Independence Day 2018: जाने क्यों अंग्रेजों ने भारत की आजादी के लिए चुना था 15 अगस्त 1947 का दिन, क्या इसके पीछे थी कोई साजिश
हम देशवासी 15 अगस्त 1947 इस दिन को आजादी के जश्न के रुप में मनाते आ रहें हैं. आज के ही दिन ब्रिटिश हुकूमत ने देश की कमान भारतीयों के हाथ में सौपा था. लेकिन शायद आज के नौजवानों को नही मालूम होगा कि देश की आजादी लोगों को एक साल बाद 3 जून 1948 को मिलने वाली थी.
दिल्ली: पूरा देश 15 अगस्त 1947 से पहले ब्रिटिश सरकार के हाथों में गुलाम था. अंग्रेजों से काफी लंबी लड़ाई लड़ने के बाद देश को आजादी मिली. जिसके बाद से ही पूरा देश 15 अगस्त 1947 इस दिन को आजादी के जश्न के रुप में मनाते आ रहें हैं. आज के ही दिन ब्रिटिश हुकूमत ने देश की कमान भारतीय नेताओं के हाथ में सौंपी थी. लेकिन शायद आज के नौजवानों को नही मालूम होगा कि देश की आजादी लोगों को एक साल बाद 3 जून 1948 को मिलने वाली थी.
भारत के आखिरी वायसराय लॉर्ड लुई माउंटबेटन ने उस दिन को बदल कर एक साल पहले 15 अगस्त 1947 को ही देश की कमान भारत के लोगों के हाथों में सौप दी. अंग्रेजों द्वारा ऐसा करने को लेकर कई अलग-अलग तर्क दिए जाते है. जानते है क्या थी वजह....
भारत 3 जून 1948 को होने वाला था आजाद
स्वतंत्रता दिवस को लेकर इतिहासकारों की माने तो इंडिया इंडिपेंडेंस बिल में अंग्रेजों ने भारत को सत्ता सौंपने के लिए 3 जून 1948 का दिन तय किया था. इस बात की घोषणा साल 1947 में चुने गए ब्रिटेन के प्रधानमंत्री क्लेमेंट रिचर्ड ने भी भारत में कर दी थी. साल 1947 में लुई माउंटबेटन को भारत के आखिरी वायसराय के तौर पर नियुक्त किया गया था. उन्हें ही भारत देश की सत्ता सौपने का अधिकारिक रूप से जिम्मेदारी दी गई थी. इन्होंने ही भारत की आजादी की तारीख को 3 जून 1948 से बदलवा कर 15 अगस्त 1947 कर दी.
वायसराय का अपना निजी फैसला
15 अगस्त 1947 का ही दिन क्यों चुना गया इसके बारे में आज भी इतिहास के जानकारों के बीच बहस छीड़ी हुई है. कुछ का कहना है कि वायसराय का वह नीजी फैसला था तो कुछ का कहना है कि वे यह बताना चाहते थे कि सब कुछ मेरे हाथों में है. हालांकि इतिहासकर 15 अगस्त 1947 के ही दिन आजादी का दिन रखने को लेकर वायसराय के बारे में और कई तर्क दी गई हैं
ब्रिटिश सरकार को जिन्ना के मौत का था डर
वही कुछ इतिहासकारों ने आजादी के दिन में बदलाव करने के बारे में एक दूसरा तर्क दिया है. उनके अनुसार ब्रिटिश हुकूमत जाते-जाते जिन्ना के सहारे भारत को बांटने की साजिश रची. ताकी देश में हिंदू मुस्लिम आपस में लड़ने लगे और भारत पाकिस्तान का बंटवारा हो जाए.
इसी बीच अंग्रेजों को मोहम्मद अली जिन्ना के बारे में मालूम पड़ गया कि उन्हें कैंसर हो गया है. उन्हें डर सताने लगा की कहीं आजादी के घोषणा से पहले ही जिन्ना की मौत हो जाती है तो महात्मा गांधी देश में रहने वाले मुस्लिमों का बटबारा नही होने देंगे.
इसी वजह से अंग्रेजों ने 3 जून 1948 के बजाय 15 अगस्त 1947 को ही भारत और पाकिस्तान का आजाद करवा दिया.बाद में वही हुआ जिस बात का अंग्रेजों को डर था. आजादी मिलने के बाद कुछ महीने बाद मोहम्मद अली जिन्ना का कैंसर से मौत हो गई. आज से 71 साल पहले अंग्रेजो ने भारत और पाकिस्तान के बीच जो जहर बोकर गए है. उसके चलते आज भी दोनों देश आपस में लड़ रहें है. इसे अंग्रेजो की नीति मानी जाती रही है फूट डालो और राज करो.