Gita Jayanti 2019: गीता जयंती कब है? महाभारत युद्ध शुरु होने से पहले कुरुक्षेत्र में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को दिया था गीता का उपदेश, जानें शुभ मुहूर्त और महत्व
मार्गशीर्ष (अगहन) मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को गीता जयंती मनाई जाती है. इस एकादशी तिथि को मोक्षदा एकादशी के नाम से जाना जाता है. द्वापर युग में इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र में महाभारत युद्ध शुरु होने से पहले अर्जुन को जीवन, मरण, मोह और माया के चक्र से मुक्त करने के लिए गीता का उपदेश दिया था.
Geeta Jayanti 2019: मार्गशीर्ष (अगहन) मास के शुक्ल पक्ष (Margashirsha Shukla Paksha) की एकादशी तिथि को गीता जयंती (Gita Jayanti) मनाई जाती है. इस एकादशी तिथि को मोक्षदा एकादशी (Mokshada Ekadashi) के नाम से जाना जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, अगहन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान श्रीकृष्ण (Lord Krishna) ने अपने मुख से गीता का उपदेश दिया था. द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र में महाभारत (Mahabharat) युद्ध शुरु होने से पहले अर्जुन (Arjun) को जीवन, मरण, मोह और माया के चक्र से मुक्त करने के लिए गीता का उपदेश दिया था, इसलिए अगहन मास के शुक्ल पक्ष की मोक्षदा एकादशी के दिन गीता जयंती मनाई जाती है. इस साल गीता जयंती 8 दिसंबर 2019 को मनाई जा रही है.
श्रीकृष्ण द्वारा दिए गए गीता के उपदेश आज भी प्रासंगिक है. माना जाता है कि गीता के प्रमुख उपदेशों को आत्मसात करने से जीवन में सफलता के द्वार खुल जाते हैं. इतना ही नहीं श्रीमद्भगवत गीता में व्यक्ति की सभी परेशानियों का हल भी छुपा हुआ है.
शुभ मुहूर्त
गीता जयंती तिथि- 8 दिसंबर 2019 (रविवार)
एकादशी तिथि प्रारंभ- 7 दिसंबर 2019 को सुबह 06.34 बजे से,
एकादशी तिथि समाप्त- 8 दिसंबर 2019 की सुबह 08.29 बजे तक.
पारण का समय- 9 दिसंबर 2019 को सुबह 07.06 बजे से 09.09 बजे तक.
इस दिन क्या करें?
- गीता जयंती के दिन शंख का पूजन करना चाहिए. पूजन के बाद शंख बजाने से नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं.
- गीता जयंती के दिन भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की पूजा करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है और लक्ष्मी का आगमन होता है.
- इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के विराट स्वरुप के दर्शन करने से समस्त बिगड़े हुए काम बनते हैं और जीवन में शांति आती है.
- इस दिन श्रीमद्भगवत गीता के दर्शन करने से परिवार में कलह, क्लेश या झगड़े से संबंधित समस्याएं दूर होती हैं.
- गीता जयंती के दिन श्रीमद्भगवत गीता घर लाना अत्यंत शुभ माना जाता है. माना जाता है इससे माता लक्ष्मी स्थायी रूप से घर में निवास करती हैं. यह भी पढ़ें: Mokshada Ekadashi 2019: मोक्षदा एकादशी कब है? यह व्रत रखने से होती है मोक्ष की प्राप्ति, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इसका महत्व
गीता जयंती का महत्व
गीता जयंती का मूल उद्देश्य यही है कि हर व्यक्ति गीता के उपदेशों का अपनी जिंदगी में पालन करें और आगे बढ़ें. गीता हमें ज्ञान, धैर्य, दुख, लोभ और अज्ञानता से बाहर निकालने की प्रेरणा देती है. यह मात्र एक ग्रंथ नहीं है, बल्कि यह अपने आप में एक संपूर्ण जीवन है. इसमें भगवान श्रीकृष्ण ने पुरुषार्थ और कर्तव्य के पालन की सीख दी है. गीता जयंती को श्रीमद्भगवत गीता के जन्मदिन के तौर पर मनाया जाता है.
नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को प्रचलित मान्यताओं के आधार पर सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.