कोलकाता, 31 मार्च: पश्चिम बंगाल (West Bengal) के सरकारी स्कूलों में टीचिंग और नॉन-टीचिंग स्टाफ की भर्ती में करोड़ों रुपये के घोटाले में अप्रत्याशित मोड़ आया है. सीबीआई के विशेष जांच दल (SIT) के एक प्रमुख सदस्य ने समय से पहले सेवानिवृत्ति की मांग की है. केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) में अधीक्षक रैंक के अधिकारी धर्मवीर सिंह ने घोटाले की जांच कर रही एसआईटी के सदस्य के रूप में सेवामुक्त करने की मांग की है. सीबीआई के वकील ने शुक्रवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय की एकल-न्यायाधीश पीठ को यह जानकारी दी. यह भी पढ़ें: West Bengal: कोलकाता में तृणमूल की रैली के खिलाफ अदालत पहुंचे आंदोलनकारी
सीबीआई के वकील ने न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय की पीठ को यह भी बताया कि चूंकि कलकत्ता उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद एसआईटी का गठन किया गया था, सिंह की समयपूर्व सेवानिवृत्ति की याचिका को बाद की मंजूरी के बिना, आगे नहीं बढ़ाया जा सकता है. न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने सीबीआई के वकील को मामले में जल्द से जल्द फैसला लेने का आश्वासन दिया. उन्होंने विशेष जांच दल में और बांग्ला भाषी अधिकारियों को शामिल करने का भी सुझाव दिया.
पिछले साल नवंबर में जस्टिस गंगोपाध्याय ने इस मामले में सीबीआई द्वारा गठित पहले के विशेष जांच दल के पुनर्गठन का आदेश दिया था. उस फेरबदल में दो अधिकारियों, एक उप अधीक्षक और एक निरीक्षक को बदल दिया गया था, लेकिन धर्मवीर सिंह टीम के सदस्य के रूप में बने रहे.
उस समय एसआईटी के पुनर्गठन का आदेश देते हुए जस्टिस गंगोपाध्याय ने कहा था कि जांच प्रणाली में तेजी लाने के लिए फेरबदल अनिवार्य हो गया था, जो उनके अनुसार उस समय बेहद धीमी गति से चल रही थी.