Bal Gangadhar Tilak Punyatithi 2024 Quotes: बाल गंगाधर तिलक की पुण्यतिथि पर उनके इन 10 महान विचारों को शेयर कर दें उन्हें श्रद्धांजलि
बाल गंगाधर तिलक का स्वतंत्रता संग्राम में बहुत बड़ा योगदान रहा है, उन्होंने 'मराठा दर्पण' और 'केसरी' नाम के अखबार की शुरुआत की. इन अखबारों के जरिए उन्होंने अंग्रेजी शासन की क्रूरता के खिलाफ आवाज उठाई. इसके साथ ही उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में अपने संघर्षपूर्ण भाषणों से लोगों को प्रेरित किया. बाल गंगाधर तिलक की पुण्यतिथि पर आप उनके इन 10 महान विचारों को अपनों संग शेयर कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर सकते हैं.
Bal Gangadhar Tilak Punyatithi 2024 Quotes: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान नेताओं में शुमार लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक (Lokmanya Bal Gangadhar Tilak) के योगदान को नकारा नहीं जा सकता है, क्योंकि उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा देने में अहम योगदान दिया और लोगों में देश प्रेम और आत्मनिर्भरता की भावना जागृत की. तिलक भारत के उन महान क्रांतिकारियों में से एक रहे हैं जो स्वराज या स्व-शासन के लिए हमेशा खड़े हुए, इसलिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने उन्हें आधुनिक भारत का निर्माता भी कहा था. उनका जन्म 23 जुलाई 1856 को महाराष्ट्र (Maharashtra) के कोंकण प्रदेश (रत्नागिरी) के चिखली गांव में हुआ था, जबकि उनकी मृत्यु 1 अगस्त 1920 को हुई थी. बाल गंगाधर तिलक पढ़ाई में शुरु से ही काफी तेज थे और उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा रत्नागिरी के विद्यालय से पूरी की थी. इसके बाद सन 1877 में तिलक ने पुणे के डेक्कन कॉलेज से संस्कृत और गणित विषय में डिग्री हासिल की, फिर उन्होंने मुंबई के सरकारी लॉ कॉलेज से एलएलबी पास किया. पढ़ाई पूरी होने के बाद वो पुणे के निजी स्कूल में गणित और अंग्रेजी के शिक्षक बन गए.
बाल गंगाधर तिलक का स्वतंत्रता संग्राम में बहुत बड़ा योगदान रहा है, उन्होंने 'मराठा दर्पण' और 'केसरी' नाम के अखबार की शुरुआत की. इन अखबारों के जरिए उन्होंने अंग्रेजी शासन की क्रूरता के खिलाफ आवाज उठाई. इसके साथ ही उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में अपने संघर्षपूर्ण भाषणों से लोगों को प्रेरित किया. बाल गंगाधर तिलक की पुण्यतिथि पर आप उनके इन 10 महान विचारों को अपनों संग शेयर कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर सकते हैं.
बाल गंगाधर तिलक के व्यक्तित्व में समर्थन, साहस और स्वतंत्रता के प्रति अटूट समर्पण की अनुभूति दिखती थी. उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को प्रेरित किया और भारत की आजादी में महत्वपूर्ण योगदान दिया. उनके महत्वपूर्ण योगदान को देखते हुए ही उन्हें लोकमान्य की उपाधि से नवाजा गया. उन्होंने 1 अगस्त 1920 को मुंबई में अंतिम सांस ली थी, इसलिए उनकी पुण्यतिथि पर लोग स्वतंत्रता संग्राम में दिए गए उनके योगदान को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं.