हैलाकांडी/आइजोल, 11 फरवरी : असम-मिजोरम सीमा (Assam-Mizoram border) पर विवादित क्षेत्र में दोनों राज्यों के लोगों के बीच हुई झड़पों में कई लोग घायल हो गए. अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी. मिजोरम के कोलासिब जिले से सटे असम के हैलाकांडी जिले में स्थिति की गंभीरता को देख प्रशासनिक अधिकारियों ने क्षेत्र में धारा 144 लागू कर दी है. इस संबंध में बुधवार को एक अधिकारी ने बताया कि हिंसा और आगजनी की घटना मंगलवार रात रामनाथपुर थानांतर्गत कचूरथोल में हुई. हैलाकांडी और कोलासिब (Hailakandi and kolasib) दोनों के अधिकारियों ने कहा कि क्षेत्र में सुरक्षा बढ़ा दी गई है और स्थिति अब नियंत्रण में है. क्षेत्र में सुक्षा बढ़ा दी गई है और प्रशासन तथा पुलिस के अधिकारी डेरा डाले हुए हैं. स्थिति को और बिगड़ने से रोकने के लिए अतिरिक्त जिलाधिकारी आर के डाम ने धारा 144 के तहत तत्काल प्रभाव से निषेधाज्ञा लागू कर दी है.
हैलाकांडी के उपायुक्त मेघ निधि दहल, पुलिस अधीक्षक पबिंद्र कुमार नाथ और डीआईजी (दक्षिणी रेंज) दिलीप कुमार डे ने घटनास्थल का दौरा किया. कोलासिब के उपायुक्त एच लालथलंगलियाना ने कहा, "मैं अपने हैलाकांडी समकक्ष के साथ लगातार संपर्क में हूं. बुधवार को कोई और घटना सामने नहीं आई." इस बीच, क्षेत्र के विधायक सुजामुद्दीन लश्कर ने मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल और पुलिस महानिदेशक भास्कर ज्योति महंत को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि ‘‘पड़ोसी राज्य से सशस्त्र हमले’’ के चलते सीमा पर रह रहे लोगों के मन में सुरक्षा की भावना पैदा करने के लिए तत्काल कदम उठाए जाएं. कातलीचेरा के विधायक ने दावा किया कि मंगलवार की रात पड़ोसी राज्य के शरारती तत्वों के हमले में लगभग 30 लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं और लगभग 50 मकान आगजनी में नष्ट हो गए हैं. यह भी पढ़ें : केंद्रीय मंत्री और पूर्व सेना प्रमुख जनरल वी.के. सिंह ने कहा- LAC अतिक्रमण पर मेरे बयान को तोड़ा-मरोड़ा गया
इससे पहले, तीन फरवरी को मिजोरम की सीमा के नजदीक हैलाकांडी के मुलियाला में एक शक्तिशाली बम विस्फोट में एक स्कूल की इमारत नष्ट हो गई थी. पिछले साल अक्टूबर-नवंबर में भी असम-मिजोरम सीमा पर तब कई दिन तक तनाव रहा था जब असम के कछार जिले और मिजोरम के कोलासिब जिले के लोगों के बीच संघर्ष में कई लोग घायल हो गए थे तथा कई कच्चे मकान जला दिए गए थे. मिजोरम और असम के बीच 164.6 किलोमीटर लंबी सीमा है. सीमा विवाद को सुलझाने के लिए 1995 से कई दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन इसका कोई ठोस परिणाम नहीं निकला है.