Durga Puja 2023: कब शुरू होगा दुर्गा पूजा? जानें पांच दिवसीय पूजा-अनुष्ठान कार्यक्रम, और धुनुची नृत्य का दुर्गा पूजा में महत्व?

आश्विन माह के शुरू होते ही देश भर में दुर्गा पूजा की तैयारियां शुरू हो जाती हैं. विशेषकर बंगाली बाहुल्य इलाकों में दुर्गा पूजा की दिव्यता देखते ही बनती है. यह पूजा षष्ठी से नवमी तक चलता है, दशमी के दिन सिंदूर खेला के साथ माँ दुर्गा का विसर्जन अश्रुपूरित आंखों से किया जाता है.

Durga Puja 2023

आश्विन माह के शुरू होते ही देश भर में दुर्गा पूजा की तैयारियां शुरू हो जाती हैं. विशेषकर बंगाली बाहुल्य इलाकों में दुर्गा पूजा की दिव्यता देखते ही बनती है. यह पूजा षष्ठी से नवमी तक चलता है, दशमी के दिन सिंदूर खेला के साथ माँ दुर्गा का विसर्जन अश्रुपूरित आंखों से किया जाता है. दुर्गा पूजा की भव्यता और दिव्यता पश्चिम बंगाल में देखते बनती है. अच्छाई की बुराई पर जीत स्वरूप मनाया जाने वाले इस महापर्व की शुरुआत 20 अक्टूबर 2023, शुक्रवार से होगी, और 24 अक्टूबर 2023, मंगलवार के दिन दुर्गा विसर्जन के साथ दुर्गा पूजा सम्पन्न होगा. आइये जानते हैं दुर्गा पूजा के पांच दिवसीय कार्यक्रम एवं आरती के समय होने वाले धुनुची नृत्य के बारे मे..

महालयाः कैलाश से महाशक्ति का पृथ्वी पर अवतरण

पश्चिम बंगाल के साथ-साथ असम, उड़ीसा, बिहार, त्रिपुरा, और झारखंड जैसे राज्यों में भी दुर्गा पूजा उतनी ही आस्था एवं भव्यता के साथ मनाई जाती है. दुर्गा पूजा का प्रारंभ एक सप्ताह पहले महालया से ही शुरू हो जाता है, मान्यता अनुसार महालया देवी दुर्गा द्वारा अपनी दिव्य शक्तियों के साथ कैलाश पर्वत से पृथ्वी पर अवतरित होने का प्रतीक है. मूर्तिकार इस दिन दुर्गा जी की पूजा-अर्चना कर उनकी प्रतिमा की केवल आंखे बनाते हैं, उसमें रंग भरते हैं. इसके साथ ही दुर्गा पूजा की तैयारियां शुरू हो जाती हैं.

महालय प्रारंभः 14 अक्टूबर 2023, शनिवार

षष्ठी पूजा का मुहूर्तः 12.31 PM से 11.24 PM तक (20 अक्टूबर 2023)

सप्तमी पूजा का मुहूर्तः 11.24 PM से 09.53 PM तक (20/21 अक्टूबर 2023)

महा अष्टमी का मुहूर्तः 09.53 PM से 07.58 PM तक (21/22 अक्टूबर 2023)

संधि (सोंधी पूजा) पूजा का मुहूर्त 07.34 PM से 08.22 PM (22 अक्टूबर 2023)

महानवमी का मुहूर्तः 07.58 PM से अगले दिन 05.44 PM तक (22/23 अक्टूबर 2023)

दुर्गा पूजा विसर्जन मुहूर्तः 06.27 AM से 08.42 AM तक (24 अक्टूबर 2023)

दुर्गा पूजा में धुनुची नृत्य का महत्व!

हिंदू धर्म में दुर्गा पूजा एक पारंपरिक पर्व है. इसकी तमाम परंपराओं में एक है धुनुची नृत्य, जिसे मां दुर्गा की आरती के साथ करते हैं. धुनुची बंगाल की पारंपरिक भक्ति-नृत्य है, जो आरती के दरम्यान ढाक-बाजा की ताल पर करते हैं. मिट्टी के बर्तन (धुनुची) में नारियल का जाट और धूप को जलाते हैं, तथा धुनुची को अपने हाथों में लेकर माथे और मुंह से होते हुए संतुलन के साथ नृत्य करते हैं दुर्गा जी की आरती के दरम्यान धुनुची नृत्य में पुरुष और महिलाएं संयुक्त रूप से हिस्सा लेते हैं. इस नृत्य के जरिये माँ शक्ति के पृथ्वी आगमन पर धन्यवाद प्रस्तुत करते हैं.

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