क्या है पंजाब सरकार का NRI कोटा? सुप्रीम कोर्ट ने 'फ्रॉड' बताकर कहा रोकनी होगी ये धोखाधड़ी
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पंजाब सरकार को बड़ा झटका देते हुए एनआरआई कोटा अपील को खारिज कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब के मेडिकल कॉलेजों में एनआरआई (NRI) कोटा के विस्तार को "शिक्षा प्रणाली पर धोखा" करार दिया.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पंजाब सरकार को बड़ा झटका देते हुए एनआरआई कोटा अपील को खारिज कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब के मेडिकल कॉलेजों में एनआरआई (NRI) कोटा के विस्तार को "शिक्षा प्रणाली पर धोखा" करार दिया. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब सरकार को कड़ी फटकार भी लगाई और इस एनआरआई कोटे को फ्रॉड बताया. कोर्ट ने इस बात पर कड़ी नाराजगी जताई कि यह विस्तार अधिक योग्य छात्रों को प्रवेश से वंचित कर रहा है.
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें पंजाब सरकार द्वारा एनआरआई कोटा के मापदंडों का विस्तार कर दूर के रिश्तेदारों को भी शामिल करने की योजना को खारिज कर दिया गया था.
सुप्रीम कोर्ट का कड़ा रुख
चीफ जस्टिस ने कहा, "हमें अब इस एनआरआई कोटा के खेल को बंद करना होगा! यह पूरा धोखा है, और यही हम अपनी शिक्षा प्रणाली के साथ कर रहे हैं." न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की उपस्थिति वाली बेंच ने कहा कि एनआरआई कोटा का दुरुपयोग किया जा रहा है ताकि मेरिट-आधारित प्रवेश प्रक्रिया को दरकिनार किया जा सके. कोर्ट ने एनआरआई पात्रता के व्यापक परिभाषा को "पैसा कमाने की चाल" बताया जो शिक्षा प्रणाली की साख को कमजोर करती है.
क्या है पंजाब सरकार का NRI कोटा?
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब पंजाब सरकार मेडिकल दाखिले में NRI कोटे का दायरा नहीं बढ़ा सकेगी. सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को बिल्कुल सही बताते हुए पंजाब की भगवंतमान सरकारी की अपील को खारिज कर दिया. इस कोटे के तहत ऐसे लोगों या उनके बच्चों को शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश परीक्षा नहीं देनी पड़ती, जो भारत में रहने वाले नागरिक देते हैं. अब पंजाब सरकार इस कोटे को 15 प्रतिशत बढ़ाकर उसमें NIR के दूर के रिश्तेदारों को भी शामिल करना चाहती थी.
एनआरआई कोटा का दुरुपयोग
कोर्ट के अनुसार, पंजाब सरकार द्वारा जारी अधिसूचना में एनआरआई उम्मीदवारों की परिभाषा को फिर से परिभाषित किया गया था, जिसमें चाचा, चाची, दादा-दादी और चचेरे भाइयों जैसे रिश्तेदारों को भी शामिल किया गया. कोर्ट ने कहा कि इस विस्तार का उद्देश्य एनआरआई छात्रों को अध्ययन के अवसर प्रदान करना था, लेकिन इसका दुरुपयोग हो रहा है.
सुनवाई के दौरान, वरिष्ठ अधिवक्ता शादन फरासत ने तर्क दिया कि अन्य राज्यों जैसे हिमाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश में भी एनआरआई कोटा के व्यापक व्याख्या का उपयोग किया जा रहा है. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस तर्क को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि इस व्यापक परिभाषा से मेरिट कमजोर हो रही है, और योग्य उम्मीदवारों को दरकिनार कर धन और संबंधों के आधार पर प्रवेश दिलाया जा रहा है.