UP: दहेज के खिलाफ योगी सरकार का अभियान, सरकारी कर्मचारियों को देना होगा हलफनामा, नहीं देने पर होगी कार्रवाई, पढ़ें पूरी जानकारी

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने दहेज के खिलाफ अभियान शुरू कर दिया है. इसके तहत अब राज्य सरकार के कर्मचारियों को यह घोषित करना होगा कि उन्होंने अपनी शादी में दहेज लिया है या नहीं. यह आदेश विशेष रूप से उन सभी सरकारी कर्मचारियों पर लागू होगा जिनकी 31 अप्रैल 2004 के बाद शादी हुई है और उन्हें इस बारे में एक हलफनामा देना होगा....

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Photo Credits: PTI)

उत्तर प्रदेश, 17 अक्टूबर: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने दहेज के खिलाफ अभियान शुरू कर दिया है. इसके तहत अब राज्य सरकार के कर्मचारियों को यह घोषित करना होगा कि उन्होंने अपनी शादी में दहेज लिया है या नहीं. यह आदेश विशेष रूप से उन सभी सरकारी कर्मचारियों पर लागू होगा जिनकी 31 अप्रैल 2004 के बाद शादी हुई है और उन्हें इस बारे में एक हलफनामा देना होगा. राज्य सरकार के आदेश के तहत हलफनामा नहीं देने वाले कर्मचारियों के खिलाफ भी विभागीय कार्रवाई की जाएगी. यह भी पढ़ें: दिहाड़ी कामगार का राशन कार्ड जारी नहीं करने पर अदालत ने दिल्ली सरकार से जवाब मांगा

जानकारी के अनुसार राज्य सरकार के कर्मचारियों को 18 अक्टूबर तक शपथ पत्र के रूप में दिए गए सरकारी पोर्टल पर यह जानकारी अपलोड करनी होगी. यह आदेश राज्य के सभी कर्मचारियों पर लागू होगा. इस आदेश के बाद सभी विभागों को शपथ पत्र संकलित कर अपलोड करना होगा. फिलहाल सरकार की ओर से जारी आदेश के बाद विभागों में हड़कंप मच गया है. अधिकांश घोषणापत्रों में दहेज का उल्लेख नहीं है.

सरकार ने सभी विभागाध्यक्षों को लिखा पत्र

निदेशक महिला कल्याण, उत्तर प्रदेश, लखनऊ ने सभी विभागाध्यक्षों को जारी पत्र में कहा है कि राज्य सरकार द्वारा दहेज प्रथा को रोकने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश दहेज निषेध नियम, 1999 लागू किया गया है. दहेज समाज में एक बुराई है और इसे खत्म करने के लिए पहल करनी होगी. क्योंकि यह एक सामाजिक बुराई है. दरअसल, 31 मार्च 2004 को उत्तर प्रदेश दहेज निषेध पहला नियम संशोधन किया गया था. इसके तहत 'नियम 5' में प्रावधान किया गया था कि शादी के समय हर सरकारी कर्मचारी को अपना खुद का एक हस्ताक्षरित घोषणा पत्र बनाना होगा. -अपने नियुक्त अधिकारी का हताक्षाकर लेना होगा जिसमें यह लिखा होगा कि उसने अपनी शादी में कोई दहेज नहीं लिया है.

आखिर 31 अप्रैल 2004 के बाद नियुक्त कर्मचारियों पर क्यों लागू है नियम?

वास्तव में दहेज के खिलाफ राज्य का कानून पहले से मौजूद है. लेकिन राज्य सरकार ने इसमें संशोधन कर दिया था. पहला संशोधन उत्तर प्रदेश दहेज निषेध नियम, 2004 में राज्य सरकार द्वारा 31 मार्च 2004 को किया गया था. जिसके बाद सरकार ने इसे 31 अप्रैल 2004 के बाद नियुक्त कर्मचारियों पर लागू किया है. हालांकि, उससे पहले से यह नियम कर्मचारियों पर भी लागू है.

घोषणा 18 अक्टूबर तक अपलोड की जानी चाहिए

राज्य सरकार के आदेश के तहत, राज्य के सभी विभागों में नियुक्त सभी सरकारी कर्मचारियों, जिनकी शादी 31 अप्रैल 2004 के बाद हुई है, को यह घोषणा करने के लिए कहा गया है कि उन्होंने अपनी शादी के समय कोई दहेज नहीं लिया है. इस संबंध में संकलित जानकारी 18 अक्टूबर तक अनिवार्य रूप से शासकीय पोर्टल पर अपलोड करनी होगी. इसके साथ ही यदि किसी कर्मचारी या अधिकारी के विरुद्ध दहेज का मामला दर्ज होता है तो उसकी पूरी जानकारी भी देनी होगी. इसके साथ ही कर्मचारियों को अपने हलफनामे में शादी की तारीख, वैवाहिक स्थिति, मोबाइल नंबर और विभाग में अपनी नियुक्ति के प्रकार की जानकारी भी देनी होगी, यानी वह परमानेंट है या कांट्रैक्ट कर्मचारी है.

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