70 साल पहले अमेरिका ने हाइड्रोजन बम का परीक्षण कर बर्बादी का जो बीज बोया था, वह आज भयावह वृक्ष बन चुका है, उस पर तुर्रा यह है कि दुनिया भर में शांति के प्रचार-प्रसार का ढोंग रचकर अन्य देशों को परमाणु परीक्षण से रोकने अथवा गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी भी देता रहा है. खबरों पर विश्वास करें, तो वर्तमान में भी अमेरिका खामोश नहीं है, वह हाइड्रोजन से भी कई गुना ज्यादा खतरनाक बम के परीक्षण की तैयारी कर रहा है. आइये जानते हैं, 1 मार्च 1954 को हुए हाइड्रोजन बम के सफल परीक्षण के पश्चात दुनिया भर के देशों में क्या रिएक्शन हुआ होगा. साथ ही जानेंगे कौन-कौन से देश हाइड्रोजन बम सम्पन्न देश हैं तथा क्या भारत के पास भी हाइड्रोजन बम है?
इतना शक्तिशाली है हाइड्रोजन बम?
परमाणु विशेषज्ञों के अनुसार हाइड्रोजन बम को थर्मोन्यूक्लियर बम भी कहते हैं. इसका सफल परीक्षण का श्रेय एनरिको फर्मी (अमेरिका) को जाता है. इस बम में फ्यूज़न की प्रक्रिया होती है. फ्यूज़न में दो हल्के परमाणुओं के मिलने से भारी तत्व बनते हैं, जिससे ऊर्जा बनती है. इसके निर्माण में हाइड्रोजन के समस्थानिक ड्यूटीरियम और ट्राइटिरियम का प्रयोग होता है. यह परमाणुओं के संलयन से विस्फोट होता है. एक हाइड्रोजन बम परमाणु बम से 1000 गुना शक्तिशाली होता है. इसके ब्लास्ट होने के बाद वायु में इतना दबाव पैदा होता है कि वह मानव शरीर को कई किमी दूर फेंक देता है, हाइड्रोजन बम में ड्यूटेरियम और ट्रिटियम के इस्तेमाल से बनता है. यह बम हाइड्रोजन इसोटोपेस के आपस में मिलने पर काम करता है। इस धमाके से उत्पन्न गर्मी सूर्य के अधिकतम तापमान के बराबर होती है. इसकी रोशनी देखने भर से कोई भी अंधा हो सकता है. यह भी पढ़ें : Dwijapriya Sankashti Chaturthi 2024: क्या है द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी? जानें इसका आध्यात्मिक महत्व, मुहूर्त एवं पूजा-विधि इत्यादि!
हाइड्रोजन बम की विध्वंसक शक्ति क्षमता जाने से पहले, जान लें कि एक परमाणु बम से एक हजार गुना शक्तिशाली होता है एक हाइड्रोजन बम. अमेरिका ने 6 अगस्त 1945 को जब दक्षिणी जापान के हिरोशिमा शहर पर पहली बार परमाणु बम गिराया था, उसमें एक लाख 40 हजार लोग मारे गये और 70 शहर पूरी तरह तबाह हो गये थे. इसके बाद कल्पना की जा सकती है कि अगर हाइड्रोजन बम से किसी देश पर हमला किया गया तो स्थिति कितनी भयावह हो सकती है.
किन देशों के पास है हाइड्रोजन बम?
अमेरिका द्वारा हाइड्रोजन बम के प्रशिक्षण के बाद कई देशों में हाइड्रोजन बम के परीक्षण की होड़ सी मच गई. अमेरिका के बाद 30 अक्टूबर 1961 को सोवियत यूनियन ने आर्कटिक महासागर में अमेरिका से भी बड़ा धमाका कर खुद को हाइड्रोजन बम से सुसज्ज किया. आधिकारिक तौर पर तो नहीं मगर माना जाता है कि वर्तमान में अमेरिका एवं रूस के अलावा ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, भारत, इजरायल एवं पाकिस्तान के पास हाइड्रोजन बम हैं. जहां तक भारत की बात है तो भारत के पास हाइड्रोजन बम होने आधिकारिक पुष्टि नहीं है, लेकिन कहा जाता है कि 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्रित्व काल में परमाण बम के साथ ही हाइड्रोजन बम का सफल परीक्षण किया था.