Uttarakhand: त्रिवेंद्र रावत सरकार गैरसैंण में बनाएगी 'चाय विकास बोर्ड' का मुख्यालय, स्थानीय लोगों को मिलेगा रोजगार
उत्तराखंड सरकार का लक्ष्य है कि चाय बागान के माध्यम से पर्यटन को बढ़ावा दिया जाए. त्रिवेंद रावत सरकार इस दिशा में लगातार प्रयास कर रही है. सीएम ने जिलाधिकारियों को टी-टूरिज्म पर भी फोकस करने के निर्देश दिए हैं.
गैरसैंण: उत्तराखंड (Uttarakhand) की त्रिवेंद्र सिंह रावत (Trivendra Singh Rawat) सरकार ने राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण (Gairsain) में उत्तराखंड चाय विकास बोर्ड (Uttarakhand Tea Development Board) मुख्यालय बनाने का फैसला किया है. इस संबंध में सीएम रावत ने अधिकारियों को निर्देश भी दिए हैं. उन्होंने चमोली के जिलाधिकारी को निर्देश दिए कि जल्द भूमि की तलाश करें, उन्होंने राज्य में चार नई चाय फैक्ट्रियां स्थापित करने की भी घोषणा की. पिछले सप्ताह मुख्यमंत्री आवास में आयोजित चाय विकास बोर्ड की बैठक में सीएम ने कहा कि किसानों को बाजार उपलब्ध कराने हेतु राज्य में चार नई फैक्ट्रियां स्थापित की जाएं.
सीएम रावत ने कहा, चाय बागानों से उत्पादित हरी पत्तियों के न्यूनतम विक्रय मूल्य को निर्धारित करने के लिए एक समिति भी गठित की जाए. यह समिति हर साल न्यूनतम विक्रय मूल्य निर्धारित करेगी. उन्होंने कहा कि न्यूनतम विक्रय मूल्य फार्मगेट मूल्य होना चाहिए. उन्होंने कहा कि टी-गार्डन विकसित करने में चाय विशेषज्ञ अवश्य रखा जाए. Uttarakhand: राज्य में 93,000 से अधिक स्वास्थ्य कर्मचारियों को मुफ्त में दी जाएगी COVID-19 वैक्सीन- स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी.
उत्तराखंड सरकार का लक्ष्य है कि चाय बागान के माध्यम से पर्यटन को बढ़ावा दिया जाए. त्रिवेंद रावत सरकार इस दिशा में लगातार प्रयास कर रही है. सीएम ने जिलाधिकारियों को टी-टूरिज्म पर भी फोकस करने के निर्देश दिए हैं. सीएम ने कहा, राज्य में टी-गार्डन, पर्यटन के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. इससे स्थानीय लोगों को रोजगार के कई बेहतर अवसर मिलेंगे. सरकार गैरसैंण में चाय बागान विकसित करने के बाद इसे किसानों को सौंप देगी. इसके साथ ही किसानों को चाय की खेती के लिए तकनीकी विशेषज्ञता भी उपलब्ध कराई जाएगी.
मुख्यमंत्री रावत ने यह भी कहा कि राज्य में जो निजी चाय फैक्ट्रियां विभिन्न कारणों से बंद हैं, उन्हें चलाने के प्रयास किए जाएं. यदि निजी फैक्ट्रियों के मालिक इन्हें चलाने में सक्षम नहीं हैं तो बोर्ड द्वारा इन्हें चलाए जाने हेतु प्रयास किए जाएं. इससे स्थानीय लोगों को आजीविका के साधन मिलेंगे.
सीएम ने निर्देश दिए कि इसके लिए अगले एक महीने में एक व्यावहारिक मॉडल तैयार करके एक कार्य योजना बनाई जानी चाहिए. सीएम रावत के हवाले से टाइम्स ऑफ इंडिया ने कहा, "गैरसैंण में चाय बागान बनाने से इन क्षेत्रों में रोजगार के कई अवसर पैदा होंगे, इससे पलायन में भी कमी आने की उम्मीद है."