Chitragupta Jayanti 2020: वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि का हिंदू धर्म में बहुत महत्व बताया जाता है. प्रचलित पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन एक ओर जहां मां गंगा (Maa Ganga) स्वर्गलोक से भगवान शिव (Lord Shiva) की जटाओं में समाहित हुई थीं तो वहीं दूसरी तरफ इसी दिन मृत्यु के देवता यमराज (Yamraj)के सहायक चित्रगुप्त (Chitragupta) का प्राकट्य भी हुआ था, इसलिए आज (30 अप्रैल) यानी वैशाख शुक्ल सप्तमी को गंगा सप्तमी और चित्रगुप्त जयंती (Chitragupta Jayanti) का पर्व मनाया जा रहा है. चित्रगुप्त जयंती पर कायस्थ समाज के लोग उनकी विशेष पूजा-अर्चना करते हैं. भगवान चित्रगुप्त मृत्यु के देवता यमराज के सहायक माने जाते हैं. कहा जाता है कि वे मनुष्यों के अच्छे-बुरे कर्मों और जीवन-मृत्यु का लेखा-जोखा रखते हैं. चलिए जानते हैं भगवान चित्रगुप्त का प्राकट्य कैसे हुआ, वो कैसे यमराज के सहयोगी बने और किस विधि से उनका पूजन करें.
भगवान चित्रगुप्त का प्राकट्य
भगवान ब्रह्मा ने जब इस सृष्टि की रचना की तब उन्होंने देव, नाग, गंधर्व, अप्सरा, स्त्री-पुरुष और पशु-पक्षी जैसे जीवों को बनाया. इसी प्रकार यमराज का भी जन्म हुआ, जो आगे चलकर धर्मराज और मृत्यु के देवता कहलाए. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, चित्रगुप्त भगवान ब्रह्मा के सत्रहवें और आखिरी मानस पुत्र हैं. ब्रह्मा जी की काया से उनकी उत्पत्ति हुई थी, इसलिए उन्हें कायस्थ भी कहते हैं. यही वजह है कि कायस्थ समाज के लोग अपने ईष्टदेव की पूजा पूरे विधि-विधान से करते हैं.
ऐसे बनें यमराज के सहायक
यमराज को इस संसार के सभी जीवों को उनके कर्मों के आधार पर सजा देने का अधिकार प्राप्त हुआ, जिसके बाद उन्होंने ब्रह्मा जी से अपने लिए एक कुशल सहयोगी की मांग की. यमराज के निवेदन पर वैशाख शुक्ल सप्तमी को ब्रह्मा जी की काया से दिव्य पुरुष भगवान चित्रगुप्त प्रकट हुए, जो यमराज के सहायक बने. चित्रगुप्त जी को यमराज का मुंशी भी कहा जाता है, क्योंकि वे सभी जीवों के जीवन-मृत्यु और अच्छे-बुरे कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं, जिसके आधार पर यमराज उन्हें दंड देते हैं. चित्रगुप्त जी अपनी भुजाओं में कलम, दवात, करवाल और किताब धारण करते हैं. वैशाख शुक्ल सप्तमी को चित्रगुप्त जयंती मनाई जाती है, इसके अलावा कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि को भी भगवान चित्रगुप्त और यमराज की पूजा की जाती है. यह भी पढ़ें: Chitragupta Puja 2019: यमराज के सहायक चित्रगुप्त की जयंती आज, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजन विधि, आरती, मंत्र और इसका महत्व
भगवान चित्रगुप्त पूजा विधि
वैशाख शुक्ल सप्तमी के दिन सुबह स्नान करने के बाद पूजा स्थल पर पूर्व दिशा में एक चौकी स्थापित करें. उस पर चित्रगुप्त भगवान की तस्वीर रखें. तस्वीर नहीं है तो भगवान चित्रगुप्त का प्रतीक मानकर कलश की स्थापना करें. अब विधि पूर्वक पुष्प, अक्षत, धूप, मिठाई, फल, पंचामृत, पान-सुपारी इत्यादि पूजन सामग्री से भगवान गणेश और चित्रगुप्त जी का पूजन करें. पूजा करते समय उन्हें एक नई लेखनी या कलम अर्पित करें और कलम-दवात की पूजा करें. विधिवत पूजा करने के बाद परिवार के सभी सदस्यों के साथ मिलकर उनकी आरती करें. माना जाता है कि उनके आशीर्वाद से मृत्यु के बाद व्यक्ति को नरक यातना नहीं झेलनी पड़ती है.