UP: 'बुलडोजर कार्रवाई' के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा- विध्वंस कानून के अनुसार होना चाहिए
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की असामाजिक तत्वों पर कार्रवाई का प्रतीक बना चुका बुलडोजर 10 जून को शहर में भड़की हिंसा के मुख्य साजिशकर्ता के रूप में पहचाने गए मोहम्मद जावेद उर्फ जावेद पंप के आवास पर रविवार को पहुंचा था.
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में 'बुलडोजर (Bulldozer) कार्रवाई' पर एक महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुरुवार को कहा कि विध्वंस कानून की उचित प्रक्रिया के अनुसार होना चाहिए. उत्तर प्रदेश सरकार (UP Government) को जमीयत उलमा-ए-हिंद (Jamiat Ulama-e-Hind) की याचिका पर तीन दिनों के भीतर एक विस्तृत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश देते हुए शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी की. Demolition In UP: योगी के बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, यूपी सरकार से 3 दिन में मांगा जवाब
राज्य को नोटिस जारी करते हुए न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने मौखिक रूप से टिप्पणी करते हुए कहा कि विध्वंस एक प्रतिशोधी उपाय नहीं हो सकता. शीर्ष अदालत ने कहा, "सब कुछ निष्पक्ष दिखना चाहिए, हम उम्मीद करते हैं कि अधिकारी केवल कानून के अनुसार कार्य करेंगे. सुरक्षा सुनिश्चित करें ताकि कोई अप्रिय घटना न हो."
इस मामले पर अगले हफ्ते आगे की सुनवाई होगी. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए अधिवक्ता चंद्र उदय सिंह ने जोरदार दलील दी कि एक समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है और विध्वंस की प्रक्रिया 'भयावह' है. उन्होंने कहा कि देश ने आपातकाल के दौरान भी ऐसी स्थिति कभी नहीं देखी थी.
उन्होंने दलील दी कि यूपी शहरी नियोजन और विकास अधिनियम की धारा 27 का हवाला देते हुए विध्वंस से पहले नोटिस जारी नहीं किए गए थे. इसके अलावा वकील ने दावा किया कि कानून के अनुसार 15 दिनों की अवधि के बिना नोटिस ही जारी किया गया था.
उत्तर प्रदेश राज्य के लिए पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने दलील दी कि मीडिया इस मुद्दे पर अनावश्यक प्रचार कर रहा है. उन्होंने उन नोटिसों की ओर भी इशारा किया, जो हिंसा से बहुत पहले जारी किए गए थे, जिनमें विध्वंस की घटनाओं का जिक्र किया गया था.
उन्होंने यह भी तर्क दिया कि लोग अपनी अवैध संपत्तियों की रक्षा के लिए भी इस मसले का फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं और इन विध्वंस को किसी खास समुदाय से जोड़कर देख रहे हैं. याचिका में, पैगंबर के संबंध में टिप्पणी और उसके अलावा अभियान पर चल रहे विवाद की पृष्ठभूमि के खिलाफ, जमीयत उलमा ने उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने के निर्देश मांगे, जो कथित तौर पर देश के अधिनियमित कानून और नगरपालिका कानूनों का उल्लंघन करके घरों को ध्वस्त करने के जिम्मेदार हैं.
याचिका में कहा गया है कि वर्तमान स्थिति अधिक चिंताजनक है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही उत्तर पश्चिमी दिल्ली में समान परिस्थितियों में दंडात्मक उपाय के रूप में किए जा रहे विध्वंस पर रोक लगाने का आदेश दिया था. इसमें जोर देते हुए दलील दी गई है, "यह सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन है."
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज और सहारनपुर में शुक्रवार (10 जून) को नमाज के बाद हिंसा और नारेबाजी की घटनाएं सामने आईं थीं, जब लोगों ने पैगंबर पर भाजपा के पूर्व प्रवक्ताओं की टिप्पणी का विरोध करना शुरू कर दिया था.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की असामाजिक तत्वों पर कार्रवाई का प्रतीक बना चुका बुलडोजर 10 जून को शहर में भड़की हिंसा के मुख्य साजिशकर्ता के रूप में पहचाने गए मोहम्मद जावेद उर्फ जावेद पंप के आवास पर रविवार को पहुंचा था. प्रयागराज विकास प्राधिकरण ने कथित रूप से बिना आवश्यक अनुमति के बनाए गए घर को गिराने के लिए नोटिस जारी किया था.