Bail Pola 2024 Wishes in Marathi: बैल पोला की इन मराठी WhatsApp Messages, Quotes, Facebook Greetings के जरिए दें शुभकामनाएं
पोला के दिन गायों और बैलों को स्नान करवाने के बाद उनके सींगों और खुरों को विभिन्न रंगों से सजाया जाता है. फिर किसान उनकी पूजा करके, उन्हें अच्छा भोजन खिलाते हैं. पूजा के बाद पूरे गांव में ढोल-नगाड़ों के साथ जुलूस निकाला जाता है और शुभकामनाएं भी दी जाती हैं. ऐसे में आप भी इन मराठी विशेज, वॉट्सऐप मैसेजेस, कोट्स, फेसबुक ग्रीटिंग्स को भेजकर मराठी में बैल पोला की शुभकामनाएं दे सकते हैं.
Bail Pola 2024 Wishes in Marathi: भारत एक कृषि प्रधान देश है, इसलिए यहां मनाए जाने वाले कई त्योहारों का संबंध किसानों, फसलों और पशु धन से होता है. इन्हीं पर्वों में से एक है बैल पोला, जिसे महाराष्ट्र (Maharashtra), छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh), मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh), तेलंगाना (Telangana) और कर्नाटक (Karnataka) जैसे राज्यों में धूमधाम से मनाया जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, बैल पोला (Bail Pola) का त्योहार हर साल भाद्रपद की अमावस्या को मनाया जाता है, जिसे कई जगहों पर पिठोरी अमावस्या (Pithori Amavasya) के नाम से भी जाना जाता है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, इस साल बैल पोला का पर्व 2 सितंबर 2024 को मनाया जा रहा है. इस दिन किसान अपने गाय और बैलों को स्नान करवाकर, उनका साज-श्रृंगार करते हैं. उन्हें अच्छे-अच्छे भोजन कराते हैं और विधि-विधान से उनकी पूजा-अर्चना करते हैं.
पोला के दिन गायों और बैलों को स्नान करवाने के बाद उनके सींगों और खुरों को विभिन्न रंगों से सजाया जाता है. गले में घुंघरू, घंटियों और कौड़ियों की माला पहनाई जाती है, फिर किसान उनकी पूजा करके, उन्हें अच्छा भोजन खिलाते हैं. पूजा के बाद पूरे गांव में ढोल-नगाड़ों के साथ जुलूस निकाला जाता है और शुभकामनाएं भी दी जाती हैं. ऐसे में आप भी इन मराठी विशेज, वॉट्सऐप मैसेजेस, कोट्स, फेसबुक ग्रीटिंग्स को भेजकर मराठी में बैल पोला की शुभकामनाएं दे सकते हैं.
दे वचन तू मला,
म्हणतो माझा लाडका बैल.
गौरतलब है कि पोला की पूर्व रात्रि गर्भ-पूजन की परंपरा निभाई जाती है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन अन्न माता गर्भ धारण करती हैं यानी धान के पौधों में दूध भरता है, इसलिए जिन-जिन राज्यों में पोला का त्योहार मनाया जाता है, वहां इस दिन किसी को भी खेतों में जाने की अनुमति नहीं रहती है. पोला की पूर्व रात्रि गांव के पुजारी, मुखिया और कुछ व्यक्ति गांव के बाहरी हिस्सों (सीमाओं) में जाकर देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना करते हैं, जो पूरी रात चलती है. पूजा के दौरान चढ़ाए गए प्रसाद को वहीं ग्रहण किया जाता है, उसे घर पर लाने की अनुमति नहीं होती है. इस पूजा में उस व्यक्ति का प्रवेश वर्जित होता है, जिसकी पत्नी गर्भवती होती है.