उत्तराखंड: नैनीताल-पौड़ी गढ़वाल में धधक रहे हैं जंगल
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

गर्मी बढ़ने के साथ ही उत्तराखंड के जंगलों में आग लगने की घटनाएं बढ़ने लगी हैं. इससे जहां वन संपदा को भारी नुकसान हो रहा है, वहीं वन्य प्राणियों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.उत्तराखंड के जंगलों में भड़की आग बुझाने का अभियान वायुसेना के हेलिकॉप्टर की मदद से जारी है. भारतीय वन सर्वेक्षण के मुताबिक नैनीताल के जंगलों में रविवार को 43 स्थानों पर आग की सूचना दर्ज हुई. भारतीय वन सर्वेक्षण की ओर से जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक नैनीताल जिले में लगी आग पड़ोसी जिलों अल्मोड़ा, टिहरी गढ़वाल, बागेश्वर, चंपावत और दक्षिणी पिथोरागढ़ में भी फैल गई है, जिससे 30 एकड़ से अधिक जंगलों को नुकसान पहुंचा है.

आग बुझाने में जुटे हेलीकॉप्टर

अधिकारियों ने बताया कि भारतीय वायु सेना के हेलीकॉप्टर की मदद से उत्तराखंड के जंगलों में आग बुझाने का अभियान रविवार (28 अप्रैल) को लगातार दूसरे दिन जारी रहा.

इंडियन एक्सप्रेस ने आधिकारिक सूत्रों के हवाले से बताया कि भारतीय वायु सेना ने नैनीताल और आसपास के इलाकों में आग बुझाने के लिए बांबी बाल्टी से लैस एक एमआई-17 वी5 हेलीकॉप्टर तैनात किया है, जो 5,000 लीटर पानी ले जाने में सक्षम है.

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कुमाऊं मंडल के अधिकारियों के साथ बैठक कर जंगल की आग पर चर्चा की और उन्हें इससे प्रभावी ढंग से निपटने के निर्देश जारी किए. धामी ने अधिकारियों को सतर्क रहने का निर्देश दिया और वन अधिकारियों को छुट्टी लेने से प्रतिबंधित कर दिया. उन्होंने आग पर काबू पाने तक अधिकारियों को बैठक के लिए देहरादून न बुलाने की भी सलाह दी. इससे पहले उन्होंने हवाई मार्ग से प्रभावित इलाकों का सर्वे किया और कहा कि प्रशासन और अधिकारियों के प्रयासों से आग पर काबू पाने में मदद मिल रही है.

आग लगाने के आरोप में गिरफ्तारी

अधिकारियों ने बताया कि रुद्रप्रयाग के वन अधिकारियों की टीमों ने आग लगाने के लिए जिम्मेदार कम से कम तीन उपद्रवियों की पहचान की है और उन्हें गिरफ्तार किया है. कुछ लोगों पर लापरवाही से अपने खेत में आग लगाने का आरोप लगाया गया, जो बाद में आसपास के वन क्षेत्रों में फैल गई.

गढ़वाल जिला वन अधिकारी अनिरुद्ध स्वप्निल ने अखबार को बताया, "शरारती तत्वों की वजह से आग लगी है. हम लोगों को जागरूक कर रहे हैं और उनसे कुछ भी न जलाने की अपील कर रहे हैं."

उन्होंने आगे कहा, "मैंने लोगों से कहा है कि जब भी वे किसी को जंगलों में आग जलाते हुए देखें तो वन विभाग को सूचित करें. वन क्षेत्रों में आग जलाने वाले लोगों के खिलाफ भारतीय वन अधिनियम, 1927 के तहत कार्रवाई की जाएगी."

भारतीय वन सर्वेक्षण के मुताबिक 21 अप्रैल से अब तक उत्तराखंड में जंगल में आग लगने की कम से कम 202 घटनाएं दर्ज की गई हैं, जो ओडिशा के बाद दूसरी सबसे बड़ी संख्या है. ओडिशा में 221 घटनाएं दर्ज की गईं.

उत्तराखंड वन विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले साल नवंबर से राज्य भर में जंगल की आग की कम से कम 606 घटनाएं सामने आई हैं, जिससे 735.815 हेक्टेयर क्षेत्र प्रभावित हुआ है. इनमें से कम से कम आठ घटनाएं पिछले 24 घंटों में दर्ज की गईं, जिससे 11.75 हेक्टेयर भूमि प्रभावित हुई.

भारत में मार्च-मई की अवधि में जंगल की आग लगने की अत्यधिक संभावना होती है, क्योंकि सर्दियों के मौसम के बाद बायोमास की प्रचुर उपलब्धता होती है. मानसून के पहले होनी वाली बारिश के अभाव में सूखे जंगल आग के लिए आदर्श होते हैं.