Chhath Puja 2023 Kharna Messages in Hindi: हिंदू धर्म में चैत्र और कार्तिक मास में छठ पूजा का महापर्व मनाया जाता है, जिसमें कार्तिक मास के चार दिवसीय छठ पूजा महापर्व का विशेष महत्व बताया जाता है. छठ पूजा का व्रत करने से घर-परिवार में सुख-शांति, धन-समृद्धि आती है, इसके साथ ही उत्तम आरोग्य का वरदान मिलता है. इस महापर्व को बिहार (Bihar), उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh), झारखंड (Jharkhand) और नेपाल (Nepal) के तराई वाले क्षेत्रों में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. छठ पूजा महापर्व को छठ पूजा, डाला छठ, छठी माई, छठ, छठ माई पूजा, सूर्य षष्ठी जैसे विभिन्न नामों से जाना जाता है. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से सप्तमी तिथि तक मनाए जाने वाले इस महापर्व के दौरान सूर्य देव और छठ मैया की उपासना की जाती है. इस व्रत के नियम बाकी व्रतों से काफी कठिन और सख्त होते हैं, इसलिए इसे महाव्रत भी कहा जाता है.
पांच दिवसीय दिवाली उत्सव के बाद हर तरफ छठ की छटा दिखाई देने लगती है. चार दिवसीय छठ महापर्व के दूसरे दिन खरना होता है और इस दिन व्रती बिना अन्न जल के निर्जल व्रत रखते हैं, फिर शाम को चावल व गुड़ की खीर खाई जाती है, उसके बाद 36 घंटे का निर्जल व्रत शुरु हो जाता है. इस खास अवसर पर आप इन हिंदी मैसेजेस, कोट्स, वॉट्सऐप विशेज, फेसबुक ग्रीटिंग्स और फोटो एसएमएस के जरिए हैप्पी खरना और छठ पूजा कह सकते हैं.
1- छठ पूजा पर सूर्य देव की कृपा से,
जीवन में सुख-समृद्धि और शांति आए,
आपके सारे सपने हकीकत बन जाएं,
दुख और तकलीफें आपसे कोसों दूर रहें.
हैप्पी खरना और छठ पूजा
2- छठ पूजा आए बनके उजाला,
खुल जाए आपकी किस्मत का ताला,
हमेशा आप पर रहे मेहरबान ऊपर वाला,
यही दुआ करता है आपका ये चाहने वाला.
हैप्पी खरना और छठ पूजा
3- पूरा हो आपका हर सपना,
हर तरफ बढ़ती रहे आपकी शान,
मिले सबसे आपको प्यार अपार,
शुभकामना हमारी करें स्वीकार.
हैप्पी खरना और छठ पूजा
4- मंदिर की घंटी, आरती की थाली,
नदी के किनारे, सूरज की लाली,
जिंदगी में आए खुशियों की बहार,
आपको मुबारक हो छठ का त्योहार.
हैप्पी खरना और छठ पूजा
5- छठ पूजा का पावन पर्व,
है सूर्य देव की पूजा का पर्व,
करो मिलकर सूर्य देव को प्रणाम,
और बोलो सुख-शांति दें अपार.
हैप्पी खरना और छठ पूजा
गौरतलब है कि आज (18 नवंबर 2023) छठ पूजा महापर्व का दूसरा यानी खरना है, जबकि तीसरा दिन बेहद महत्वपूर्ण होता है. छठ पूजा के तीसरे दिन व्रती पवित्र नदी या तालाब में खड़े होकर शाम के समय डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं, जिसे संध्या अर्घ्य कहा जाता है. इसके बाद चौथे दिन सूर्योदय के समय उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है, जिसे ऊषा अर्घ्य कहा जाता है और इसी के साथ चार दिवसीय छठ पूजा महापर्व का समापन होता है.