Dussehra 2020 Special: ये हैं भारत के प्रसिद्ध रावण मंदिर, जहां विजयादशमी पर की जाती है लंकापति की पूजा

रावण पर श्रीराम की जीत के प्रतीक के तौर पर विजयादशमी का पर्व मनाया जाता है. हमारे देश में अधिकांश लोग रावण और उसकी दुष्टता से घृणा करते हैं. हालांकि देश में लंकापति रावण के कई ऐसे मंदिर भी हैं, जहां विजयादशमी के दिन उनकी पूजा की जाती है. भगवान शिव और महादेव के प्रति रावण के समर्पण व भक्ति के कारण कुछ लोग उसकी पूजा करते हैं.

भारत के प्रसिद्ध रावण मंदिर (Photo Credits: Facebook)

Dussehra 2020 Special: अधर्म पर धर्म, असत्य पर सत्य और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक विजयादशमी (Vijayadashami) यानी दशहरा (Dussehra) इस साल 25 अक्टूबर को मनाया जाएगा. इस दिन देश के विभिन्न स्थानों पर लंकापति रावण (Lankapati Ravana), मेघनाथ और कुंभकर्ण के पुतले जलाए जाते हैं. माना जाता है कि भगवान राम (Lord Rama) ने विजयादशमी के दिन रावण का संहार कर उस पर विजय प्राप्त की थी. रावण पर श्रीराम की जीत के प्रतीक के तौर पर विजयादशमी का पर्व मनाया जाता है. हमारे देश में अधिकांश लोग रावण और उसकी दुष्टता से घृणा करते हैं. हालांकि देश में लंकापति रावण के कई ऐसे मंदिर भी हैं, जहां विजयादशमी के दिन उनकी पूजा की जाती है. भगवान शिव और महादेव के प्रति रावण के समर्पण व भक्ति के कारण भी कुछ लोग लंकापति की पूजा करते हैं.

1- रावण मंदिर बिसरख, उत्तर प्रदेश

माना जाता है कि बिसरख रावण का जन्मस्थान है और कहा जाता है कि इस गांव का नाम रावण के पिता विश्रवा के नाम पर रखा गया था. ऐसी मान्यता है कि विश्रवा ने यहां एक शिवलिंग का निर्माण करने के लिए एक मंदिर का निर्माण करवाया था, जो उन्हें ग्रोव वन से मिला था. दशहरा पर हर साल इस गांव के लोग शोक मनाते हैं. यह भी पढ़ें: Dussehra 2020: दशहरा पर शस्त्र-पूजन की परंपरा! रावण का संहार करने से पूर्व श्रीराम ने भी की थी शक्ति एवं शस्त्रों की पूजा!

2- जोधपुर रावण मंदिर, राजस्थान

मैदगिल ब्राह्मण समुदाय को रावण का वंशज कहा जाता है. वे रावण से मंदोदरी के विवाह के लिए लंका से यहां आए थे. उनका विवाह मंडोर में हुआ था, जो उनकी पत्नी मंदोदरी के नाम पर है, इसलिए यहां के लोग रावण को अपना दामाद मानते हैं. यहां रावण की कई मूर्तियां स्थित हैं.

3- बैजनाथ मंदिर कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश

बैजनाथ कांगड़ा का एक शहर है जो भगवान रावण का सम्मान करता है. किंवदंतियों के अनुसार, त्रेतायुग के दौरान रावण ने भगवान शिव की पूजा की थी. शिव जी को प्रसन्न करने के लिए उन्होंने हवन कुंड में अपने सिर को अर्पित कर दिया था. भगवान शिव रावण की इस भक्ति से प्रसन्न हो गए और रावण दशानन कहलाए. शिव के प्रति उनकी समर्पित पूजा के कारण रावण को ग्रामीणों द्वारा पूजा जााता है.

4- काकीनाड़ा रावण मंदिर, आंध्र प्रदेश

यह आंध्र प्रदेश का एकमात्र स्थान है जो रावण की पूजा करता है. माना जाता है कि रावण ने भगवान शिव के लिए एक मंदिर बनाने के लिए इस स्थान को चुना था. शिवलिंग के साथ लोग रावण की प्रतिमा को देखते हैं. प्रवेश द्वार में ही रावण की विशाल प्रतिमा अपने दस सिर के साथ दिखाई देती है.

5- रावणग्राम मंदिर, मध्य प्रदेश

रावणग्राम मंदिर मध्य प्रदेश के विदिशा शहर में स्थित है. यहां हर कोई रावण का भक्त है और यह  मंदिर अनोखा है, क्योंकि इसमें लंका नरेश की 10 फुट ऊंची एक मूर्ति वैभवपूर्ण स्थिति में दिखाई देती है. मंदिर को कान्यकुब्ज ब्राह्मणों द्वारा बनाया गया था. एक उप संप्रदाय जिसे रावण का हिस्सा माना जाता है. इस शहर में भी दशहरे का कोई उत्सव नहीं देखा जाता है, बल्कि अन्य खुशी के अवसरों पर वे उसे भगवान लंकेश के रूप में प्रकट करते हैं. यह भी पढ़ें: Dussehra 2020: क्या विभीषण राष्ट्रद्रोही थे? अगर वे राम की मदद नहीं करते तो क्या रावण के प्राण बच जाते?

6- गढ़चिरौली, महाराष्ट्र

महाराष्ट्र के गढ़चिरौली क्षेत्र के गोंड जनजाति के लोग रावण और विभीषण का सम्मान करते हैं. उनका मानना है कि रावण ने कुछ भी गलत या क्रूर नहीं किया है.  इस दिन यहां के लोग रावण के पुतले को जलाने से बहिष्कार करते हैं.

गौरतलब है कि ये देश के कुछ ऐसे स्थान हैं जो रावण को भगवान की तरह पूजते हैं और उसका सम्मान करते हैं, जबकि देश के कई हिस्सों में दशहरा के दिन रावण के पुतले का दहन किया जाता है.

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