है कि गुरु तेग बहादुर जी ने दूसरे धर्म के लोगों की रक्षा के लिए अपना जीवन न्योछावर कर दिया. जब हजारों कश्मीरी पंडितों का नरसंहार कर उनकी संपत्ति को तत्कालीन शासक मुगल सम्राट औरंगजेब के आदेश पर लूट लिया गया, तब कश्मीरी पंडितों की सहायता के लिए गुरु तेग बहादुर जी आगे आए. उन्होंने धार्मिकता और धर्म की स्वतंत्रता के लिए खुद को बलिदान कर दिया. विश्व के इतिहास में धर्म एवं मानवीय मूल्यों, आदर्शों और सिद्धांतों की रक्षा के लिए अपने प्राणों को न्योछावर करने वाले गुरु तेग बहादुर साहब का स्थान आज भी अद्वितीय है