
Buddha Purnima 2025 Quotes: बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima) बौद्ध परंपरा में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो भारत के अलावा दक्षिण, दक्षिण-पूर्व और पूर्वी एशिया में पूरी आस्था एवं निष्ठा के साथ मनाया जाता है. वस्तुतः यह पर्व राजकुमार सिद्धार्थ गौतम (Sidharth Gautam) के जन्म की याद दिलाता है, जो अथक तप करने के पश्चात गौतम बुद्ध (Gautam Buddha) के नाम से लोकप्रिय हुए, और बौद्ध धर्म की स्थापना की. बौद्ध परंपरा और पुरातात्विक खोजों के अनुसार, सिद्धार्थ का जन्म वैशाख पूर्णिमा के दिन लुम्बिनी (नेपाल) में रानी माया देवी के गर्भ से हुआ था. सिद्धार्थ के पिता राजा शुद्धोधन थे. इस दिन को बुद्ध जयंती (Buddha Jayanti) के नाम से भी मनाया जाता है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस वर्ष 12 मई 2025, सोमवार को बुद्ध पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा. बुद्ध पूर्णिमा से संबंधित यहां कुछ प्रभावशाली एवं प्रेरक कोट्स यहां दिये जा रहें हैं, जिन्हें अपने मित्र-परिजनों एवं शुभचिंतकों को भेजकर हम इस पर्व के उत्साह को दुगुना कर सकते हैं.
1- ‘तुम अपने क्रोध के लिए दंड नहीं पाओगे, तुम अपने क्रोध के द्वारा दंड प्राप्त करोगे होगे.’
– गौतम बुद्ध

2- ‘जो व्यक्ति अपने मन को नियंत्रित एवं संयमित कर सकता है, वह पूरे संसार को जीत सकता है.’
– गौतम बुद्ध

3- ‘स्वस्थ शरीर और शांत मन ही मनुष्य का असली धन है.’
– गौतम बुद्ध

4- ‘हजारों खोखले शब्दों से कहीं अच्छा एक शब्द है शांति.’
– गौतम बुद्ध

5- ‘अपने उद्धार के लिए आप स्वयं कार्य करो, दूसरों पर निर्भर रहने की कोशिश मत करो.’
– गौतम बुद्ध

6- ‘याद रहे तीन चीजें ज्यादा देर तक नहीं छुप सकतीं: सूर्य, चंद्रमा और सत्य.’
– गौतम बुद्ध

7- ‘हर सुबह हम एक नया जन्म लेते हैं. आज हम जो कार्य करते हैं, वही सबसे ज्यादा मायने रखता है.’
– गौतम बुद्ध

8- ‘नफरत से नफरत कभी समाप्त नहीं हो सकती, यह केवल प्रेम व्यवहार से ही समाप्त की जा सकती है. यह शाश्वत नियम है’
– गौतम बुद्ध

9- ‘हमें कोई नहीं बचा सकता, सिवाय हमारे खुद के. कोई नहीं बचा सकता और कोई नहीं बचा सकता. हमें खुद ही मार्ग पर चलना चाहिए.’
– गौतम बुद्ध

10- ‘स्वास्थ्य सबसे बड़ा उपहार है, संतोष सबसे बड़ी दौलत है, वफादारी सबसे अच्छा रिश्ता है.’
– गौतम बुद्ध

11- ‘घृणा घृणा से नहीं, बल्कि प्रेम से समाप्त होती है; यह शाश्वत नियम है.’
– गौतम बुद्ध

12- ‘जिस तरह मोमबत्ती बिना आग के नहीं जल सकती, उसी तरह मनुष्य आध्यात्मिक जीवन के बिना नहीं रह सकता.’
– गौतम बुद्ध

गौरतलब है कि वैशाख पूर्णिमा के दिन ही भगवान गौतम बुद्ध का जन्म, ज्ञान की प्राप्ति और महापरिनिर्वाण हुआ था, इसलिए इसे 'त्रैवेदिक' पर्व भी कहा जाता है. इस पर्व को दिल्ली, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, त्रिपुरा, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, चंडीगढ़ और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है.